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Written By WD

इराक : मिशन-भारतीय में तेजी, परिजनों ने की दुआ

-शोभना जैन

इराक : मिशन-भारतीय में तेजी, परिजनों ने की दुआ -
PTI
नई दिल्ली। इराक में गृहयुद्ध और भड़कने की आशंका और निरंतर गहराते इराक संकट के बीच विदेश मंत्री सु्षमा स्वराज ने रविवार को इराक में फंसे भारतीयों की सुरक्षा तथा वहां से वापस स्वदेश लौटने के इच्छुक भारतीयों की स्वदेश वापसी के विकल्पों पर विचार करने के लिए खाड़ी देशों स्थित भारतीय राजदूतों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक में विचार-विमर्श किया और मिशन-भारतीय सहायता कार्यों में तेजी लाने के लिए अनेक कदम उठाए जाने का फैसला किया।

इसी बीच इराक के मोसुल में विद्रोहियों द्वारा पिछले 2 सप्ताह से बंधक बनाए गए 39 भारतीयों के परिजनों ने दुआओं के साथ और डबडबाई आँखों से आज एक बार फिर विदेश मंत्री स्वराज से मुलाकात कर अपने परिजनों को जल्द वापस स्वदेश लाने की गुहार लगाई।

गौरतलब है कि इराक में लगभग 10,000 भारतीय हैं। इनमें से ज्यादातर सुरक्षित स्थलों में हैं। हालांकि लगभग 100 भारतीय संघर्ष वाले इलाकों में भी फंसे हुए हैं।

सूत्रों के अनुसार मोसुल में इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के कब्जे में फंसे 39 भारतीयों और तिकरित के पास एक अस्पताल में फंसी केरल की 46 नर्सों को सुरक्षित बाहर निकालना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन के मुताबिक मोसुल में अगवा 39 भारतीय 'सुरक्षित' हैं। इन नर्सों द्वारा क्षेत्र में बढ़ती हिंसा के मद्देनजर सरकार से तत्काल मदद की गुहार किए जाने की खबरों पर प्रवक्ता ने कहा कि सरकार उनके साथ संपर्क में है, वे सुरक्षित हैं। उन्हें कुछ आर्थिक मदद भी मुहैया कराई गई है। प्रवक्ता ने कहा कि सरकार इराक में फंसे भारतीयों को हरसंभव सहायता दे रही है।

इसी बीच सूत्रों के अनुसार तिकरित में फंसे 40 भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए आगामी मंगलवार को कमर्शियल हेलीकॉप्टरों द्वारा स्वदेश वापस लाया जाएगा। स्वराज की अध्यक्षता में लगभग 3 घंटे चली इस बैठक में कुवैत, कतर, ओमान, सऊदी अरब सहित खाड़ी देशों स्थित भारतीय राजदूतों के अलावा विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह ने भी हिस्सा लिया।

सूत्रों के अनुसार इराक में भारत के राजदूत अजय कुमार इस बैठक में मौजूद नहीं थे। वे बगदाद में कमान संभाले हुए हैं। विदेश मंत्रालय में सचिव पूर्व अनिल वाधवा भी आज की बैठक में मौजूद थे।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अकबरुद्दीन ने बैठक की जानकारी देते हुए बताया कि आज की बैठक में इराक में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा संबंधी स्थिति का जायज़ा लिया गया और इस बात पर विचार किया गया कि उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा मदद कैसे दी जाए।

प्रवक्ता ने बताया कि बगदाद स्थित भारतीय दूतावास में 26 और अधिकारी भेजे जा रहे है जिससे कि वहाँ भारतीयों की ज़्यादा मदद की जाए। मोसुल में बंधकों के बारे में पूछे गए सवाल के बारे में प्रवक्ता ने कहा कि ये सभी लोग सुरक्षित हैं हालाँकि वे अभी भी बंधक हैं, उनके बारे में सरकार को कुछ जानकारी मिली है जिसके आधार पर सरकार आगे कदम उठा रही है।

