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Written By भाषा
Last Modified: शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2014 (18:07 IST)

'आप' बना सकती है मप्र में लोस चुनाव को त्रिकोणीय

''आप'' बना सकती है मप्र में लोस चुनाव को त्रिकोणीय -
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भोपाल। मध्यप्रदेश अब तक जिस द्विकोणीय चुनावी मुकाबले से गुजरता रहा है, उसे इस बार लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) प्रदेश की सभी 29 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े कर त्रिकोणीय बनाने का प्रयास कर रही है।

आमतौर पर इस प्रदेश में अब तक कांग्रेस और भाजपा के बीच ही सीधा मुकाबला देखने को मिलता रहा है, लेकिन इस लोकसभा चुनाव में 'आप' उम्मीदवारों की उपस्थिति इसे त्रिकोणीय बनाने की पूरी कोशिश करेगी।

हालांकि इससे पहले बसपा और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अर्जुनसिंह द्वारा बनाई गई कांग्रेस (तिवारी) ने चुनावी मुकाबलों को त्रिकोणीय बनाने का प्रयास किया था, लेकिन वह संभव नहीं हो सका।

बसपा ने जरूर इस प्रदेश में उत्तरप्रदेश के अपनी प्रभाव वाली सीमावर्ती सीटों पर सतना में 1996 तथा रीवा में 1991, 1996 एवं 2009 में जीत दर्ज की, लेकिन इसके अलावा यहां मुकाबला अधिकतर कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होता आया है और वामदलों एवं निर्दलीयों की मौजूदगी नगण्य ही रहती है।

'आप' की राज्य इकाई के मुख्य प्रवक्ता अक्षय हुंका ने बातचीत में भरोसा जताया कि इस लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ‘तीसरे विकल्प’ के तौर पर उभरकर जनता के सामने आएगी, क्योंकि लोगों ने दोनों प्रमुख दलों को काफी मौका दिया है।

हुंका ने कहा कि हमने 29 में से 7 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं और हम सभी सीटों पर शीघ्र ही उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर देंगे।

उन्होंने कहा कि पार्टी को इन 29 सीटों के लिए 50 महिलाओं सहित कुल 600 लोगों ने चुनाव लड़ने के लिए आवेदन दिए थे। इनमें से प्रदेश चुनाव समिति ने सबके साक्षात्कार लेने के बाद 250 से 275 नामों को उनके मूल आवेदन, बायो-डाटा एवं अपनी सिफारिश के साथ केंद्रीय नेताओं को उनकी अनुमति के लिए भेजे हैं।

'आप' के चुनावी दावों को बकवास बताते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश के मीडिया प्रभारी बृजेश लुनावत ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि आने वाले लोकसभा चुनाव में 'आप' कोई प्रभाव छोड़ने वाली है। 'आप' 5 से 6 सीटों पर ही कुल 2 से 3 प्रतिशत वोटों के साथ सिमटने वाली है।

उन्होंने कहा कि 'आप' को प्रमुख शहरों भोपाल, इंदौर, जबलपुर, खंडवा एवं मंदसौर में जरूर कुछ मतदाताओं का समर्थन मिल सकता है, लेकिन आमतौर पर पूरे प्रदेश में मुकाबला तो भाजपा और कांग्रेस के बीच ही रहने वाला है और कहीं भी त्रिकोणीय मुकाबले के हालात नहीं बनने वाले हैं।

'आप' ने अब तक जिन 7 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित किए हैं, उनमें विदिशा से पूर्व सैनिक भगवत सिंह हैं। यह सीट अभी भाजपा की वरिष्ठ नेता एवं लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज के पास है।

इनके अलावा वायुसेना के पूर्व विंग कमांड र अब्दुल नासिर हन्फी को जबलपुर, नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) के नेता आलोक अग्रवाल को खंडवा, एनबीए के एक और नेता कैलाश अवस्या को खरगोन एवं पूर्व पुलिस अधिकारी खुमान सिंह को मंडला से टिकट दिया गया है।

यहां तक कि मध्यप्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस भी 'आप' को अपने लिए कोई चुनावी चुनौती नहीं मानता है। कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि 'आप' का इस प्रदेश में कोई राजनीतिक अस्तित्व नहीं है और उसके पास मतदाताओं तक पहुंचाने के लिए अपनी कोई उपलब्धि भी नहीं है।

उन्होंने कहा कि 'आप' एक क्षेत्रीय पार्टी है और ऐसी कोई संभावना नहीं है कि वह कोई तीसरा विकल्प बन सके। 'आप' की तुलना में तो प्रदेश में बसपा और सपा का अधिक बेहतर स्थान है।

उधर कांग्रेस ने अब तक पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल को इंदौर से अपना प्रत्याशी घोषित किया है। वे पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के फॉर्मूले पर पार्टी द्वारा कराए गए आंतरिक चुनाव में जीते थे। (भाषा)