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Written By WD

कमल दिखाने पर मोदी को मिली क्लीन चिट

कमल दिखाने पर मोदी को मिली क्लीन चिट -
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में आचार संहिता तोड़ने के मामले में नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट मिल गई है। जांच एजेंसी ने अहमदाबाद हाई कोर्ट में अपनी क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी है। इसमें कहा गया है कि नरेंद्र मोदी पर आचार संहिता तोड़ने के मामले नहीं बनते हैं।

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वोटिंग के दिन भाजपा का चुनाव सिंबल कमल दिखाने पर तब चुनाव आयोग ने नरेंद्र मोदी पर गुजरात पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था। विपक्षी पार्टियों ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी कि मोदी ने ऐसा कर आचार संहिता का उल्लंघन किया है।

विपक्षी पार्टियों की शिकायत के आधार पर चुनाव आयोग ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और बीजेपी की तरफ से घोषित पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी पर कई धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था। जांच एजेंसी ने कहा है कि मोदी ने पोलिंग बूथ के पास कोई ऑर्गेनाइज प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की थी।

कमल दिखाने के मामले में एजेंसी ने कहा कि वे पोलिंग बूथ से 100 मीटर से ज्यादा की दूरी पर थे। ऐसे में जिन धाराओं के तहत मोदी पर आचार संहिता उल्लंघन के मामले दर्ज किए गए थे वे सही नहीं हैं।

आठवें चरण की वोटिंग के दौरान गांधीनगर में वोट डालने के बाद मोदी के कमल निशान दिखाने और प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाषण देने के बाद कांग्रेस ने चुनाव आयोग से इसकी शिकायत की थी। चुनाव आयोग ने धारा 126 (1) (बी) के उल्लंघन के लिए गुजरात के मुख्य सचिव और डीजीपी को मोदी पर कार्रवाई करने का आदेश दिया था। इसके अलावा मोदी के भाषण का लाइव दिखाने पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई थी।

जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 126 (1) (बी) के तहत मतदान संपन्न होने के निर्धारित समय से 48 घंटे पहले तक की अवधि में कोई भी व्यक्ति न तो चुनाव से जुड़ी किसी जनसभा को संबोधित कर सकता है और न जुलूस निकाल सकता है। प्रावधान के तहत, सिनेमेटोग्रफी, टीवी या ऐसे ही किसी अन्य माध्यम के जरिए किसी चुनावी मामले पर कुछ भी प्रसारित नहीं किया जा सकता। इसका उल्लंघन करने पर 2 साल की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान है।

मोदी पर इस घटना के संबंध में अलग से एक मामला चल रहा है जिसमें आम आदमी पार्टी के एक कार्यकर्ता ने कहा था कि पुलिस ने मामले में अधूरी प्राथमिकी दर्ज की थी। निशांत वर्मा ने अहमदाबाद (ग्रामीण) अदालत में अपनी शिकायत में मांग की थी कि मोदी पर आरपीए कानून की धारा 130 और आईपीसी की धाराओं 114, 171 :सी: और (एफ) को अलग से लगाया जाए।

मामले में 5 अगस्त को पिछली सुनवाई में अहमदाबाद ग्रामीण अदालत के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) एमएम शेख ने अपराध शाखा को कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने के लिए तीन हफ्तों का वक्त दिया था।

आरपी कानून की धारा 130 के अनुसार कोई भी व्यक्ति मतदान के दिन मतदान केंद्र के परिसर में वोट डालने के लिए प्रचार नहीं कर सकता और चुनाव से जुड़ा कोई चिह्न या नोटिस प्रदर्शित नहीं कर सकता, वहीं आईपीसी की धारा 114 एक अपराध को अंजाम दिये जाते समय मौजूद उस व्यक्ति की भूमिका की तरफ इशारा करती है जो इसके लिए उकसाता हो।
(एजेंसियां)