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भारत के 11 बड़े आश्रम, जहां जाने के लिए मरते हैं विदेशी

भारत के 11 बड़े आश्रम, जहां जाने के लिए मरते हैं विदेशी | 11 Big Ashrams of India
इस वक्त दुनियाभार में लोग हिन्दू धर्म के ध्यान, ज्ञान और योग के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। वे सुख, शांति और मोक्ष की तलाश में भारत आ रहे हैं। अमेरिका, योरप, रशिया, अरब और अफ्रीका के लाखों लोग प्रतिवर्ष भारत के प्रमुक आश्रमों में आते हैं और शांति और प्रेम को पाते हैं। आइये जानते हैं ऐसे ही 10 आश्रमों के नाम।
 
 
1.आनंद मार्ग आश्रम कोलकाता
आध्यात्मिक नेता प्रभात रंजन सरकार ऊर्फ आंनदमूर्ति का 'आनंद मार्ग' दुनिया के 130 देशों में फैला हुआ था। आनंदमूर्ति का जन्म 1921 और मृत्यु 1990 में हुई थी। आपने 1955 में आनंद मार्ग की स्थापना की। आनंद मार्ग के दो प्रमुख आश्रम विश्व प्रसिद्ध है, एक मुंगेर जिले के जमालपुर बिहार में और दूसरा पश्चिम बंगाल के कोलकाता में। लेकिन आनंदमूर्ति के देहांत, तां‍त्रिक कर्म, हिन्दू परंपरा से अलग परंपरा के प्रचलन और वामपंथ के कहर के बाद इस आंदोलन का प्रभाव अब खत्म-सा हो गया है।
 
 
2.राम कृष्ण मिशन आश्रम कोलकाता
महान संत स्वामी विवेकानंद (1836-1902 ई.) ने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस (1836-1886 ई.) के नाम से रामकृष्ण मिशन आश्रम की स्थापना 1 मई 1897 में की थी। इसे रामकृष्ण मठ भी कहते हैं। इनका एक मठ कोलकाता के वेलूर में और दूसरे उत्तराखंड के अल्मोड़ा में स्थित है। इस मठ का उद्देश्य वेदांत के सिद्धांतों का प्रचार और सामाजिक समरसता कायम करना है। 
 
3.प्रशांति निलयम, पुट्टपर्ती
सत्य सांई बाबा को शिर्डी के सांई बाबा का अवतार माना जाता है। विश्वभर में इनके आश्रम 'प्रशांति निलयम' की प्रसिद्धि है जो पुट्टपर्ती में स्थित है। सत्य सांई बाबा का जन्म 23 नवंबर 1926 को आंध्रप्रदेश में पुट्टपर्ती के पास स्‍थित एक गांव में हुआ था। 24 अप्रैल 2011 को उनका निधन हो गया। प्रशांति निलायम का अर्थ होता है शांति प्रदान करने वाला स्थान। यह आश्रम भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है। आंध्रप्रदेश के अनन्तपुर जिले से पुट्टपर्ती 80 किमी की दूरी पर है।
 
 
4.श्री अरबिंदो आश्रम पांडिचेरी
महान दार्शनिक अरविंद घोष (1872-1950) क्रांतिकारी भी थे। जेल से छूटने के बाद उन्होंने 1926 में इस आश्रम की स्थापना की थी। इस आश्रम का संचालन मीरा अल्फांसा करती थीं। अरविंद और मीरा के जाने के बाद इस आश्रम को अरविंदों ट्रस्ट संभालता है। यहां आज भी देश विदेश से लोग ध्यान और साधना करने आते हैं।
 
5.महर्षि महेश योगी आश्रम
भावातीत ध्यान के प्रणेता महर्षि महेश योगी मशहूर रॉक बैंड बीटल्स के सदस्यों के साथ ही वे कई बड़ी हस्तियों के आध्यात्मिक गुरु थे। महर्षि महेश योगी का जन्म 12 जनवरी 1918 को छत्तीसगढ़ के राजिम शहर के पास पांडुका गांव में हुआ। नीदरलैंड्स स्थित उनके घर में 91 वर्ष की आयु में 6 फरवरी 2008 को उनका निधन हो गया। उत्तराखंड के ऋषिकेश में इनका आश्रम है। हालांकि इस मुख्‍य आश्रम में अब कम ही लोग आते हैं लेकिन दुनियाभर में इनके कई आश्रम है जहां लोगों का आना जाना लगा रहता है।
 
