गुरुवार, 18 अप्रैल 2024
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Written By अनिरुद्ध जोशी

गाय के बारे में कुछ रोचक तथ्‍य, जानकर रह जाएंगे हैरान

गाय के बारे में कुछ रोचक तथ्‍य, जानकर रह जाएंगे हैरान - Cow in Hinduism
हिन्दू धर्म में गाय का महत्व इसलिए नहीं रहा कि प्राचीन काल में भारत एक कृषि प्रधान देश था और आज भी है और गाय को अर्थव्यस्था की रीढ़ माना जाता था। भारत जैसे और भी देश है, जो कृषि प्रधान रहे हैं लेकिन वहां गाय को इतना महत्व नहीं मिला जितना भारत में। दरअसल हिन्दू धर्म में गाय के महत्व के कुछ आध्यात्मिक, धार्मिक और चिकित्सीय कारण भी रहे हैं। आओ जानते हैं कुछ वैज्ञानिक तथ्य भी...

* गाय एकमात्र पशु ऐसे है जिसका सब कुछ सभी की सेवा में काम आता है।
* स्वामी दयानन्द सरस्वती कहते हैं कि एक गाय अपने जीवनकाल में 4,10,440 मनुष्यों हेतु एक समय का भोजन जुटाती है जबकि उसके मांस से 80 मांसाहारी लोग अपना पेट भर सकते हैं।
* गाय का दूध, मूत्र, गोबर के अलावा दूध से निकला घी, दही, छाछ, मक्खन आदि सभी बहुत ही उपयोगी है।
* पूरी संसद द्वारा गौवध बंदी करने का समर्थन करने पर भी प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि यदि यह प्रस्ताव पास होता है, तो मैं प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र दे दूंगा।
 
* एक जानकारी के अनुसार मुस्लिम शासन के समय गौवध अपवादस्वरूप ही होता था। अधिकांश शासकों ने अपने शासन को मजबूत बनाने और हिन्दुओं में लोकप्रिय होने के लिए गौवध पर प्रतिबंध लगाए थे।
* अंग्रेजों ने भारत में गौवध को बढ़ावा दिया। अपने इस कुकर्म पर पर्दा डालने के लिए उन्होंने मुस्लिम कसाइयों की नियुक्ति बूचड़खानों में की थी।
* गुरु वशिष्ठ ने गाय के कुल का विस्तार किया और उन्होंने गाय की नई प्रजातियों को भी बनाया, तब गाय की 8 या 10 नस्लें ही थीं जिनका नाम कामधेनु, कपिला, देवनी, नंदनी, भौमा आदि था। 
* भगवान श्रीकृष्ण ने गाय के महत्व को बढ़ाने के लिए गाय पूजा और गौशालाओं के निर्माण की नए सिरे से नींव रखी थी। भगवान बालकृष्ण ने गाएं चराने का कार्य गोपाष्टमी से प्रारंभ किया था।
* पंजाब केसरी महाराजा रणजीत सिंह ने अपने शासनकाल के दौरान राज्य में गौहत्या पर मृत्युदंड का कानून बनाया था।
 
* रामचंद्र ‘बीर’ ने 70 दिनों तक गौहत्या पर रोक लगवाने के लिए अनशन किया था।
* वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि गाय में जितनी सकारात्मक ऊर्जा होती है उतनी किसी अन्य प्राणी में नहीं।
* गाय की पीठ पर रीढ़ की हड्डी में स्थित सूर्यकेतु स्नायु हानिकारक विकिरण को रोककर वातावरण को स्वच्छ बनाते हैं। यह पर्यावरण के लिए लाभदायक है।
* गाय की रीढ़ में स्थित सूर्यकेतु नाड़ी सर्वरोगनाशक, सर्वविषनाशक होती है।
* सूर्यकेतु नाड़ी सूर्य के संपर्क में आने पर स्वर्ण का उत्पादन करती है। गाय के शरीर से उत्पन्न यह सोना गाय के दूध, मूत्र व गोबर में मिलता है। यह स्वर्ण दूध या मूत्र पीने से शरीर में जाता है और गोबर के माध्यम से खेतों में। कई रोगियों को स्वर्ण भस्म दिया जाता है।
 
* वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय एकमात्र ऐसा प्राणी है, जो ऑक्सीजन ग्रहण करता है और ऑक्सीजन ही छोड़ता है, ‍जबकि मनुष्य सहित सभी प्राणी ऑक्सीजन लेते और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं। पेड़-पौधे इसका ठीक उल्टा करते हैं।
* देशी गाय के एक ग्राम गोबर में कम से कम 300 करोड़ जीवाणु होते हैं।
* रूस में गाय के घी से हवन पर वैज्ञानिक प्रयोग किए गए हैं।
* एक तोला (10 ग्राम) गाय के घी से यज्ञ करने पर एक टन ऑक्सीजन बनती है।
 
* विश्व की सबसे बड़ी गौशाला पथमेड़ा, राजस्थान में है।
* गौवंशीय पशु अधिनियम 1995 के अंतर्गत 10 वर्ष तक का कारावास और 10,000 रुपए तक का जुर्माना है।
* एक समय वह भी था, जब भारतीय किसान कृषि के क्षेत्र में पूरे विश्व में सर्वोपरि था। इसका कारण केवल गाय थी।
* भारतीय गाय के गोबर से बनी खाद ही कृषि के लिए सबसे उपयुक्त साधन थे। खेती के लिए भारतीय गाय का गोबर अमृत समान माना जाता था।
* किंतु हरित क्रांति के नाम पर सन् 1960 से 1985 तक रासायनिक खेती द्वारा भारतीय कृषि को लगभग नष्ट कर दिया गया। अब खेत उर्वर नहीं रहे। अब खेतों से कैंसर जैसी ‍बीमारियों की उत्पत्ति होती है। 
* हरित क्रांति से पहले खेतों को गाय के गोबर में गौमूत्र, नीम, धतूरा, आक आदि के पत्तों को मिलाकर बनाए गए कीटनाशक द्वारा किसी भी प्रकार के कीड़ों से बचाया जाता था।
 
* पंचगव्य का निर्माण गाय के दूध, दही, घी, मूत्र, गोबर द्वारा किया जाता है।
* पंचगव्य कई रोगों में लाभदायक है।
* पंचगव्य द्वारा शरीर की रोग निरोधक क्षमता को बढ़ाकर रोगों को दूर किया जाता है।
* पंचगव्य से गुजरात के बलसाड़ नामक स्थान के निकट कैंसर अस्पताल में 3 हजार से अधिक कैंसर रोगियों का इलाज हो चुका है।
*पंचगव्य के कैंसरनाशक प्रभावों पर यूएस से पेटेंट भारत ने प्राप्त किए हैं। 6 पेटेंट अभी तक गौमूत्र के अनेक प्रभावों पर प्राप्त किए जा चुके हैं।
 
- उपरोक्त और निम्न सभी पत्रिका 'गवाक्ष भारती', धर्मपाल की 'भारत में गौरक्षा...' और 'गौ की महिमा' पुस्तिका से साभार उद्धृत....
 
अगले पन्ने पर धार्मिक तथ्य...
 

