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Last Updated : रविवार, 26 जून 2022 (20:12 IST)

असम में बाढ़ की स्थिति गंभीर, 27 जिलों में 25 लाख से ज्‍यादा लोग प्रभावित, CM सरमा ने माना- सभी प्रभावितों तक नहीं पहुंच पा रही मदद

असम में बाढ़ की स्थिति गंभीर, 27 जिलों में 25 लाख से ज्‍यादा लोग प्रभावित, CM सरमा ने माना- सभी प्रभावितों तक नहीं पहुंच पा रही मदद - Flood situation critical in Assam, more than 25 lakh people affected in 27 districts
गुवाहाटी। असम में रविवार को भी बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी रही। राज्य के लगभग 25 लाख लोग अब भी बाढ़ की चपेट में हैं, हालांकि कुछ इलाकों में नदियों का जल स्तर कम हो रहा है। राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने दिन के दौरान बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित कछार जिले के सिलचर का दौरा किया और बराक घाटी शहर में बाढ़ से हुए नुकसान का जायजा लिया। मुख्यमंत्री सरमा ने माना कि सभी बाढ़ प्रभावितों तक मदद नहीं पहुंच पा रही है।

असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) के ताज़ा बुलेटिन के अनुसार, राज्य के 27 बाढ़ प्रभावित जिलों में 25 लाख से अधिक लोग अभी भी कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, जिनमें 79 राजस्व मंडल और 2,894 गांव शामिल हैं।

पिछले दो सप्ताह से बाढ़ और भूस्खलन से जूझ रहे पूर्वोत्तर राज्य के 637 राहत शिविरों में 2.33 लाख लोगों ने शरण ले रखी है। एएसडीएमए बुलेटिन में कहा गया है कि 259 वितरण केंद्रों या अस्थाई रूप से खोले गए बिंदुओं के माध्यम से प्रभावित लोगों को राहत सामग्री वितरित की जा रही है।

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ), दमकल और आपातकालीन सेवाएं, पुलिस और एएसडीएमए स्वयंसेवक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित निकालने में जिला प्रशासन की मदद कर रहे हैं।

बुलेटिन में कहा गया है कि विभिन्न एजेंसियों ने अब तक 67,237 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। असम के अलग-अलग हिस्सों में बाढ़ के कारण शनिवार को चार और लोगों की मौत हो गई, जिससे राज्य में इस साल बाढ़ और भूस्खलन में जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 121 हो गई है। एएसडीएमए ने कहा कि कामरूप मेट्रोपॉलिटन जिले से ताज़ा भूस्खलन की सूचना मिली है।

पिछले 24 घंटों के दौरान, राज्य में औसतन सात मिमी बारिश हुई है। केंद्रीय जल आयोग के बुलेटिन के अनुसार, नगांव के धरमतुल में कोपिली नदी, करीमगंज में बीपी घाट पर बराक और कछार में एपी घाट तथा करीमगंज शहर में इसकी सहायक कुशियारा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।

मुख्यमंत्री सरमा ने माना प्रभावितों तक नहीं पहुंचा प्रशासन : असम में कछार जिले का सिलचर शहर करीब एक सप्ताह से बाढ़ की वजह से जलमग्न है। इस बीच, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने रविवार को स्वीकार किया कि प्रशासन अब तक सभी प्रभावित लोगों तक नहीं पहुंच सका है। उन्होंने कहा कि राहत और बचाव अभियान में लगी सभी एजेंसियों को लोगों तक पहुंचने के अभियान को तेज करने और यथाशीघ्र सभी प्रभावितों तक पहुंचने की कोशिश करने का निर्देश दिया गया है।

सरमा स्थानीय लोगों से स्वयं हालात का जायजा लेने के लिए पानी में पैदल चलकर बाढ़ प्रभावित इलाके में गए और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की नौका में बैठकर भी स्थिति का जायजा लिया। इस दौरे के दौरान कैबिनेट मंत्री परिमल सुक्लावैद्य, सिलचर से सांसद राजदीप रॉय और कई विधायक, स्थानीय प्रशासन और पुलिस के कई अधिकारी मुख्यमंत्री के साथ मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ हालात और राहत व बचाव अभियान के लिए उठाए जा रहे कदमों की समीक्षा करने के लिए बैठक की। बाद में सरमा ने स्वीकार किया कि प्रशासन अब तक सभी प्रभावितों तक नहीं पहुंच पाया है।

उन्होंने कहा कि कई इलाकों में हम प्रभावित लोगों तक पहुंच नहीं पाए हैं। मैं इससे इनकार नहीं कर रहा। मैंने निर्देश दिया है कि कैसे अधिकतम पहुंच सुनिश्चित की जा सकती है। हम इस मामले पर सुझावों को भी स्वीकार करने को तैयार हैं।

सरमा ने मुश्किल समय में लोगों से एक-दूसरे के लिए खड़े होने की अपील की और सिलचर में लोगों तथा समूहों द्वारा किए जा रहे परोपकारी कार्य की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि प्रशासन का 50 प्रतिशत कार्य परोपकारी संगठनों और लोगों द्वारा किया जा रहा है। लोग कुल मिलाकर राहत कार्यों से खुश हैं। यह संभव नहीं है कि सभी व्यक्तियों तक पहुंचा जाए, लेकिन मोटे तौर पर हम हर उस व्यक्ति तक पहुंचे हैं जिसने मदद मांगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शहर (सिलचर) में सोमवार या मंगलवार को चिकित्सा शिविर लगाए जाएंगे और गुवाहाटी व सेना के डॉक्टर इन शिविरों को चलाने में मदद करेंगे। सरमा ने कहा, बराक नदी में जलस्तर अब भी खतरे के निशान ने ऊपर है।

अब तक नुकसान की चपेट में आईं चीजों की मरम्मत से पहले जल स्तर में कमी जरूरी है। मुख्यमंत्री ने कहा, और अधिक बारिश का पूर्वानुमान है। हम अब यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि अधिक बारिश से कम से कम नुकसान हो।