 
6.शांतिकुंज हरिद्वार
शांति कुंज के संस्थापक श्रीराम शर्मा आचार्य ने हिंदुओं में जात-पात को मिटाने के लिए गायत्री आंदोलन की शुरुआत की। जहां गायत्री के उपासक विश्वामित्र ने कठोर तप किया था उसी जगह उन्होंने अखंड दीपक जलाकर हरिद्वार में शांतिकुंज की स्थापना की। गायत्री मंत्र के महत्व को पूरी दुनिया में प्रचारित किया। आपने वेद और उपनिषदों का सरलतम हिंदी में श्रेष्ठ अनुवाद किया। 20 सितम्बर, 1911 आगरा जिले के आंवलखेड़ा गांव में जन्म हुआ और अस्सी वर्ष की उम्र में उन्होंने शांतिकुंज में ही देह छोड़ दी। वर्तमान में इसके संचालक डॉ. प्रणव पंड्या हैं।
 
 
7.आर्ट ऑफ लिविंग अंतरराष्ट्रीय केंद्र आश्रम, बेंगलुरु
आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने कर्नाटक के बेंगलुरु से 21 किलोमीटर ग्रामिण क्षेत्र में इस आश्रम की स्थापना 1982 में की थी। इस आश्रम का उद्देश्य एक तनाव और हिंसा मुक्त समाज का निर्माण करना। 150 से भी अधिक देशों के 300 मिलियन लोगों तक इस आश्रम की पहुंच है। 1981 में श्रीश्री फाउंडेशन के तहत उन्होंने 'ऑर्ट ऑफ लिविंग' नामक शिक्षा की शुरुआत की थी।
 
 
8.ईशा योग केंद्र, कोयंबटूर
कोयंबतूर के पास वेल्लिंगिरी पहाड़ों की तलहटी में स्थित ईशा योग केंद्र एक आध्यात्मिक आंदोलन है जो शिव से जुड़ा हुआ है। योग केंद्र का प्रमुख केंद्र-बिंदु ध्यानलिंग है। इस केंद्र की स्थापना सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने 1992 में की थी। यहां प्रतिवर्ष लाखों लोग ध्यान और योग करने आते हैं। कहते हैं कि इस संस्‍था के करीब 20 लाख स्वयंसेवक हैं। 
 
 
9.माता अमृतानंदमयी आश्रम, कोल्लम
केरल के कोल्लम में यह आश्रम है, जहां पर दुनियाभर के लोग माता अमृतानंदमयी से गले मिलने आते हैं और माता भी दुनियाभर में लोगों से गले मिलने जाती है। अमृतामयी को उनके भक्त प्यार से 'अम्मा' कहते हैं। 27 सितंबर 1953 में केरल के एक छोटे से गांव आल्लपाड में एक गरीब मछुआरे परिवार में जन्मी माता अमृतानंदमी का मूल नाम सुधामणि है। अम्मा ने भारत सहित कई पूर्वी देशों में गरीबों के लिए लाखों मकान बनाकर दिए और भूकंप से पीड़ित, बाढ़ से पीड़ित या दंगों से पीड़ित सभी लोगों की मदद की। अम्मा ने कभी भी सेवा की आड़ में धर्मांतरण या धन जुटाने का कार्य नहीं किया। 
 
10.इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णाकांशसनेस अर्थात इस्कॉन, वृंदावन
इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णाकांशसनेस अर्थात इस्कॉन कृष्‍ण भक्त का दुनिया का सबसे बड़ा संगठन है। इनका सबसे बड़ा मं‍त्र है 'हरे रामा-हरे रामा, राम-राम हरे हरे, हरे कृष्ण-हरे कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण हरे हरे'। दुनियाभार में यह मंत्र जपते-गाते हुए कई देशी और विदेशी लोग आपको न्यूयॉर्क, लंदन, बर्लिन, मास्को, मथुरा, वृंदावन की सड़कों पर मिल जाएंगे। इस आंदोलन की शुरुआत श्रीमूर्ति श्री अभयचरणारविन्द भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपादजी (1896-1977) ने 1966 में न्यूयॉर्क सिटी में की थी। इनका प्रमुख आश्रम वृंदावन में स्थित है जहां आपको सिर्फ विदेशी हिन्दू ही नजर आएंगे।
 
 
11.ओशो इंटरनेशनल मैडिटेशन रिसोर्ट, पुणे
पहले इसका नाम ओशो कम्यून था। पुणे शहर के कोरेगांव पार्क इलाके में 28 एकड़ में फैले इस आश्रम का निर्माण सन् 1974 में ओशो ने करवाया था। यह आश्रम दुनिया का सबसे अनूठा आश्रम है और यहां दुनियाभर से लोग ध्यान करने आते हैं। यहां बहुत कुछ है क्योंकि अब यह रिसोर्ट है। आश्रम में प्रवेश से पहले मुख्य गेट पर बने रिसेप्शन सेंटर पर 1500 रुपए में रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है।