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Last Modified: इंदौर , शनिवार, 26 मार्च 2016 (14:12 IST)

ब्रुसेल्स हमले की कहानी, डॉ. रजनी भंडारी की जुबानी

ब्रुसेल्स हमले की कहानी, डॉ. रजनी भंडारी की जुबानी - Dr. Rajni Bhandari on Brussels attack
इंदौर। ब्रुसेल्स में आतंकी हमले में फंसे 242 भारतीयों में एक नाम इंदौर की सामाजिक कार्यकर्ता डॉ.रजनी भंडारी का भी हैं। जिस समय हमला हुआ था, वे उसी एयरपोर्ट पर थीं। उन्होंने कहा कि जो घटना मैंने एयरलिफ्ट मूवी में देखी थी उसे खुद रियल लाइफ में महसूस किया।
 
उन्होंने कहा कि 21 मार्च को मैं अमेरिका से वापस इंदौर लौट रही थी। हमारी कनेक्टिंग फ्लाइट ब्रुसेल्स से थी। इस कारण हमारी फ्लाइट ब्रुसेल्स के एयरपोर्ट पर रुकी और हम सभी यात्री हवाई अड्डे के गेट नंबर 40 पर पहुंचे। वहां बैठे थे तभी मुझे कुछ जलने की गंध आई। उसके कुछ देर बाद अचानक भीड़ आने लगी।
 
तब पता चला कि वहां आतंकी हमला हुआ है। सभी यात्री तुरंत एयरक्राफ्ट के पास आकर खड़े हो गए। वहां तेज ठंड थी, लोग कांप रहे थे। ओढ़ने को भी कुछ नहीं था। हर कड़ाके की ठंड में लोगों के पास ओढ़ने के लिए कोई अतिरिक्त गरम कपड़े भी नहीं थे। लेकिन इस बीच डॉ. रजनी अपने परिजनों को खुद के कुशल होने की जानकारी देने की चिंता भी सताने लगी। मैंने वहां मौजूद एक व्यक्ति के फोन से अपनी बेटी को कॉल कर वहां की हालत बताई। जहां हम खड़े थे, उससे कुछ दूर एक सूटकेस रखा दिखा।
 
सभी यात्रियों को एयरपोर्ट पर ही एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस वाले एक हॉल ले जाया गया। वहां बैठने के लिए न तो पर्याप्त कुर्सियां थी और न ही कोई खास इंतजाम। हमारे ग्रुप में ज्यादातर अफ्रीकन थे। भारतीयों में कुछ पंजाबी सरदार भी थे। उनमें इंदौर की एकमात्र मैं थी। सात घंटे हम उस कमरे में रहे।
 
उसके बाद वहां की पुलिस हमें बस में एक सुरक्षित स्थान पर ले गई। जिस स्थान पर हम पहुंचे, वहां हमें भोजन सामग्री, ओढ़ने के लिए चादर व बेड दिया गया। वहां जेट फ्लाइट के कर्मचारी से मैंने बात की तो उसने मदद करने से मना किया। इतना ही नहीं वहां मौजूद भारतीय दूतावास के कर्मचारी ने भी कह दिया कि आप हमारी नहीं, जेट एयरलाइंस की जिम्मेदारी हो।
 
तभी वहां कुछ भारतीय न्यूज चैनल के लोग पहुंचे और उन्होंने चैनल पर मेरी परेशानी बयां की। उसके अगले दिन ही जेट एयरवेट के चार अफसर हमारे पास आए और हमें एम्सटर्डम में एक बेहतर होटल में ले जाया गया। 25 मार्च को सुबह 5 बजे दिल्ली पहुंचे और फिर वहां से मुंबई आई। उसके बाद 1 बजे इंदौर एयरपोर्ट पर पहुंची। जो घटना मैंने एयरलिफ्ट मूवी में देखी थी उसे खुद रियल लाइफ में महसूस किया।