गुरुवार, 18 अप्रैल 2024
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Written By WD

मायके से विदा होगी मां नंदा...आंखों से छलके आंसू...

ललित भट्‌ट देहरादून से

मायके से विदा होगी मां नंदा...आंखों से छलके आंसू... -
छठे दिन मां नंदा अपने मायके के अंतिम गांव भगौती में प्रवास करेंगी। नंदादेवी राजजात यात्रा आज छठे दिन लाटू देवता जो कि नंदा के भाई माने जाते हैं, के सानिध्य में आगे बढ़ी थी। कल लाटू ने कोटी गांव में नंदादेवी का स्वागत किया था। नंदा अपने पीहर के रास्ते में है।
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शिव के पास त्रिच्चूल पर्वत की जड़ तक होमकुण्ड में उन्हें आगामी दिनों में एक चौसिंगिया खाडू यानि चार सींग वाले भेड़ के बच्चे के साथ छोड़ा जाएगा। यह चौसिंगिया मेढ़ा इन दिनों इस राजजात का नेतृत्व कर रहा है।

इस दौरान नंदा अपने माइके के तमाम गांवों से होकर विदा हो रही है। यह दृश्य हर गांव में अत्यन्त द्रवित करने वाला है। गांव में नंदादेवी की छन्तोलियां आती हैं ता नंदा के जयकारे लगाते लोग खुशी से झूम उठते हैं। लेकिन जैसे ही गांव से नंदा विदा लेने लगती है औरतें, बच्चे, बड़े-बूढ़े सभी रोने बिलखने लगते हैं।

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बेटी को ससुराल भेजने के लिए कई प्रकार के साजोसामान भी ग्रामीण छन्तोलियों में देते हैं लेकिन सभी इसी बात की चिंता में रहते हैं कि बेटी यानि नंदा तू ससुराल कैलाश में कठिन परिस्थितियों में भंग धतूरा खानेवाले शिव के साथ कठिन जिंदगी कैसे बसर करेगी। कल से नंदा शिव के क्षेत्र यानि अपने ससुराल क्षेत्र में प्रवेश करेगी। कुलसारी पहला पड़ाव होगा जो ससुराल क्षेत्र में हैं।

ग्रामीण इस नंदा को बेटी तो मानते हैं अपनी कुलदेवी के रूप में भी पूजते हैं। कोटी के रतूड़ा, खंडूरा, चूलाकोट, थापली और बगोली गांव की छन्तोलियां भी आज नंदा की राजजात में शामिल हो गई। आज मां नंदा की राजजात भगौती गांव पहुंचेगी। आज रास्तें पड़ने वाले धतोड़ा नामक स्थान पर मल्लयुद्ध किए जाने की भी परम्परा को निभाया गया है।
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ऐसी मान्यता है कि देवी ने यहां पर राक्षसों के साथ युद्ध किया था। कल जब सेम गांव से नंदा राजजात कोटी गांव की ओर रवाना हुई थी तो सेम के अगले गांव घंडियाल में घंडियाल देवता और नैंजी देवी से नंदा की भेंट हुई थी। यहां से आगे जाने पर सिमतोली और धारकोट गांव के ग्रामीणों ने उसका भव्य स्वागत किया था। धारकोट की करीब 4 किलोमीटर नीचे उतरने पर उसका रात्रि विश्राम कोटी गांव में हुआ था।
गांव पहुंचने पर भक्तजनों द्वारा रात्रि जागरण कर जागर गाए जाने की परम्परा है। इस क्षेत्र के तमाम गांवों में नंदा की महिमा को लेकर जन गीत जिन्हें जागर कहा जाता है रातभर गाए जाते हैं। धीरे-धीरे जैसे-जैसे नंदा राजजात यात्रा आगे बढ़ रही है उसका स्वरूप बढ़ा होते जा रहा है।
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नंदा राजजात यात्रा नौटी से कोटी तक 50 किलोमीटर दूरी तय कर चुकी है। यह यात्रा 280 किलोमीटर लम्बी है। दुर्गम रास्तों से होकर गुजरने वाली विश्व की कठिनतम धार्मिक यात्रा मानी जाने वाली इस यात्रा के दर्मियान खाली हो रहे गांवों की त्रासदी भी देखने को मिली है। नंदा इन गांवों के ग्रामीणों को घर वापस बुला रही है। नंदा की जात के दर्शन पाने कई ग्रामीण जो यहां छोड़ चुके हैं, घरों की ओर आने को विवश हैं। हालांकि यह लोग नंदा को विदा कराकर वापस नए ठिकानों को लौंट जायेंगे। लेकिन इस बहाने अपने गांवों को तमाम असुविधाओं एवं कठिनाइयों के बीच छोड़ आने की पीड़ा उनके चेहरे पर स्पष्ट दिखाई दे रही है। आधे से ज्यादा घरों में ताले हैं कुछ लोग मां के दर्शनार्थ आए हैं तो वे अपने सम्बन्धियों के घरों में ही रह रहे हैं।
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राजजात को देखने शहरों से तो लोग पहुंच ही रहे हैं। कई लोग जो विदेशों में काम कर रहे हैं, भी घर पहुंचकर अपने घरों की सफाई व इस आयोजन के लिए रंग रोगन करते हुए भी दिखे। जिस गांव से नंदा गुजर रही है उस गांव के अधिकांश घरों के बंद दरवाजे खुलते दिखना यह अहसास करा रहा है कि मानों नंदा देवी इन ग्रामीणों से कह रही हो आओ इन वीरान गांवों को मत छोड़ों मैं तुम्हें यहां देखना चाहती हूं। तुम नहीं रहोगे तो मेरा स्वागत कौन करेगा मुझे कैलाश भेजने का काम कैसे आगे बढ़ेगा।