सवालों के जवाब में प्रवक्ता ने यह भी कहा कि उन्हें बंधकों की रिहाई के बदले फिरौती की कोई माँग नही मिली है, प्रवक्ता ने बताया कि भारतीय राजदूतों के साथ हुई बैठक के बाद विदेश मंत्री ने भारत स्थित खाड़ी देशों के राजदूतों से भी इराकी स्थिति के बारे में व्यापक विचार-विमर्श किया और यह भी बातचीत की गई कि भारतीयों की मदद के लिए ये देश किस प्रकार सहायता कर सकते हैं।

प्रवक्ता के अनुसार इन सभी का रवैया इस मामले में सकारात्मक था। प्रवक्ता ने यह भी बताया कि विदेश मंत्री ने वहाँ फंसे भारतीयों की मदद के लिए भारतीय सामुदायिक कल्याण कोश से मदद दिए जाने के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि बगदाद में फंसे भारतीयों से संपर्क साधने के लिए मोबाइल यूनिट भी शुरू की जा रही है।

इसी बीच दिल्ली आए बंधकों के परिजनों ने कहा कि बंधक बनाए जाने के इतने दिनों बाद भी उनके रिहा नहीं होने की कोई खबर न मिलने से ये लोग बहुत परेशान हैं। उन्हें सिर्फ ये पता चलता है कि उनके परिजन सु्रक्षित हैं लेकिन रिहाई के बारे में अनिश्चितता बनी हुई है जिससे वे बहुत परेशान हैं। अपनी इसी परेशानी को लेकर वे आज फिर विदेश मंत्री से मिलने आए हैं।

इसी बीच सूत्रों के अनुसार भारत इराक से स्वदेश लौटने को इच्छुक अपने देशवासियों को भारत वापस लाने के लिए सभी विकल्पों को खुला रखे हुए हैं।

इराक के गैर उपद्रवग्रस्त इलाकों में से भारतीयों की घर वापसी में सहयोग देने के लिए सरकार ने इराक के तीन शहरों- नजफ, बसरा व कर्बला में अपने कैंप कार्यालय खोले हैं। विदेश मंत्रालय में प्रवक्ता ने कैंप कार्यालयों का ब्योरा देते हुए कल कहा था कि उन कैंपों के अधिकारी भारतीयों के कार्यस्थल पर जाएंगे और उनके चाहने पर वापसी में मदद करेंगे। यात्रा दस्तावेज मुहैया कराने के अलावा अगर वे टिकटों का खर्च नहीं कर सकते तो मंत्रालय उन्हें नि:शुल्क हवाई टिकट भी मुहैया कराएगा।

विदेश मंत्रालय सूत्रों के अनुसार ज़िरक़ स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास में भी वरिष्ठ अधिकारियों को पड़ोस के देशों से भेजा गया है ताकि भारतीयों की स्वदेश वापसी के काम को तेजी से पूरा किया जा सके।

इसी बीच कल खबरों में कहा गया था कि सरकार ने आपात स्थिति में अपने नागरिकों को वहां से सुरक्षित निकालने के लिए नौसेना और वायुसेना को भी तैयार रहने के लिए कहा है। इराक के हालात को देखते हुए सरकार ने वहां फंसे भारतीयों को समुद्री रास्ते से निकालने की योजना बनाई है।

नौसेना सूत्रों के अनुसार नौसेना ने फारस की खाड़ी यानी पर्शियन गल्फ में अपना युद्धपोत आईएनएस मैसूर तैनात कर दिया है। एक और जंगी जहाज आईएनएस तरकश को अदन की खाड़ी में तैनात किया है और जरूरत पड़ने पर इराक से लोगों को निकालने के अभियान में इनका इस्तेमाल किया जाएगा।

वहीं भारतीय वायुसेना ने भी विमान तैनात कर रखे हैं। साथ ही वायुसेना ने भी अपने सी-17 तथा सी-130 जे हर्क्यूलिस विमानों को अल्पावधि नोटिस पर उड़ान भरने के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए हैं।