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Written By WD

प्रेम को प्रगाढ़ बनाते हैं उपहार

प्रेम को प्रगाढ़ बनाते हैं उपहार -
- विलास जोशी

NDND
यदि आप दांपत्य जीवन को हमेशा खुशहाल बनाए रखना चाहते हैं तो अपनी पत्नी और बच्चों को हमेशा किसी भी बहाने कुछ न कुछ उपहार देते रहिए। उपहारों के माध्यम से हम जिन भावनाओं का संप्रेषण करते हैं, वे हमेशा-हमेशा के लिए हमारे अपनों के दिल को छू लेती है और पारस्परिक रिश्तों को और अधिक गहरा और मजबूत बनाने में मददगार साबित होती हैं।

यह मेरा अपना निजी अनुभव भी है। जब यह बात मैंने अपने मित्रों को बताई तो वे भी मेरा अनुकरण करने लगे। इस बारे में कुछ मित्रों से रोचक अनुभव भी सुनने को मिले।

मेरे एक मित्र हैं कमल। उन्होंने बताया कि एक दिन मैं एक साड़ी के विशाल शो-रूम पर गया। जब सेल्सगर्ल ने मुझे अकेले शॉप में आते देखा तो वह एकदम से हँस दी। मैं उसकी हँसी का रहस्य समझ पाता उससे पहले वह बोली- आइए बैठिए। मैंने उसे एक बढ़िया साड़ी दिखाने के लिए कहा। वह बोली- साड़ी आपकी किसी 'गर्लफ्रेंड' के लिए चाहिए या 'पत्नी' के लिए? मैंने कहा- 'साड़ी मुझे मेरी पत्नी के लिए ही चाहिए।'

  यह एक निर्विवाद सत्य है कि एक पति के हृदय में अपनी पत्नी के लिए और एक पत्नी के हृदय में अपने पति के लिए अथाह प्यार होता है, जिसे वे कई बार शब्दों में व्यक्त करने की बजाय उपहारों के माध्यम से प्रकट करते हैं।      
फिर उसने एक से बढ़कर एक साड़ियाँ दिखाना चालू किया और धीरे से बोली- क्या भाभीजी आप पर नाराज हैं या आपसे कोई गलती हो गई है, जो उन्हें मनाने के लिए बढ़िया साड़ी ले जा रहे हैं?' उसकी बात सुनते ही मुझे हँसी आ गई। उसने तत्काल मुझे पूछा- आप क्यों हँसे? मैंने कहा- पहले तुम बताओ कि जब मैं शो-रूम की तरफ आ रहा था, तब तुम क्यों हँसी थी?

वह बोली- भाई साहब, मुझे आपको देखते-देखते दस साल हो गए। आप मुझे जानते हैं और मैं भी आपको अच्छी तरह से जानने लगी हूँ। इतने सालों में आज तक आप एक बार भी अकेले साड़ियाँ खरीदने नहीं आए। आज पहली बार आप अकेले आए हैं, इसलिए मुझे हँसी आ गई थी।

खैर...। मेरे मित्र ने साड़ी खरीदी और अपनी पत्नी को दी तो वह बहुत खुश हो गई और बोली- आप मेरी पसंद खूब जानते हैं। साड़ी वाकई बहुत अच्छी है। कुछ दिनों बाद मेरे एक दूसरे मित्र मिले और बातों ही बातों में उन्होंने मुझे अपना अनुभव सुनाया- यार, एक दिन दफ्तर से लौटते समय मेरी नजर सड़क की बाजू में लगी वेणी की दुकान पर पड़ी। मैंने सोचा, चलो आज एक वेणी उपहार के रूप में शकुंतला (पत्नी) के लिए ले चलते हैं। मैं वेणी लेने पहुँचा तो दुकान वाली बाई बोली- क्यों भैया, सुबह भाभी से झगड़ा-वगड़ा हो गया था क्या, जो उसे मनाने-खुश करने के लिए वेणी ले जा रहे हो?

