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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शुक्रवार, 9 दिसंबर 2022 (15:50 IST)

10 साल में राष्ट्रीय पार्टी बनने जा रही AAP क्या बन पाएगी तीसरी ताकत?

10 साल में राष्ट्रीय पार्टी बनने जा रही AAP क्या बन पाएगी तीसरी ताकत? - Will AAP become the third political force to become a national party?
2024 को लोकसभा चुनाव से पहले गुजरात और दिल्ली के एमसीडी चुनाव में जिस तरह से आम आदमी पार्टी को सफलता हासिल हुई है उससे 10 पहले बनी अरविंद केजरीवाल की पार्टी के हौंसले सातवें आसमान पर है। दिल्ली नगर निगम चुनाव में भाजपा के 15 साल के अभेद दुर्ग को ढहाने के साथ आम आदमी पार्टी ने 13 फीसदी वोट हासिल कर अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है। गुजरात में आम आदमी पार्टी 5 सीटों पर जीत हासिल कर राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी प्राप्त कर लिया है।
 
गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी को 3 राज्यों दिल्ली, पंजाब गोवा में पहले से ही क्षेत्रीय पार्टी का दर्ज प्राप्त है और अब गुजरात में 13 फीसदी वोटर शेयर और 5 विधायक बनने के बाद उसने क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने के साथ राष्ट्रीय राजनीतिक दल का दर्जा प्राप्त की अर्हता प्राप्त कर ली है।
 
10 साल में आम आदमी पार्टी का सफर-अगर आम आदमी पार्टी के राजनीतिक दल के तौर पर सफर को देखे तो पाते है कि 10 साल में उसने दिल्ली की क्षेत्रीय पार्टी से राष्ट्रीय पार्टी बनने का सफर पूरा कर लिया है। 2 अक्टूबर 2012 को महात्मा गांधी की जयंती से अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी का गठन कर अपने राजनीतिक सफर की औपचारिक शुरुआत की थी।

2013 के दिल्ली में पहले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 28 सीटों पर जीत हासिल कर अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई थी। वहीं दो साल बाद 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा मे 67 सीटें जीतीं थी। वहीं पांच साल बाद 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी 53.57 फीसदी वोट हासिल कर 62 सीटों के साथ दिल्ली की सत्ता से फिर से अपना कब्जा जमाया।
 
दिल्ली के बाद आम आदमी पार्टी ने पंजाब में अपनी गहरी पैठ बनाई। 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 23.7 फीसदी वोट हासिल करके 20 सीटें जीती थी वहीं 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में 42. 01 फीसदी वोट हासिल कर 117 सीटों वाली पंजाब विधानसभा में 92 सीटों पर जीत हासिल कर प्रचंड बहुमत से अपनी सरकार बनाई। 
 
दिल्ली में प्रतिष्ठा की लड़ाई वाले एससीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी ने धमाकेदार जीत कर भाजपा के 15 साल के एकछत्र राज को खत्म कर दिया है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली में चुनावी मैदान मे कूदी आम आदमी पार्टी ने भाजपा को चुनाव में हर मोर्च पर मात दी। दिल्ली नगर निगम की 250 सीटों पर आम आदमी पार्टी ने 134 सीटों पर जीत दर्ज की है।
 
वहीं गुजरात विधानसभा चुनाव में आदमी पार्टी ने 13 फीसदी के लगभग वोट शेयर हासिल कर 5 सीटों पर जीत हासिल की है। गुजरात में 13 फीसदी वोटर शेयर हासिल करने के साथ आम आदमी पार्टी गुजरात में अपने लिए एक मौका दे रही है। गुजरात के चुनाव नतीजों के बाद आम आदमी पार्टी के नेता गोपाल राय कहते हैं गुजरात में पार्टी ने खिड़की खोल दी है और उसको दरवाजा खोलने से कोई रोक नहीं सकता है। गोपाल राय ने गुजरात की जनता को बधाई देते हुए कहा कि गुजरात की जनता ने झाडू का परचम लहराकर दिल्ली की एक छोटी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलवा दिया है।
 
