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फादर्स डे : पापा के संग खूबसूरत था बचपन

फादर्स डे : पापा के संग खूबसूरत था बचपन। 2019 Father day - Father day
- शिखा पलटा
 
मम्मी नानु के साथ साइकिल चलाऊंगा...बाहर नानु मेरा इंतजार कर रहे हैं। यह कहकर मेरा बेटा साइकिल लेकर भाग गया। बग्गु को साइकिल चलवाते देख अपने बचपन की याद आ गई। इसी तरह आप मुझे भी साइकिल चलवाया करते थे।

 
बचपन से ही आप मुझे अपने साथ मॉर्निंग वॉक पर ले जाते थे। आप जल्दी-जल्दी चलते जाते थे और मैं आपके पीछे-पीछे दौड़ती थी। बचपन से ही आपने खेलकूद और पढ़ाई को बराबर का महत्व दिया। स्केटिंग के दिन आज भी मुझे याद हैं।
 
मैं आठ साल की थी, तब आप मुझे गर्मी की छुट्टियों मैं स्केटिंग की क्लासेस ले गए थे। जब पहली बार मैं स्केटिंग प्रति‍योगिता मैं प्रथम आई थी, तब आपके चेहरे पर खुशी का ठिकाना न था। मेरा हौंसला और बढ़ता गया और मैं सुबह शाम और अभ्यास करने लगी। उसके लिए सुबह-सुबह पांच बजे मुझे डेली कॉलेज के सामने रोज अभ्यास के लिए जाना पड़ता था। कोच समय के बहुत पाबंद थे।


सुबह 5:15 के बाद आने पर या तो बहुत कड़ी सजा होती थी या फिर वापस घर भेज दिया जाता था। कभी-कभी काम के कारण आप रात मैं लेट हो जाते थे और फिर भी मैं आपको 4:15 पर उठा देती थी। "पापा 4:45 हो गया है जल्दी उठिये नहीं तो लेट हो जाएंगे।" मैं घड़ी को आगे कर दिया करती थी।

 
मैं जब तक अभ्यास करती थी तब तक आप भी मेरी स्केटिंग देखते हुए अपनी कसरत किया करते थे। बहुत बार रोड पर अभ्यास करते वक्त गिर जाती थी और बहुत चोट लग जाती थी। आप देखते रहते थे, लेकिन बीच क्लास में कभी उठाने नहीं आते थे। जैसे ही क्लास खत्म होती थी, सबसे पहले चोट पर मलहम पट्टी किया करते थे।
 
मुझे आज भी याद है, नेशनल के सिलेक्शन का दिन था...मेरे स्केट्स आपने डिजाइन किए थे। दौड़ कि शुरुआत में ही मुझे किसी ने धक्का दे दिया था। मेरा पूरा आत्मविश्वास उस समय हिल गया था। फिर पीछे से आप जोर से चिल्लाए और मैं उठ के दौड़ी। मेरा सिलेक्शन भी हुआ...एक बार नहीं, दो बार नेशनल ओपन किए। पढ़ाई के साथ-साथ खेल में भी एक पहचान बनाई, क्योंकि आपका और मम्मी का साथ हमेशा था। आज कल की पीढ़ी को किताबों और मोबाइल फोन में घुसा हुआ देख अपने आप को बहुत सौभाग्यशाली मानती हूं, कि मेरे जीवन में आप लोगों ने पढ़ाई और खेल दोनों को बराबर महत्व दिया।

 
यह देख बहुत दुःख होता है कि आजकल के माता पिता बढ़ती जिम्मेदारियों के कारण अपने ही बच्चों को समय नहीं दे पाते। आज बग्गु को भी उसी तरह समय देना चाहती हूं और खेल का महत्व बताना चाहती हूं।
 
यह बहुत छोटा शब्द है पर आपको शुक्रिया कहना चाहती हूं, उस समय के लिए जो आपने मुझे दिया। अब आपसे एक गुजारिश करना चाहती हू्ं...फिर उसी तरह मॉर्निंग वॉक पर जाना चालू कीजिए। अपनी सेहत का खयाल रखिए। हैप्पी फादर्स डे...

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