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Written By भाषा
Last Updated :नई दिल्ली , मंगलवार, 19 मार्च 2019 (15:37 IST)

घर की मेज पर पहुंच रहा है 'कामसूत्र'

घर की मेज पर पहुंच रहा है ''कामसूत्र'' - घर की मेज पर पहुंच रहा है 'कामसूत्र'
नई दिल्ली। सदियों से लोगों के मन मे चाहत फैलाने वाली किताब 'कामसूत्र' सेक्स का पर्यायवाची माना जाता रहा है, लेकिन इस कालजयी संस्कृत ग्रंथ का अंग्रेजी अनुवाद करने वाले एएनडी हकसर का कहना है कि अब इसका दायरा व्यापक हो रहा है और बंद दरवाजे के अंदर चोरी-छिपे पढ़ी जाने वाली किताब अब घर की आम मेज पर जगह पाने की तरफ बढ़ रही है।

प्यार और सामाजिक आचार-व्यवहार पर वात्सायन की कालजयी रचना का अंग्रेजी में अनुवाद करने वाले हकसर कहते हैं कि मैं समझता हूं कि अभी तक सिर्फ सेक्स के बंद संदर्भों में देखी गई यह किताब जिस तरह का ध्यान पा रही है वह पहले नहीं थी। राजनयिक रह चुके हकसर अनेक संस्कृत क्लासिक्स का अनुवाद कर चुके हैं।

पेंगुइन ने अपनी क्लासिक्स सीरीज के लिए उनकी सेवा ली है। उनका दावा है कि बाजार में 'कामसूत्र' के शीर्षक से किताबों की भरमार है, लेकिन ऐसी किताबें बस गिनती की ही हैं जिसमें मूल संस्कृत आलेख को फिर से पेश किया गया है। मजे की बात है कि वात्सायन की इस रचना के अनुवाद से पहले उन्होंने कभी इसे नहीं पढ़ा था।

हकसर अपने तजुर्बे की चर्चा करते हुए बताते हैं कि मैंने 'कामसूत्र' पर कई सचित्र पुस्तकें देखी थीं। ज्यादातर सचित्र संस्करण थे जिनमें बहुत कम या बिलकुल ही आलेख नहीं था। उन्होंने कहा कि मैंने मूल आलेख लिया और उसे पढ़ते हुए पाया कि यह अनेक पुस्तकों या अध्यायों से बना है और उनमें से सिर्फ एक सेक्स से जुड़ा है और उसने यह शोहरत या कहें तो बदनामी हासिल की है।

हकसर कहते हैं कि वक्त आ गया है, जब इस किताब को संपूर्णता में पेश किया जाए। वे कहते हैं कि निश्चित रूप से उसमें सेक्स है, लेकिन साथ ही सामाजिक जीवन, मोहब्बत का इकरार, शादीशुदा जिंदगी, अच्छी जिंदगी के तरीके के मार्गनिदेश भी हैं। रमणीय एवं सुरुचिपूर्ण पुरुष या महिला की जीवनशैली का ब्योरा भी दिया गया है और सलाहें भी, जो आज भी सही हैं।

विद्वानों का मानना है कि इसे 200 से 300 ईस्वी में रचा गया है। हकसर कहते हैं कि यह तकरीबन 1700 से 1800 साल पुराना है। कुछ कहते हैं कि यह 2000 साल पुराना है। वे बताते हैं कि रिचर्ड बर्टन ने 19वीं सदी में इसका अनुवाद किया था। (भाषा)