AAP बन पाएगी तीसरा विकल्प?-10 साल में क्षेत्रीय पार्टी से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने वाली आम आदमी पार्टी क्या देश की भविष्य की राजनीत में एक तीसरे विकल्प के रूप में खड़ी हो गई है, अब यह सवाल भी पूछे जाने लगा है। दरअसल दिल्ली से निकलकर गुजरात पहुंची आम आदमी पार्टी ने जिस तरह से 13 फीसदी वोट शेयर हासिल किया है उसने उसके तीसरे विकल्प के रूप में स्थापित करने को और सियासी बल दे दिया है।

गुजरात जहां पिछले कई दशक के भाजपा और कांग्रेस में आमने-सामने के मुकाबला होता था वहां पर आम आदमी पार्टी का अपनी पैठ बनाना बदले सियासी परिदृश्य की ओर साफ इशारा है। गुजरात के चुनाव परिणाम पर अगर विश्लेषक करे तो आम आदमी पार्टी ने जो 13 फीसदी वोट शेयर हासिल किया है वहां कांग्रेस के पाले से निकलकर उसने खाते है। 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में गुजरात में 41 फीसदी वोट शेयर हासिल करने वाली कांग्रेस इस चुनाव में 28 फीसदी वोटर शेयर हासिल कर सकी है। 
 
गुजरात में कांग्रेस के वोट बैंक पर सीधी चोट पहुंचाने वाले आम आदमी पार्टी अब भविष्य़ में मध्यप्रदेश, राजस्थान औऱ छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों को टारगेट कर सकती है, जहां अब तक चुनावी मैदान में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच हो होता आया है। 
 
AAP की आगे की डगर आसान नहीं?-आम आदमी पार्टी ने भले ही राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल कर लिया हो लेकिन देश में तीसरी ताकत के रूप में उभरना उसके लिए उतना आसान नहीं है। 10 साल में भले आम आदमी पार्टी ने अपना तेजी से राजनीतिक जनाधार बनाया हो लेकिन उसके पास अभी एक विचारधारा का आभाव दिखाई देता है।

दिल्ली, पंजाब, गोवा और गुजरात में आम आदमी पार्टी तात्कालिक मुद्दों और मुफ्त की सियासत के साथ लोगों को अपनी ओर जोड़ने में सफल रही है लेकिन अगर राजनीति में देखा जो यह कोई टिकाऊ मुद्दें नहीं है जिसके सहारे आम आदमी पार्टी अपना लंबा चौड़ा एक कैडर राष्ट्रीय स्तर पर खड़ा करने में सफल होगी। मुफ्त बिजली पानी देने का मुद्दा क्या हर राज्य में काम करेगा यही भी बड़ा सवाल है। 
 
अगर देश के सियासी परिदृश्य को देखे तो पाते है कि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में वहीं पार्टी सफल हुई जो एक विचाराधारा के साथ आगे बढ़ी है चाहे वहां समाजवाद की विचारधारा के साथ आगे बढ़ने वाली सपा, आरजेडी या जेडीयू हो या बहुजन विचारधारा के साथ आगे बढ़ने वाली बपसा। असल में विचाराधार के राजनीति करने वाली सियासी पार्टियों एक कोर वोट बैंक को अपने साथ जोडने में सफल होती है जो उनको राजनीतिक मजबूती औऱ स्थिरता प्रदान करता है।  
 
वहीं राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के सहारे कांग्रेस को फिर से खड़ा करने की कोशिश कर रहे है, अगर भविष्य में कांग्रेस अपनी खोई जमीन वापस प्राप्त करने में सफल हो जाती तो निश्चित तौर पर इसका सीधा नुकसान आम आदमी पार्टो को ही होगा। 
 
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