* हिन्दू धर्म के अनुसार गाय में 33 कोटि देवी-देवता निवास करते हैं। कोटि का अर्थ करोड़ नहीं, प्रकार होता है। इसका मतलब गाय में 33 प्रकार के देवता निवास करते हैं। ये देवता हैं- 12 आदित्य, 8 वसु, 11 रुद्र और 2 अश्‍विन कुमार। ये मिलकर कुल 33 होते हैं।
* शास्त्रों और विद्वानों के अनुसार कुछ पशु-पक्षी ऐसे हैं, जो आत्मा की विकास यात्रा के अंतिम पड़ाव पर होते हैं। उनमें से गाय भी एक है। इसके बाद उस आत्मा को मनुष्य योनि में आना ही होता है।
* कत्लखाने जा रही गाय को छुड़ाकर उसके पालन-पोषण की व्यवस्था करने पर मनुष्य को गौयज्ञ का फल मिलता है।
* भगवान शिव के प्रिय पत्र ‘बिल्वपत्र’ की उत्पत्ति गाय के गोबर में से ही हुई थी।
* ऋग्वेद ने गाय को अघन्या कहा है। यजुर्वेद कहता है कि गौ अनुपमेय है। अथर्ववेद में गाय को संपतियों का घर कहा गया है। 
* इस देश में लोगों की बोलियां खाने पीने के तरीके अलग हैं पर पृथ्वी की तरह ही सीधी साधी गाय भी बिना विरोध के मनुष्य को सब देती है।
* पौराणिक मान्यताओं व श्रुतियों के अनुसार, गौएं साक्षात विष्णु रूप है, गौएं सर्व वेदमयी और वेद गौमय है। भगवान श्रीकृष्ण को सारा ज्ञानकोष गोचरण से ही प्राप्त हुआ। 
* भगवान राम के पूर्वज महाराजा दिलीप नन्दिनी गाय की पूजा करते थे। 
* गणेश भगवान का सिर कटने पर शिवजी कर एक गाय दान करने का दंड रखा गया था और वहीं पार्वती को देनी पड़ी। 
* भगवान भोलेनाथ का वाहन नन्दी दक्षिण भारत की आंगोल नस्ल का सांड था। जैन आदि तीर्थकर भगवान ऋषभदेव का चिह्न बैल था।
* गरुढ़ पुराण अनुसार वैतरणी पार करने के लिए गोदान का महत्व बताया गया है।
* श्राद्ध कर्म में भी गाय के दूध की खीर का प्रयोग किया जाता है क्योंकि इसी खीर से पितरों की ज्यादा से ज्यादा तृप्ति होती है। 
 
गाय से संबंधित धार्मिक वृत व उपवासः-
1. गोपद्वमव्रतः- सुख, सौभाग्य, संपत्ति, पुत्र, पौत्र, आदि के सुखों को देने वाला है।
2. गोवत्सद्वादशी व्रतः- इस व्रत से समस्त मनोकामनाऐं पूर्ण होती हैं।
3. गोवर्धन पूजाः- इस लोक के समस्त सुखों में वृद्धि के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है।
4. गोत्रि-रात्र व्रतः- पुत्र प्राप्ति, सुख भोग, और गोलोक की प्राप्ति होती है।
5. गोपाअष्टमीः- सुख सौभाग्य में वृद्धि होती है।
6. पयोव्रतः- पुत्र की प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दम्पत्तियों को संतान प्राप्ति होती है।
 
अगले पन्ने पर गाय की नस्लें...
 

आज से लगभग 9,500 वर्ष पूर्व गुरु वशिष्ठ ने गाय के कुल का विस्तार किया और उन्होंने गाय की नई प्रजातियों को भी बनाया, तब गाय की 8 या 10 नस्लें ही थीं जिनका नाम कामधेनु, कपिला, देवनी, नंदनी, भौमा आदि था।
 
वर्तमान में गायों की प्रमुख नस्लें : भारत में आजकल गाय की प्रमुख 30 नस्लें पाई जाती हैं। गायों की यूं तो कई नस्लें होती हैं, लेकिन भारत में मुख्‍यत: साहीवाल (पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, बिहार), गिर (दक्षिण काठियावाड़), थारपारकर (जोधपुर, जैसलमेर, कच्छ), करन फ्राइ (राजस्थान), सिंधी (सिंध का कोहिस्तान, बलूचिस्तान), कांकरेज (कच्छ की छोटी खाड़ी से दक्षिण-पूर्व का भू-भाग), मालवी (मध्यप्रदेश, ग्वालियर), नागौरी (जोधपुर के आसपास), पंवार (पीलीभीत, पूरनपुर तहसील और खीरी), भगनाड़ी (नाड़ी नदी का तटवर्ती प्रदेश), दज्जल (पंजाब के डेरा गाजी खां जिला), गावलाव (सतपुड़ा की तराई, वर्धा, छिंदवाड़ा, नागपुर, सिवनी तथा बहियर), हरियाणा (रोहतक, हिसार, सिरसा, करनाल, गुडगांव और जींद), अंगोल या नीलोर (तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, गुंटूर, नीलोर, बपटतला तथा सदनपल्ली), निमाड़ी (नर्मदा घाटी), देवनी (दक्षिण आंध्रप्रदेश, हिंसोल) आदि हैं। 
 
