बुधवार, 24 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. वीमेन कॉर्नर
  3. डोर रिश्तों की
  4. A short story about relationship kahi ankahi

कही-अनकही 22 : जब भरोसा 'डिलीट' हो जाए तब....

कही-अनकही 22 : जब भरोसा 'डिलीट' हो जाए तब.... - A short story about relationship kahi ankahi
ट्रस्ट डेफिसिट 
बजट पेश हुआ, चुनाव भी हो चुके। और फिर एक बार सामने आई वही ‘टर्मिनोलॉजी’ – डेफिसिट, प्रॉफिट, आरोआई, इत्यादि। वैसे आजकल ‘ट्रस्ट डेफिसिट’ भी चलन में है। जब आप किसी में अपने भरोसे का निवेश करें और घाटा हो जाए–यानि आपका भरोसा टूट जाए। एक बार नहीं, बार-बार। कैसे? ऐसे कि अगर आप किसी के करीब हैं, तो आपका पार्टनर भी उसका दोस्त बन सकता है। दोस्त न सही, कम से कम जान-पहचान, ‘हेलो-हाय’ तो हो ही सकती है। ये भी नहीं तो कम से कम उसके बारे में कभी न कभी कोई बात तो कर ही सकता है। लेकिन ‘अपोजिट जेंडर’ के दोस्तों से आपका पार्टनर छुप कर बात क्यों करता है? या तभी जब आप आसपास न हों? क्या आपके लिए भी यह ‘ट्रस्ट डेफिसिट’ के समान है? एना के लिए ये सब धुंधला था।
 
ऑफिस से आ कर, काम निपटा कर जब वह आदि का इंतज़ार करती, और फ़ोन लगाती, तो हमेशा व्यस्त रहता। अजीब बात ये है कि आदि का कहना था कि वह ऑफिस में इतना व्यस्त रहता है की उसे वॉशरूम जाने या एना के बनाए हुए टिफिन खाने की भी फुर्सत नहीं होती।
 
‘हाँ, बिजी था मेरा फ़ोन क्योंकि हमारा ऑफिस ‘एक्सपांड’ कर रहा है। दूसरे शहरों के क्लाइंट और ऑफिस के लोगों से दिनभर फ़ोन पर बात होती है’, वह हमेशा कहता।
 
एक दिन 8.30 बजे रात को एना ने घर आ कर आदि को फ़ोन लगाया। फ़ोन व्यस्त। वह घर आया, फ़ोन पर ही बात करता रहा। दिनभर में अब एना से मिला लेकिन मुस्कुराने का तो सवाल ही नहीं। फ़ोन पर जैसे कुछ छुपा रहा हो-‘हाँ। हम्म। हाँ। देखते हैं कल। कल पक्का। ह्म्म्म.’
 
एना ने सफाई की। खाना बनाया। इस्त्री के कपड़े जमाए। अलमारी साफ़ की। आदि ऑफिस के कपड़े बदलने कमरे में गया और 45 मिनट तक बाहर नहीं आया । एना ने जा कर देखा लेकिन आदि अब भी फ़ोन पर था। आदि इशारे से बोला कि एक मिनट में आ रहा है।
 
‘क्या हुआ आदि? सब ठीक है? परेशान लग रहे थे फ़ोन पर।’
‘हाँ। सब ठीक है। ऑफिस का काम था।’
इतने में आदि की कथित दोस्त नेहा ने आदि के फ़ोन पर मैसेज भेजा- ‘ऐसे कब तक चलेगा? खुद के घर में बात नहीं कर सकते?’
2. 
अगले दिन आदि ऑफिस से आया तो एना ने खाना लगा दिया। आदि जब कपड़े बदलने गया तो लगातार किसी को मैसेज करता रहा और परेशान दिख रहा था। परेशान लग रहा है। आदि बोला एक मिनट में आ रहा है।
 
‘दिन कैसा रहा आदि?’
‘हम्म। ठीक था।’
‘सब ठीक है? परेशान हो?’
‘बस ऑफिस का काम, एना।’
इतने में आदि की दूसरी ‘कथित दोस्त’ दिया का मेसेज आया: ‘थैंक यू फॉर द एडवाइस डिअर। चलो अब डिस्टर्ब नहीं करुँगी वरना एना को पता चल जाएगा।’

3.
अगले दिन आदि जब ऑफिस से लौटा और कपडे बदलने गया, तो 50 मिनट तक बाहर ही नहीं आया। एना देखने गई। वह पलंग पर बैठा फ़ोन पर बात कर तह था और इशारे से कहा की वह अपने पेरेंट्स से कुछ बात कर रहा है। आदि ने कुछ पैसे के लेन-देन की बात की। लाखों में। किसी प्रॉपर्टी के लिए। एना को इस बारे में कुछ नहीं मालूम। एना को नहीं मालूम आदि कितना कमाता है। कितनी बचत कर पाता है। किससे बात कर रहा है। कहाँ जा रहा है  आदि को सब पता है लेकिन। एना के बैंक डिटेल। एना के पासवर्ड। एना के मेसेज। एना के फ़ोन कॉल्स। एना के कलीग। एना के दोस्त। बस एना को कभी नहीं बताता कुछ, क्योंकि सब बस ‘वर्क-इशू’ है।
 
एना फिर आदि को देखने गई। आदि ने कमरे का दरवाज़ा अटका रखा था और बालकनी में फ़ोन पर बात कर रहा था।एना ने आवाज़ दी, लेकिन आदि ने नहीं सुना। एना वहीं खड़ी सफाई करने लगी। आदि की पीठ थी उसकी ओर। उसने फ़ोन पर कहा- ‘अच्छा हुआ एना को नहीं पता चला। वो तो सीधे छोड़ कर चले जाएगी मुझे! हाहाहा!’
एना ने सुना।
‘क्या नहीं पता मुझे आदि?’
आदि घबरा गया।
‘क्या बोल रही हो एना?’
‘तुम बोल रहे हो, कि अच्छा हुआ एना को पता नहीं चला। क्या पता नहीं चला मुझे?’
‘कब बोला मैंने?’
‘अभी बोले तुम फ़ोन पर। किसका फ़ोन है?’
‘नहीं बोला मैं। तुम जाओ खाना लगाओ।’
‘इधर बताओ किसका फ़ोन है?’
आदि ने फ़ोन काट दिया। एना को दिख गया कि फ़ोन नेहा का था।
‘क्या दिक्कत है तुमको एना? अपने घर में क्या मैं शांति से बात भी नहीं कर सकता?’
एना पर चिल्लाते हुए, उसका ध्यान भटकाने की कोशिश करते हुए आदि ने धीरे से फ़ोन बंद करने की कोशिश की। उसे लगा एना ने नहीं देखा। आदि ने कॉल डिटेल डिलीट कर दिए। फिर मेसेज भी डिलीट कर दिए।
और नेहा ने एना का आदि पर भरोसा डिलीट कर दिया, ट्रस्ट डेफिसिट की तरह।
ये भी पढ़ें
World Autism Awareness Day 2022 - विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस, इस बीमारी पर बन चुकी है कई फिल्‍में