गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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इन विवादों से रहा मोदी सरकार का नाता

इन विवादों से रहा मोदी सरकार का नाता - Narendra modi government Controversy
प्रधानमंत्री बनने से पहले और इसके बाद नरेन्द्र मोदी कई तरह के विवादों के कारण चर्चित हो चुके हैं। उनसे और उनकी सरकार के मंत्रियों या सांसदों से जुड़े विवादों को लेकर लोगों की रु‍चि रही है। एक वर्ष में इन विवादों से रहा मोदी सरकार का नाता-
 
1. दस लाख के सूट का विवाद : अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस सूट को पहना था, उसकी कीमत दस लाख बताई गई थी। इस सूट की सबसे खास बात यह थी कि इस पर सोने की एक पतली पट्टी पर प्रधानमंत्री का नाम ‘नरेंद्र दामोदार दास मोदी’ लिखा हुआ था। इस सूट की कीमत दस लाख रुपए बताई गई। इसको लेकर मोदी की काफी आलोचना की गई और यह विवाद का विषय बन गया।
बाद में इस सूट की सूरत में नीलामी कर दी गई और एक कारोबारी ने उनका यह सूट खरीदा। कांग्रेस का कहना था कि मोदी जनता के सामने सचाई आने के बाद छवि सुधारने की कोशिश की। कांग्रेस की ओर से कहा गया कि सिर्फ एक बार पहनने के लिए दस लाख रुपए का सूट बनवाना और फिर उसे नीलाम कराना पब्लिसिटी स्टंट है। ऐसा करने से मोदी की कारोबारियों से नजदीकी की गंभीरता कम नहीं हो पाएगी। 
 
2. फर्जी 'नमो' शॉल से उड़ा मजाक :  अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात के दौरान अपने नाम के प्रिंट वाला सूट पहनकर विवाद में रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अब उनकी 'फर्जी' शॉल ने फिर ऐसी ही चर्चा में ला दिया है। ट्विटर पर शेयर की गईं तस्वीरों में बताया जा रहा है कि पेरिस पहुंचने पर पीएम ने जिस शॉल को पहना था, उसके ऊपर एनएम (नरेंद्र मोदी) लिखा हुआ था। हालांकि वास्तविक तस्वीर में ऐसा कुछ नहीं दिख रहा।
 
ट्विटर पर इस शॉल को लुई विटन द्वारा मोदी के लिए बनाए जाने का दावा किया जा रहा है, लेकिन इस शॉल पर किए गए एक ट्वीट पर लुई विटन ने इसका खंडन किया है। लुई विटन ने लिखा है कि यह शॉल उसने नहीं बनाई है।
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3. काले धन को लेकर विवाद :  अपने चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा था कि वे स्विट्‍जरलैंड के बैंकों में जमा काले धन की एक-एक पाई भारत में लाएंगे। इसके बाद एचएसबीसी ने माना कि उसकी स्विस ब्रांच और अन्य जगहों पर भारतीयों के खाते हैं।

एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि एचएसबीसी की सूची में 1195 भारतीयों के नाम हैं। विदित हो कि इससे पहले फ्रांस सरकार ने 2011 में 628 नामों की सूची दी थी। सरकार के प्रयासों से करीब 500 लोगों ने माना कि उनके बिदेशी बैंकों में खाते हैं।
 
मोदी सरकार ने इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया। विशेषज्ञों ने इसी तरह से देश में जमा काले धन को सामने लाने के लिए सरकार को योजना बनानी चाहिए।
4. मंत्री की योग्यता को लेकर विवाद  :  एचआरडी मंत्री स्मृति ईरानी की शैक्षिक योग्यता को लेकर विवाद हुआ।

पहले उन्होंने खुद को ग्रेजुएट बताया और बाद में राज्यसभा में कहा कि उनके पास अमेरिका के येल यूनिवर्सिटी की डिग्री होने की बात कही। उन्होंने कहा कि वे इस डिग्री को दिखा भी सकती हैं और येल यूनिवर्सिटी में उनके नेतृत्व कौशल की सराहना की गई थी।
 
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5. राज्यपालों के त्यागपत्र :  मोदी सरकार के गृह सचिव ने करीब आधा दर्जन राज्यपालों से इस्तीफा देने को कहा। बंगाल के राज्यपाल एमके नारायणन, नगालैंड के राज्यपाल अश्विनी कुमार, यूपी के राज्यपाल बीएल जोशी, गोआ के राज्यपाल बीवी वांगचू और छत्तीसगढ़ के राज्यपाल शेखर दत्त ने केन्द्र सरकार के इशारे पर इस्तीफा दे दिया।
 
गुजरात की राज्यपाल कमला बेनीवाल, केरल की राज्यपाल शीला दीक्षित, उत्तराखंड के राज्यपाल अजीज कुरैशी और महाराष्ट्र के राज्यपाल शंकरनारायणन के तबादले कर दिए गए। शीला दीक्षित ने इसका विरोध किया लेकिन बाद में उन्होंने भी पद छोड़ दिया। जब कुछ राज्यपालों ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया तो अपने मामलों को कोर्ट में ले गए। इससे विवाद हुआ और विपक्षी दलों को सरकार की आलोचना करने का मौका मिला। 
 
6. साम्प्रदायिक टिप्पणियों को लेकर विवाद  :  गोरखपुर के सांसद महंत आदित्यनाथ ने कहा कि देश के जिन जगहों पर मुस्लिम आबादी 10 से 20 फीसदी होती है वहां साम्प्रदायिक तनाव अधिक होता है। जहां मुस्लिमों की संख्या 20 से 40 फीसदी होती है वहां साम्प्रदायिक तनाव गंभीर होता है। और जिन स्थानों पर मुस्लिम आबादी 40 फीसदी से ज्यादा होती है, वहां गैर-मुस्लिम रह ही नहीं सकते।'
 