अन्य गाएं : राठ अलवर की गाएं और अमृतमहल, हल्लीकर, बरगूर, बालमबादी नस्लें मैसूर की वत्सप्रधान, एकांगी गाएं हैं। कंगायम और कृष्णवल्ली दूध देने वाली हैं। विदेशी नस्लों में जर्सी गाय सर्वाधिक लोकप्रिय है। यह गाय दूध भी ‍अधिक देती है। गाय कई रंगों जैसे सफेद, काली, लाल, बादामी तथा चितकबरी होती है। भारतीय गाय छोटी होती है, जबकि विदेशी गाय का शरीर थोड़ा भारी होता है।
 
गाय पर महापुरुषों की बानी...
 

 
* स्कंद पुराण के अनुसार ‘गौ सर्वदेवमयी और वेद सर्वगौमय हैं।'
* भगवान कृष्ण ने श्रीमद् भगवद्भीता में कहा है- ‘धेनुनामस्मि कामधेनु’ अर्थात मैं गायों में कामधेनु हूं।
* ईसा मसीह ने कहा था- एक गाय बैल को मारना एक मनुष्य को मारने के समान है।
 
* श्रीराम ने वन गमन से पूर्व किसी त्रिजट नामक ब्राह्मण को गाय दान की थी।
* गुरु गोविंदसिंहजी ने कहा, ‘यही देहु आज्ञा तुरुक को खापाऊं, गौ माता का दुःख सदा मैं मिटाऊं।'
 
* बाल गंगाधर तिलक ने कहा था कि ‘चाहे मुझे मार डालो, पर गाय पर हाथ न उठाओ’। 
* प्रसिद्ध मुस्लिम संत रसखान की इच्छा थी कि यदि पशु के रूप में मेरा जन्म हो तो मैं बाबा नंद की गायों के बीच में जन्म लूं।
* पं. मदनमोहन मालवीय की अंतिम इच्छा थी कि भारतीय संविधान में सबसे पहली धारा सम्पूर्ण गौवंश हत्या निषेध की बने।
* पंडित मदनमोहन मालवीय का कथन था कि यदि हम गायों की रक्षा करेंगे तो गाएं हमारी रक्षा करेंगी।
* महर्षि अरविंद ने कहा था कि गौ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की धात्री होने के कारण कामधेनु है। इसका अनिष्ट चिंतन ही पराभव का कारण है।
* मुस्लिम कवि रसखान ने कहा- 'जो पशु हों तो कहा बसु मेरो, चरों नित नंद की धेनु मंझारन।'
* महात्मा नामदेव ने दिल्ली के बादशाह के आह्नवान पर मृत गाय को जीवनदान दिया। 
* भगवान बुद्ध को गाय के पास उस क्षेत्र के सरदार की बेटी सुजाता द्वारा गायों के दूध की खीर खानें पर तुरन्त ज्ञान और मुक्ति का मार्ग मिला। बुद्ध गायों को मनुष्य की परम मित्र कहते हैं। 
* जैन आगमों में कामधेनु को स्वर्ग की गाय कहा गया है और प्राणिमात्र को अवध्या माना है। भगवान महावीर के अनुसार गौ रक्षा बिना मानव रक्षा संभव नहीं। 
* स्वामी दयानन्द सरस्वती कहते है कि एक गाय अपने जीवनकाल में 4,10,440 मनुष्यों हेतु एक समय का भोजन जुटाती है जबकि उसके मांस से 80 मांसाहारी लोग अपना पेट भर सकते हैं।
* गांधीजी ने कहा है कि गोवंश की रक्षा ईश्वर की सारी मूक सृष्टि की रक्षा करना है, भारत की सुख- समृद्धि गाय के साथ जुड़ी हुई है। गाय प्रसन्नता और उन्नति की जननी है, गाय कई प्रकार से अपनी जननी से भी श्रेष्ठ है।
 
गाय के गोबर से जुड़े वैज्ञानिक तथ्य...
 

