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Last Modified: रविवार, 20 मार्च 2022 (16:44 IST)

पंजाब के CM भगवंत मान ने दफ्तर में लगाई भगत सिंह की फोटो तो क्यों हुआ विवाद? जानिए

पंजाब के CM भगवंत मान ने दफ्तर में लगाई भगत सिंह की फोटो तो क्यों हुआ विवाद? जानिए - Controversy over Bhagat Singh photograph at Punjab CM Bhagwant Mann’s office
चंडीगढ़। पंजाब की आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार बनने के साथ ही शहीद भगत सिंह की तस्वीर को लेकर विवाद छिड़ गया है और परिजनों व शोध करने वाले विद्वानों की मांग है कि भगत सिंह की असली तस्वीरों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
 
आप ने चुनाव प्रचार के दौरान भी और चुनाव जीतने के बाद भी भगतसिंह के नाम को ‘भुनाने’ की कोशिश की है और पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल के भाषणों के अलावा, मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के भगत सिंह की तस्वीर मुख्यमंत्री कार्यालय में लगाने व ‘भ्रष्टाचार विरोधी’ हेल्पलाइन (जो मान का निजी व्हाट्सएप नंबर होगा) को भगत सिंह के शहीदी दिवस पर शुरू करने की घोषणाएं भी की गई हैं। इनमें भगत सिंह की तस्वीर को लेकर विवाद छिड़ गया है।
 
प्रोफेसर चमनलाल ने भगत सिंह के भतीजे शेयोणाण सिंह (वीर चक्र पुरस्कार प्राप्त) की एक पोस्ट का हवाला दिया है जिसमें उन्होंने कहा है कि वह भगत सिंह की दो सच्ची तस्वीरें, एक सफेद पगड़ी में और एक हैट पहने, मुख्यमंत्री और राज्यपाल को देने गए थे ताकि सरकारी कार्यालयों आदि में भगत सिंह की सच्ची तस्वीरें ही लगाई जाएं। लेकिन मुख्यमंत्री या किसी और ने उनसे न मिलने की जरूरत समझी न उनका जिक्र करना जरूरी समझा।
 
उन्होंने मुख्यमंत्री के कार्यालय में भगत सिंह की तस्वीर के संदर्भ में कहा कि यह भगत सिंह के परिवार और उनके सच्चे अनुयाइयों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली है। उन्होंने यह भी बताया कि वह श्री भगवंत मान के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण समारोह में शरीक हुए थे जो मौके की गंभीरता से अछूता था और ‘तमाशे’ जैसा था। 
 
आयोजन, प्रशासन कमजोर था क्योंकि यदि उद्देश्य एक महान शहीद के बलिदान और जीवन का सम्मान करना था तो वैसा नहीं हो पाया। जो थोड़े परिजन वहां परिवार का प्रतिनिधित्व करने का फर्ज निभाने के उद्देश्य से वहां गये, राजनीतिकों, प्रशासन और मीडिया ने उनकी पूरी तरह उपेक्षा की। ऐसा लगा कि यह कच्ची भावुक इच्छा थी जो सही तरीके से अंजाम दी गई।
 
इतिहासकार प्रोफेसर चमन लाल के ब्लॉग भगतसिंह स्टडी पर डाली एक पोस्ट के अनुसार मुख्यमंत्री कार्यालय में लगाई गई भगत सिंह की तस्वीर, जिसमें पीली पगड़ी पहने दिखाया गया है, वास्तविक तस्वीर नहीं है। उनके अनुसार भगत सिंह की चार ही मूल तस्वीरें उपलब्ध हैं। इनमें एक तस्वीर उनके बालपन (11 साल की उम्र) की है और जिसमें वह कुर्ता-पाजामा व सफेद रंग की पगड़ी में कुर्सी पर बैठे हैं।

दूसरी तस्वीर नेशनल कॉलेज के एक ग्रुप फोटो से है, इसमें भगत सिंह पीछे की कतार में सफेद कुर्ता-पजामा व सफेद पगड़ी के साथ नजर आ रहे हैं, ग्रुप फोटो से निकाली अकेले भगत सिंह की यह तस्वीर काफी लोकप्रिय है। तीसरी तस्वीर पुलिस हिरासत में ली गई थी जिसमें उनसे पूछताछ की जा रही है और वह बिस्तर पर बैठे हैं, उनके बाल खुले हुए हैं और चौथी तस्वीर चार अप्रैल 1929 को पुलिस के हायर किये एक फोटोग्राफर ने नकारात्मक जुड़ाव के कारण ली थी और बाद में लाहौर षड्यंत्र मामले में इसकी गवाही भी दी थी।
 
इन चार वास्तविक तस्वीरों के अलावा आम जनता और कलाकारों ने भगत सिंह के कई काल्पनिक चित्र बनाए हैं। पीली पगड़ी वाला चित्र भी एक कलाकार ने बनाया है, इस गीत पर आधारित है - मेरे रंग का बसंती छोला मैं... लेकिन भगत सिंह ने जीवनभर पीली पगड़ी नहीं पहनी। हां, कुछ समय के लिए ननकाना साहिब हत्याकांड के दौरान या जैतो मोर्चा के दौरान, उन्होंने विरोध में काली पगड़ी पहनी होगी, जैसा कि हिन्दी लेखक यशपाल द्वारा प्रमाणित किया गया है, जो स्कूल और कॉलेज दोनों में भगत सिंह के सहपाठी थे।
 
इसी ब्लॉग में बताया गया है कि अमरजीत चंदन के अनुसार, 1975 में अमर सिंह नाम के एक चित्रकार ने पीले या वसंती रंग वाली पगड़ी वाला एक चित्र बनाया था, जो बिना पेंटर के नाम के ही इतना लोकप्रिय हो गया कि केंद्र से लेकर राज्य सरकारों ने विज्ञापनों में हैट वाले मूल चित्र के बजाय उपयोग करना शुरू कर दिया। वैसे कलाकारों ने भगत सिंह की सैकड़ों पेंटिंग बनाई हैं। ब्लॉग के अनुसार तथ्य यह है कि सरकारी कार्यालयों और विज्ञापनों में पूरी दुनिया में ऐतिहासिक हस्तियों की केवल कैमरा से लिये गये चित्रों का इस्तेमाल किया जाता है और यह उचित भी है। 
 
उन्होंने कहा है कि इसलिए अगर कोई सरकार भगत सिंह की तस्वीर को दफ्तरों या विज्ञापनों में इस्तेमाल करना चाहती है तो नैतिक और कानूनी तौर पर असली तस्वीर का इस्तेमाल किया जाना चाहिए और भगत सिंह के परिवार और उन पर शोध करने वाले विद्वान भी लंबे समय से ऐसी मांग कर रहे हैं। (वार्ता)
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