7. हिन्दू शब्द को लेकर विवाद :  मोदी सरकार में मंत्री रही नजमा हेपतुल्ला ने एक इंटरव्यू में कहा कि राष्ट्रीय पहचान के तौर पर देश के सभी नागरिकों के लिए समान रूप से हिन्दू कहे जाने में कुछ भी गलत नहीं है।

उनका यह बयान संघ की विचारधारा के समान था। इस बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और वे चुप ही रहे।   
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8. सचिवों की नियुक्तियों को लेकर विवाद :  मोदी सरकार में गृहमंत्री राजनाथ सिंह समेत जब कुछ मंत्रियों ने निजी सचिव नियुक्त करने का प्रस्ताव किया तो प्रधानमंत्री ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया।  
 
9. रेप केस में मंत्री का नाम  :  मोदी सरकार को संसद में तब शर्मिंदा होना पड़ा जब केंद्रीय मंत्री निहालचंद का नाम रेप मामले में आने पर विवाद हो गया।

उवर्रक और रसायन मंत्री, निहालचंद मेघवाल और 16 अन्य लोगों के खिलाफ एक 24 वर्षीय विवाहित महिला ने एफआईआर दर्ज कराई कि 2011 में इन आरोपियों ने उसे यौन प्रताड़ना दी थी। सरकार की इस बात को लेकर कटु आलोचना की गई कि मं‍त्रिमंडल में बलात्कार के एक आरोपी को भी शामिल किया गया है। 
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10. सरकार की हिन्दी डिप्लोमेसी की आलोचना :  सरकार के इस निर्देश की आलोचना की गई कि सोशल मीडिया पर हिन्दी का उपयोग किया जाए। कई दलों ने इस निर्देश की यह कहकर आलोचना की कि सरकार अन्य क्षेत्रीय भाषाओं का निरादर कर रही है। सीबीएसई के स्कूलों में संस्कृत भाषा सप्ताह मनाने को लेकर भी विवाद हुआ।   
 
11. पाठ्‍यक्रम और यूपीएससी पर विवाद :  केन्द्र सरकार को दिल्ली विश्वविद्यालय के चार वर्षीय अंडरग्रेजुएट कोर्स को लेकर विश्वविद्यालय के अध्यापकों के एक वर्ग के विरोध का सामना करना पड़ा। अंत में चार वर्षीय अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम को समाप्त कर दिया गया।

अंत में, यूजीसी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से इसे समाप्त करने का आदेश दिया। सरकार के सामने शैक्षिक सुधार को लेकर एक और संकट तब आया जबकि हिन्दी माध्यम के छात्रों ने सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट को हटाने की मांग की और कहा कि यह हिन्दी भाषियों के साथ भेदभाव है। इन मामलों पर हुए विवाद को लेकर मानव संसाधन मंत्रालय की आलोचना की गई कि उसने खुद को इन विवादों से दूर रखा है। 
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12. न्यायिक जवाबदेही बिल पर विवाद  :  नरेन्द्र मोदी सरकार के कामकाज को लेकर एक विवाद हुआ जब सरकार की ओर से कहा कि जजों को चुनने का कॉलेजियम सिस्टम खत्म किया जाएगा और वर्तमान जजों के स्थान पर एक जुडीशियल स्टैंर्ड्‍स एंड अकाउंटिबिलिटी बिल लाया जाएगा। अब सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति का काम एक छ: सदस्यीय आयोग करेगा। सरकार के इस कदम की यह कहकर आलोचना की गई कि यह न्यायपालिका के मामलों में सरकार की दखलंदाजी है। 
 
13. दिल्ली गैंगरेप पर जेटली का बयान :  दिल्ली में हुए गैंगरेप की एक घटना को छोटी बात बताने पर केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली और सरकार की आलोचना की गई।

जेटली ने पर्यटन मंत्रियों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि ' दिल्ली में रेप की एक छोटी सी घटना को सारी दुनिया में इस तरह से प्रचारित किया गया कि इससे हमारे पर्यटन को लाखों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा। 
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14. दागी विधायक को जेड प्लस सुरक्षा :  केंद्र सरकार ने तब एक और आफत मोल ले ली जब गृह मंत्रालय ने उप्र के दागी विधायक संगीत सोम को जेड प्लस सुरक्षा देने का फैसला किया। गृह मंत्रालय ने खुफिया रिपोर्टों के आधार पर कहा ‍क‍ि सोम के जीवन को गंभीर खतरा है, लेकिन इस कदम को लेकर भारी विवाद हुआ क्योंकि मुजफ्‍फरनगर के दंगों में उनकी भूमिका देखी जा सकती थी।
 
15. गिरिराज सिंह के बयानों से विवाद :  केंद्र में मोदी सरकार के बनने से पहले ही नवादा, बिहार के 62 वर्षीय भाजपा नेता के बयानों को लेकर विवाद हुआ था। उन्होंने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि जो मुस्लिम मोदी से नाखुश हों, उन्हें पाकिस्तान चले जाना चाहिए।

लगभग ऐसा ही बयान उन्हें बिहार के तत्कालीन मुख्य मंत्री नीतीश कुमार को लेकर दिया था। उनके ऐसे बयानों को लेकर विरोधी दलों ने सरकार की यह कहकर आलोचना की थी कि ऐसे आदमी को सरकार में शामिल नहीं होना चाहिए।