बायोगैस, गोबर गैस : गैस और बिजली संकट के दौर में गांवों में आजकल गोबर गैस प्लांट लगाए जाने का प्रचलन चल पड़ा है। पेट्रोल, डीजल, कोयला व गैस तो सब प्राकृतिक स्रोत हैं, किंतु यह बायोगैस तो कभी न समाप्त होने वाला स्रोत है। जब तक गौवंश है, अब तक हमें यह ऊर्जा मिलती रहेगी।
 
प्लांट के पर्यावरणीय फायदे : एक प्लांट से करीब 7 करोड़ टन लकड़ी बचाई जा सकती है जिससे करीब साढ़े 3 करोड़ पेड़ों को जीवनदान दिया जा सकता है। साथ ही करीब 3 करोड़ टन उत्सर्जित कार्बन डाई ऑक्साइड को भी रोका जा सकता है।
 
हाल ही में कानपुर की एक गौशाला ने एक ऐसा सीएफएल बल्ब बनाया है, जो बैटरी से चलता है। इस बैटरी को चार्ज करने के लिए गौमूत्र की आवश्यकता पड़ती है। आधा लीटर गौमूत्र से 28 घंटे तक सीएफएल जलता रहेगा। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

* गोबर गैस संयंत्र में गैस प्राप्ति के बाद बचे पदार्थ का उपयोग खेती के लिए जैविक खाद बनाने में किया जाता है?
 
* खेती के लिए भारतीय गाय का गोबर अमृत समान माना जाता था। इसी अमृत के कारण भारत भूमि सहस्रों वर्षों से सोना उगलती आ रही है।
 
* वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय के गोबर में विटामिन बी-12 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह रेडियोधर्मिता को भी सोख लेता है। आम मान्यता है कि गाय के गोबर के कंडे से धुआं करने पर कीटाणु, मच्छर आदि भाग जाते हैं तथा दुर्गंध का नाश हो जाता है।
 
* गाय के सींग गाय के रक्षा कवच होते हैं। गाय को इसके द्वारा सीधे तौर पर प्राकृतिक ऊर्जा मिलती है। यह एक प्रकार से गाय को ईश्वर द्वारा प्रदत्त एंटीना उपकरण है। गाय की मृत्यु के 45 साल बाद तक भी ये सुरक्षित बने रहते हैं। गाय की मृत्यु के बाद उसके सींग का उपयोग श्रेष्ठ गुणवत्ता की खाद बनाने के लिए प्राचीन समय से होता आ रहा है।
 
* गौमूत्र और गोबर फसलों के लिए बहुत उपयोगी कीटनाशक सिद्ध हुए हैं। कीटनाशक के रूप में गोबर और गौमूत्र के इस्तेमाल के लिए अनुसंधान केंद्र खोले जा सकते हैं, क्योंकि इनमें रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभावों के बिना खेतिहर उत्पादन बढ़ाने की अपार क्षमता है। इसके बैक्टीरिया अन्य कई जटिल रोगों में भी फायदेमंद होते हैं। गौमूत्र अपने आस-पास के वातावरण को भी शुद्ध रखता है।
 
* कृषि में रासायनिक खाद्य और कीटनाशक पदार्थ की जगह गाय का गोबर इस्तेमाल करने से जहां भूमि की उर्वरता बनी रहती है, वहीं उत्पादन भी अधिक होता है। दूसरी ओर पैदा की जा रही सब्जी, फल या अनाज की फसल की गुणवत्ता भी बनी रहती है। जुताई करते समय गिरने वाले गोबर और गौमूत्र से भूमि में स्वतः खाद डलती जाती है। 
 
