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Written By WD

एक चमत्कार ने बचाया केदारनाथ मंदिर को...

एक चमत्कार ने बचाया केदारनाथ मंदिर को... -
नई दिल्ली। उत्तराखंड में बारिश, अचानक आई बाढ़ के कारण त्रासदी का मंजर ऐसा भयावह और प्रलयंकारी है था कि मंदिर को छोड़कर सबकुछ तबाह और जमीदोज हो गया लेकिन कैसे और किस तरह मंदिर और भीतर का शिवलिंग सुरक्षित रहा यह भी एक चमत्कार ही है।
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केदारनाथ मंदिर के मुख्य तीर्थ पुरोहित ने कहा कि 16 जून को शाम करीब 8 बजे के बाद अचानक मंदिर के पीछे ऊपर वाले पहाड़ी भाग से पानी का तेज बहाव आता दिखा। इसके बाद तीर्थयात्रियों ने मंदिर में शरण ली। रातभर लोग एक-दूसरे को ढांढस बंधाते दिखे।

पानी, रेत, चट्टान, पत्थर और मिट्टी के सैलाब ने पूरी केदार घाटी के पत्ते-पत्ते को उजाड़ दिया। पहाड़ों में धंसी बड़ी-बड़ी मजबूत चट्टाने भी टूटकर पत्थर बन गई। सैलाब के सामने कोई नहीं टिक पाया लेकिन आश्चर्यजनक रूप से मंदिर और शिवलिंग कैसे बच गया।

अगले पन्ने पर पढ़ें पूरी दास्तान...


केदारनाथ के दो साधुओं की मानें तो एक चमत्कार ने मंदिर और शिवलिंग को बचाया। 16 जून को जब सैलाब आया तो ये दोनों साधुओं ने मंदिर के पास के एक खंबे पर चढ़कर रातभर जागकर अपनी जान बचाई। उनके अनुसार हमारे कई साधु बाढ़ में बह गए।

मंदिर के पीछे के पहाड़ से जब बाढ़ आई तो उसके साथ 100 की स्पीड से एक विशालकाय डमरूनुमा चट्टान भी मंदिर की ओर आ रही थी, लेकिन अचानक वह चट्टान मंदिर के पीछे करीब 50 फुट की दूरी पर रुक गई। जैसे उसे बाबा ने रोक दिया हो।

उस चट्टान के कारण बाढ़ का तेज पानी दो भागों में कट गया और मंदिर के दोनों ओर से बहकर निकल गया। उस वक्त मंदिर में 300 से 500 लोग शरण लिए हुए थे। उस चट्टान को मंदिर की ओर आते देख हमारी रूह कांप गई थी। हमने केदार बाबा का नाम जपना शुरू कर दिया और अपनी मौत का इंतजार करने लगे थे, लेकिन बाबा का चमत्कार की उस चट्टान ने मंदिर और उसके अंदर शरण लिए लोगों को बचा लिया।

केदारनाथ मंदिर के मुख्य तीर्थ पुरोहित ने कहा कि 16 जून को शाम करीब 8 बजे के बाद अचानक मंदिर के ऊपर वाले पहाड़ी भाग से पानी का तेज बहाव आता दिखा। इसके बाद तीर्थयात्रियों ने मंदिर में शरण ली। रातभर लोग एक-दूसरे को ढांढस बंधाते दिखे।

मुख्य तीर्थ पुरोहित ने कहा कि आसपास के कई गांव जल की तेज धारा में बह गए हैं। कुछ लोगों के घर जो बचे हैं उनमें 3 फुट से अधिक तक मलबा भर गया है। कुछ नहीं बचा है, सब कुछ तबाह हो गया है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में बारिश, अचानक आई बाढ़ के कारण त्रासदी का मंजर ऐसा भयावह और प्रलयंकारी है कि केदारनाथ मंदिर में गर्भगृह और भगवान शिव के ‘स्वयंभू लिंग’ तक मलबा जमा हो गया है, साथ ही आसपास के कई गांव बह गए हैं।

केदारनाथ मंदिर के मुख्य तीर्थ पुरोहित दिनेश बगवाड़ी ने बताया कि मंदिर परिसर में मलबा काफी मात्रा में भरा हुआ है। मंदिर के ‘गर्भगृह’ तक मलबे का अंबार लगा है। ‘भगवान शिव के स्वयंभू ज्योतिर्लिंग’ तक मलबा आ गया है। शिवलिंग का सिर्फ कुछ भाग ही दिखाई दे रहा है।

उन्होंने कहा कि मंदिर परिसर में मलबे के नीचे काफी संख्या में लोगों के शव हैं। भयानक दृश्य है, मैं इसे बता नहीं सकता। मेरे अपने परिवार के 5 लोगों की इस आपदा में मौत हो गई। बगवाड़ी उस शिष्टमंडल में शामिल थे जिन्होंने शनिवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भेंट की और इस आपदा के बारे में उनसे चर्चा की।

केदारनाथ मंदिर के मुख्य तीर्थ पुरोहित ने कहा कि आपदा के बाद स्थिति ऐसी थी कि किसी ने लाशों के साथ रातें बिताईं तो किसी का हाथ छूटते ही उनके अपने पानी की तेज धारा में बह गए। (वेबदुनिया)