गुरुवार, 28 मार्च 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. अन्य त्योहार
  4. About Goga Navami
Written By

Goga Navami 2022 : कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है गोगा नवमी पर्व, जानें महत्व एवं सरल विधि

Goga Navami 2022 : कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है गोगा नवमी पर्व, जानें महत्व एवं सरल विधि - About Goga Navami
कब है गोगा नवमी : जनमानस में प्रचलित गोगा नवमी पर्व इस बार 20 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा। 
 
क्यों मनाया जाता है- गोगा नवमी का त्योहार वाल्मीकि समाज अपने आराध्य देव वीर गोगादेव जी महाराज के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं। गांव/शहरों में परंपरागत श्रद्धा, भक्ति एवं उत्साह और उमंग के साथ गोगा नवमी के रूप में यह पर्व हर्षोल्लासपूर्वक मनाया जाता है।


गोगा देव की पूजा श्रावणी पूर्णिमा से आरंभ हो जाती है तथा यह पूजा-पाठ 9 दिनों तक चलता है यानी नवमी तिथि तक गोगा देव का पूजन किया जाता है इसलिए इसे गोगा नवमी कहते हैं।
 
 
कहां-कहां मनाया जाता है : मान्यतानुसार गोगा नवमी का त्योहार कई राज्यों में मनाया जाता है। जिसमें खासतौर मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के अलावा राजस्थान में भी काफी धूमधाम से मनाया जाता है, चूंकि यह पर्व राजस्थान का लोकपर्व है। अत: इसे गुग्गा नवमी भी कहा जाता है।

इस वर्ष भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि 20 अगस्त को पड़ रही है और जनमानस में यह तिथि गोगा नवमी के नाम से सुप्रसिद्ध है। इस दिन गोगादेव यानी श्री जाहरवीर का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन नागों की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि गोगा देव की पूजा करने से सांपों से रक्षा होती है। 
 
गोगा नवमी की किवंदती : एक किंवदंती के अनुसार गोगा देव का जन्म नाथ संप्रदाय के योगी गोरक्षनाथ के आशीर्वाद से हुआ था। योगी गोरक्षनाथ ने ही इनकी माता बाछल को प्रसाद रूप में अभिमंत्रित गुग्गल दिया था जिसके प्रभाव से महारानी बाछल से गोगा देव (जाहरवीर) का जन्म हुआ।

यह पर्व बहुत ही श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर बाबा जाहरवीर (गोगाजी) के भक्त अपने घरों में ईष्टदेव की वेदी बनाकर अखंड ज्योति जागरण कराते हैं तथा गोगा देवजी की शौर्य गाथा एवं जन्म कथा सुनते हैं। इस प्रथा को जाहरवीर का जोत कथा जागरण कहा जाता है। 
 
कैसे करें गोगा नवमी पर पूजन, पढ़ें विधि-
 
* भाद्रपद कृष्ण नवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर रोजमर्रा के कामों से निवृत्त होकर खाना आदि बना लें।
 
* भोग के लिए खीर, चूरमा, गुलगुले आदि बना लें।
 
* जब महिलाएं वीर गोगा जी की मिट्टी की बनाई मूर्ति लेकर आती हैं तब इनकी पूजा होती है। मूर्ति आने पर रोली, चावल से तिलक लगाकर बने हुए प्रसाद का भोग लगाएं। कई स्थानों पर तो गोगा देव की घोड़े पर चढ़ी हुई वीर मूर्ति होती है जिसका पूजन किया जाता है।
 
 
* गोगा जी के घोड़े के आगे दाल रखी जाती है।
 
* ऐसा माना जाता है कि रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाइयों को जो रक्षासूत्र (राखी) बांधती हैं, वह गोगा नवमी के दिन खोलकर गोगा देव जी को चढ़ाई जाती है।
 
इस दिन गोगा जी का प्रिय भजन गाया जाता है-
 
भादवे में गोगा नवमी आगी रे, भगता में मस्ती सी छागी रे,
गोगा पीर दिल के अंदर, थारी मैडी पे मैं आया,
मुझ दुखिया को तू अपना ले, ओ नीला घोड़े आळे।
 
मेरे दिल में बस गया है गोगाजी घोड़ेवाला,
वो बाछला मां का लाला वो है, नीला घोड़े वाला,
दुखियों का सहारा गोगा पीर।
 
इस तरह के कई भजन और गीत गाकर गोगा देव का गुणगान किया जाता है।
 
गोगा नवमी की मान्यता एवं प्रचलन : कई स्थानों पर हर वर्ष जन्माष्टमी और गोगा नवमी पर जाटी, जिसे राजस्थान में खेजड़ी नाम से जाना जाता है और गोगा के पौधे की पूजा की जाती है और पूजा किए गए पौधों को विधि-विधान से जल में प्रवाहित किया जाता है। 
 
गोगा नवमी के संबंध में यह मान्यता है कि पूजा स्थल की मिट्टी को घर में रखने से सर्पभय नहीं रहता है। ऐसा माना जाता है कि वीर गोगा देव अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। भाद्रपद कृष्ण नवमी को मनाया जाने वाला गोगा नवमी का यह त्योहार काफी प्रसिद्ध है। कई स्थानों पर इस दिन मेले लगाए जाते हैं एवं शोभायात्राएं निकाली जाती हैं। निशानों का यह कारवां कई शहरों में पूरी रात निकलता है। इस दिन भक्त अपने घरों में जाहरवीर पूजा और हवन करके उन्हें खीर तथा मालपुआ का भोग लगाते हैं।