* प्रकृति के 99% कीट प्रणाली के लिए लाभदायक हैं। गौमूत्र या खमीर हुए छाछ से बने कीटनाशक इन सहायक कीटों को प्रभावित नहीं करते। एक गाय का गोबर 7 एकड़ भूमि को खाद और मूत्र 100 एकड़ भूमि की फसल को कीटों से बचा सकता है। केवल 40 करोड़ गौवंश के गोबर व मूत्र से भारत में 84 लाख एकड़ भूमि को उपजाऊ बनाया जा सकता है।
 
* गाय के गोबर का चर्म रोगों में उपचारीय महत्व सर्वविदित है। प्राचीनकाल में मकानों की दीवारों और भूमि को गाय के गोबर से लीपा-पोता जाता था। यह गोबर जहां दीवारों को मजबूत बनाता था वहीं यह घरों पर परजीवियों, मच्छर और कीटाणुओं के हमले भी रोकता था। आज भी गांवों में गाय के गोबर का प्रयोग चूल्हे बनाने, आंगन लीपने एवं मंगल कार्यों में लिया जाता है।
 
 
अगले पन्ने पर गाय के दूध से जुड़े वैज्ञानिक तथ्‍य...
 

 
गाय का दूध :
* गाय का दूध पीने से शक्ति का संचार होता है। यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
* हाथ-पांव में जलन होने पर गाय के घी से मालिश करने पर आराम मिलेगा। 
* गाय के दूध से रेडियो एक्टिव विकिरणों से होने वाले रोगों से भी बचा जा सकता है। 
* गाय का दूध फैटरहित, परंतु शक्तिशाली होता है। उसे पीने से मोटापा नहीं बढ़ता तथा स्त्रियों के प्रदर रोग आदि में लाभ होता है।
* गाय के घी व गोबर से निकलने वाले धुएं से प्रदूषणजनित रोगों से बचा जा सकता है।
* गाय का दूध व घी अमृत के समान हैं। गाय के दूध का प्रतिदिन सेवन अनेक बीमारियों से दूर रखता है। 
* सफेद रंग की गाय का दूध पाचक होता है, जो शरीर को हष्ट-पुष्ट बनाता है।
* चितकबरी गाय का दूध पित्त बढ़ाता है, जो शरीर को चंचल बनाता है।
* काले रंग की गाय का दूध मीठा होता है, जो गैस के रोगों को दूर करता है।
* लाल रंग की गाय का दूध रक्त बढ़ाता है, जो शरीर को स्फूर्ति वाला बनाता है।
* पीले रंग की गाय का दूध पित्त को संतुलित करता है, जो शरीर को ओजपूर्ण बनाता है।
* गाय के दूध में कैल्शियम 200 प्रतिशत, फॉस्फोरस 150 प्रतिशत, लौह 20 प्रतिशत, गंधक 50 प्रतिशत, पोटैशियम 50 प्रतिशत, सोडियम 10 प्रतिशत पाए जाते हैं।
* गाय के दूध में विटामिन C 2प्रतिशत, विटामिन A (आईक्यू) 174 और विटामिन D 5 होता है।

अगले पन्ने पर गाय के घी के चमत्कारिक फायदे...
 

 
गाय का घी : 
* ऐसी मान्यता है कि काली गाय का घी खाने से बूढ़ा व्यक्ति भी जवान जैसा हो जाता है।
* घी से हवन करने पर लगभग 1 टन ताजे ऑक्सीजन का उत्पादन होता है। यही कारण है कि मंदिरों में गाय के घी का दीपक जलाने तथा धार्मिक समारोहों में यज्ञ करने की प्रथा प्रचलित है।
* गाय का घी नाक में डालने से बाल झड़ना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते हैं।
* गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है।
* देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है।
* दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह-शाम डालने से माइग्रेन दर्द ठीक होता है।
* दो बूंद देसी गाय का घी आंखों में डालने से आंखों की ज्योति बढ़ती है।
 
 
अगले पन्ने पर गौमूत्र से जुड़े वैज्ञानिक तथ्य...
 