मैंने उसे कहा- बाईजी ऐसी कोई बात नहीं है। यह वेणी मैं अपनी पत्नी को एक छोटे-से उपहार के रूप में देना चाहता हूँ। वह एकदम से बोली- भैया माफ करना, ज्यादातर ग्राहक तो वेणी तभी ले जाते हैं, जब उनसे कोई गलती हो गई हो या उनका कोई बाहर का लफड़ा हो। उस मित्र ने भी अपनी पत्नी को वेणी दी तो वह बहुत खुश हो गई और बोली- आपका ये खुशबूदार उपहार सदा याद रहेगा। मैं इसे जिंदगीभर नहीं भूलूँगी।

एक दिन मैं और मेरी पत्नी मेघदूत गार्डन में घूम रहे थे तभी मेरा एक मित्र विनय हमें मिला और बातों ही बातों में उसने हमें बताया कि- इस वर्ष बोनस मिलने पर मैंने तुम्हारी भाभी के लिए एक सोने का नेकलेस उपहारस्वरूप देने के लिए खरीदा और उसे भेंट किया। वह नेकलेस उसने अपनी एक सहेली को बताया। शानदार और महँगा नेकलेस देखते ही वह बोली- यार चन्द्रकला, तेरे पति ने तुझे इतना महँगा उपहार दिया है, उनका कहीं बाहर चक्कर-वक्कर तो नहीं चल रहा, जो तुझे बहलाने के लिए ये उपहार पकड़ा दिया?

मेरी पत्नी ने जो जवाब उसे दिया उसे सुनकर तो मैं भी दंग रह गया और उसके प्यार का लोहा मान गया। उसने कहा- अरे पगली, हम दोनों में इतनी गहरी समझ और इतना खुलापन है कि उनकी सारे बातें ये मुझे बताते हैं और मैं उनको, इसलिए हम दोनों में किसी बाहरी-तीसरे के आने का तो सवाल ही नहीं उठता। फिर उनके दिए उपहार को संदेह की नजर से देखना हमारे प्यार का अपमान है।

इन तीनों अनुभवों ने मुझे सोचने के लिए विवश कर दिया कि कोई पति या पत्नी, अपनी पत्नी या पति और बच्चों के लिए कोई उपहार ले जाए तो उसे संदेह की नजर से नहीं देखना चाहिए, क्योंकि यह एक निर्विवाद सत्य है कि एक पति के हृदय में अपनी पत्नी के लिए और एक पत्नी के हृदय में अपने पति के लिए अथाह प्यार होता है, जिसे वे कई बार शब्दों में व्यक्त करने की बजाय उपहारों के माध्यम से प्रकट करते हैं। यह संभव है कि कुछ एक पतियों ने इसे पत्नी को खुश करने के लिए बतौर एक फार्मूला उपयोग भी किया हो! लेकिन यह सर्वथा सत्य नहीं है।

प्रायः अधिकतर पति-पत्नी ऐसे होते हैं, जिनमें इतनी आपसी गहरी समझ होती है कि वे दोनों अपनी-अपनी पात्रता और स्थिति के अनुकूल एक-दूसरे को उपहार देते रहते हैं और अपने दांपत्य जीवन को खुशियों से हरा-भरा रखते हैं। कुछ दंपति ऐसे भी हैं, जो एक-दूसरे को मूल्यवान उपहार नहीं दे सकते तो भी कोई बात नहीं। वे कम से कम अपने चेहरे पर मुस्कान लाकर हँसी का अमूल्य उपहार तो दे ही सकते हैं।

आपका खिला हुआ चेहरा किसी की दिनभर की थकान को एक मिनट में मिटा सकता है। हाँ, उपहार का मूल्य समझने के लिए हृदय में सच्चा प्यार और कोमल भावनाएँ होना आवश्यक है, जो कुदरत ने हमें बिना माँगे ही दी है। आवश्यकता है तो बस इस अमूल्य सौगात को समझने और उनका हृदय से मूल्यांकन करने की, बजाय उनको शकभरी नजरों से देखने की।