गुरुवार, 18 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. प्रादेशिक
  4. jammu Kashmir, Kashmir violence,
Written By
Last Modified: शुक्रवार, 1 जुलाई 2016 (17:46 IST)

जेहादियों के समर्थन में कश्मीरियों की हिंसा

जेहादियों के समर्थन में कश्मीरियों की हिंसा - jammu Kashmir, Kashmir violence,
श्रीनगर। पिछले दिनों आईएएनएस ने 28 जून, 2016 को समाचार दिया कि जिहादी आतंकवादियों के मारे जाने के बाद कश्मीर के मुस्लिमों ने दंगा किया, पुलिसकर्मियों पर पत्थर फेंके और पुलिस वाहनों को आग लगाई। हिज्बुल मुजाहिदीन के एक शीर्ष आतंकवादी को सुरक्षा बलों ने सोपोर में मार गिराया था। लेकिन सोपोर के लोगों ने सेना, पुलिस की कार्रवाई का हिंसक विरोध किया।   
पुलिस का कहना है कि समीर वानी उस समय मारा गया था जब कुपवाड़ा से करीब सौ किमी दूर नागरी गांव के एक घर को सुरक्षा बलों ने घेर लिया। पुलिस को सूचना मिली थी कि घर में कुछ आतंकवादी छिपे हुए हैं। एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि सुरक्षा बलों पर छिपने के ठिकाने से गोलियों की बरसात की गई। दोनों ओर हुई भारी गोलीबारी के कारण उत्तर कश्मीर में हिज्ब का डिवीजनल कमांडर समीर वानी मारा गया। 
 
वानी के मारे जाने की सूचना जैसे सोपोर के दुरू गांव में पहुंचे सैकड़ों की संख्या में गांववाले घरों से निकल आए और उन्होंने सरकार विरोधी, स्वतंत्रता के समर्थन में नारे लगाए। प्रत्यक्षदर्शियों और सरकारी अधिकारियों का कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने शिवा क्षेत्र में उस पुलिस वाहन को आग लगा दी हालांकि इसमें बैठे लोगों को निकल जाने दिया गया।
 
दर्जनों की संख्या में मोटरसाइकलों पर सवार युवाओं ने उग्रवादी कमांडर के शव को एक जुलूस की शक्ल में गांव ले गए। जहां पर जमाजे की नमाज अदा की गई। वानी की मौत के साथ ही सार्वजनिक वाहन बंद हो गया और सभी बाजार बंद हो गए। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया और पुलिस ने भी उपद्रवियों को तितर बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।   
 
इस घटना के बाद से क्षेत्र में और इसके आसपास तनाव पैदा हो गया है। लेकिन इस घटना के बाद पुलिस को यह जानकारी हो गई है कि पाकिस्तानी और कश्मीर के स्थानीय आतंकवादियों को स्थानीय लोगों का संरक्षण मिलता है। और वे उनकी खुलेआम मदद करते हैं। पहले वे सुरक्षा बलों और पुलिस को खुफिया जानकारी भी देते थे लेकिन अब वे आतंकवादियों के सबसे करीबी सहयोगी हो गए हैं। उनकी मदद से आतंकवादी पूरी तरह से निर्भय होकर वारदातों को अंजाम देते हैं। यह सरकार के लिए चिंता की बात है और ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए सरकार, सुरक्षा बलों और पुलिस को एक नीति बनानी होगी। 
ये भी पढ़ें
मलेशिया के कट्‍टर इस्लामी देश बनने का खतरा