गौमूत्र : गौमूत्र को सबसे उत्तम औषधियों की लिस्ट में शामिल किया गया है। वैज्ञानिक कहते हैं कि गौमूत्र में पारद और गंधक के तात्विक गुण होते हैं। यदि आप गौमूत्र का सेवन कर रहे हैं तो प्लीहा और यकृत के रोग नष्ट कर रहे हैं।
 
* गौमूत्र कैंसर जैसे असाध्य रोगों को भी जड़ से दूर कर सकता है। गौमू‍त्र चिकित्सा वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय का लिवर 4 भागों में बंटा होता है। इसके अंतिम हिस्से में एक प्रकार का एसिड होता है, जो कैंसर जैसे रोग को जड़ से मिटाने की क्षमता रखता है। गौमूत्र का ‍खाली पेट प्रतिदिन निश्‍चित मात्रा में सेवन करने से कैंसर जैसा रोग भी नष्ट हो जाता है।
 
* गाय के मूत्र में पोटैशियम, सोडियम, नाइट्रोजन, फॉस्फेट, यूरिया, यूरिक एसिड होता है। दूध देते समय गाय के मूत्र में लैक्टोज की वृद्धि होती है, जो हृदय रोगियों के लिए लाभदायक है।
 
* गौमूत्र में प्रति-ऑक्सीकरण की क्षमता के कारण डीएनए को नष्ट होने से बचाया जा सकता है। गौमूत्र से बनी औषधियों से कैंसर, ब्लड प्रेशर, आर्थराइटिस, सवाईकल हड्डी संबंधित रोगों का उपचार भी संभव है।
 
* गौमूत्र में नाइट्रोजन, सल्फर, अमोनिया, कॉपर, लौह तत्व, यूरिक एसिड, यूरिया, फॉस्फेट, सोडियम, पोटैशियम, मैगनीज, कार्बोलिक एसिड, कैल्सियम, विटामिन ए, बी, डी, ई, एंजाइम, लैक्टोज, सल्फ्यूरिक अम्ल, हाइड्रॉक्साइड आदि मुख्य रूप से पाए जाते हैं। यूरिया मूत्रल, कीटाणुनाशक है। पोटैशियम क्षुधावर्धक, रक्तचाप नियामक है। सोडियम द्रव मात्रा एवं तंत्रिका शक्ति का नियमन करता है। मैग्नीशियम एवं कैल्सियम हृदयगति का नियमन करते हैं।
 
दही के बारे में रोचक तथ्य...
 

 
कहते हैं-
 
जो खाए चना वो रहे बना 
जो पीवै दही, वह रहे सही
 
* दही हमारे पाचन तंत्र को सेहतमंद बनाए रखने में बहुत ही कारगर सिद्ध होता है। रात में दही नहीं खाते हैं।
* दही में सुपाच्य प्रोटीन एवं लाभकारी जीवाणु होते हैं, जो क्षुधा को बढ़ाने में सहायता करते हैं। 
* दही का स्वास्थ्य के साथ-साथ सौंदर्य निखारने में भी महत्वपूर्ण स्थान है। चेहरे की त्वचा और बालों पर दही लगाने से लाभ मिलता है। 
* दही चेहरे, गर्दन व बाजू आदि के सौंदर्य को तो निखारता ही है, साथ ही यह बालों को पोषण देने में भी बहुत सहायक है। 
* दही के नियमित सेवन से आंतों के रोग और पेट की बीमारियां नहीं होती हैं तथा कई प्रकार के विटामिन बनने लगते हैं। दही में जो बैक्टीरिया होते हैं, वे लैक्टोज बैक्टीरिया उत्पन्न करते हैं।
* दही में हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर और गुर्दों की बीमारियों को रोकने की अद्भुत क्षमता है। यह हमारे रक्त में बनने वाले कोलेस्ट्रॉल नामक घातक पदार्थ को बढ़ने से रोकता है जिससे वह नसों में जमकर ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित न करे और हार्ट बीट सही बनी रहे।
* दही में कैल्शियम की मात्रा काफी पाई जाती है, जो हमारे शरीर में हड्डियों का विकास करती है। दांतों एवं नाखूनों की मजबूती एवं मांसपेशियों के सही ढंग से काम करने में भी सहायता करती है। 
* दही के सेवन से शरीर की फालतू चर्बी कम करने में सहायता मिलती है।
* नींद न आने से परेशान रहने वाले लोगों को दही व छाछ का सेवन करना चाहिए।
* दही में बेसन मिलाकर लगाने से त्वचा में निखार आता है। मुंहासे दूर होते हैं।
* दही में शहद मिलाकर चटाने से छोटे बच्चों के दांत आसानी से निकलते हैं।
 
अगले पन्ने पर छाछ के बारे में रोचक तथ्य...
 

 
छाछ या मट्ठा के फायदे : 
 
* छाछ पीने से पेट की गर्मी हट जाती है और पाचन तंत्र भी सुचारु रूप से कार्य करता है।
* नींद न आने से परेशान रहने वाले लोगों को दही व छाछ का सेवन करना चाहिए।
* छाछ में हेल्‍दी बैक्‍टीरिया और कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं, साथ ही लैक्‍टोज शरीर में आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है जिससे आप तुरंत ऊर्जावान हो जाते हैं।
* अगर कब्ज की शिकायत बनी रहती हो तो अजवाइन मिलाकर छाछ पीएं।
* पेट की सफाई के लिए गर्मियों में पुदीना मिलाकर लस्सी बनाकर पीएं।
* जिन लोगों को खाना ठीक से न पचने की शिकायत होती है, उन्हें रोजाना छाछ में भुने जीरे का चूर्ण, काली मिर्च का चूर्ण और सेंधा नमक का चूर्ण समान मात्रा में मिलाकर धीरे-धीरे पीना चाहिए। 
* यदि आप डाइट पर हैं तो रोज एक गिलास मट्ठा पीना न भूलें। यह लो कैलोरी और फैट में कम होता है।
* बटर मिल्‍क में विटामिन सी, ए, ई, के और बी पाए जाते हैं, जो कि शरीर के पोषण की जरूरत को पूरा करता है।
* यह स्वस्थ पोषक तत्वों जैसे लोहा, जस्ता, फॉस्फोरस और पोटैशियम से भरा होता है, जो कि शरीर के लिए बहुत ही जरूरी मिनरल माना जाता है।
* गर्मी में छाछ पीने से लू नहीं लगती। लग जाए तो छाछ पीना शुरू कर दें। 
 
अगले पन्ने पर मक्खन के बारे में तथ्‍य...
 

मक्खन : मक्खन, माखन या बटर दुग्ध वर्ग का एक उत्पादन है, जो दही को बिलो (मथ) कर छाछ बनाते समय निकलता है। मक्खन को तपाकर ही घी निकाला जाता है। 
 
 
* गाय के दूध से निकाला हुआ मक्खन हितकारी, वृष्य, वर्ण को उत्तम करने वाला, बलकारी, अग्नि प्रदीपक, ग्राही और वात, पित्त, रक्त विकार, क्षय, बवासीर, लकवा तथा खांसी को नष्ट करता है। 
*गाय का मक्खन शारीरिक क्षमता बढ़ाने और पेट संबंधित सभी रोगों को दूर करने में सहायक होता है।
* गाय के मक्खन में मथु और मिश्री मिलाकर खाने से कई रोगों में लाभ मिलता है।
* आंखों में जलन हो तो गाय का मक्खन ऊपर से चुपड़ लें, आराम मिलेगा।
* मक्खन का प्रयोग ज्यादातर ब्रेड और टोस्ट पर लगाकर खाने या दाल, शाक में डालकर खाने या सूप में डालकर पीने में किया जाता है।