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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : गुरुवार, 22 सितम्बर 2022 (18:31 IST)

संघ प्रमुख मोहन भागवत के मस्जिद और मदरसा जाने के क्या है मायने?

संघ प्रमुख मोहन भागवत के मस्जिद और मदरसा जाने के क्या है मायने? - What is the meaning of RSS chief Mohan Bhagwat going to mosque and madrasa?
देश की सियासत में गुरुवार का दिन एक बड़े सियासी घटनाक्रम का गवाह बना। संघ प्रमुख मोहन भागवत गुरुवार को दिल्ली में एक मस्जिद में पहुंच और मुस्लिम नेताओं से मुलाकात की। इतना ही नहीं मोहन भागवत ने मस्जिद में मौलाना जमील इल्यासी की मज़ार पर भी पहुंचे और उनकी मजार पर फूल भी चढ़ाए। मोहन भागवत करीब एक घंटे मस्जिद में रूके। मुस्लिम नेताओं से मुलाकात करने के बाद संघ प्रमुख मस्जिद से संबंधित मदरसा भी पहुंचे वहां पढ़ रहे बच्चों से मुलाकात की।
 
संघ के इतिहास में संभवत यह पहला मौका है जब कोई संघ मदरसा पहुंचा हो। आज की मुलाकात से पहले भी संघ प्रमुख लगातार मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मिल रहे है। पिछले कुछ सालों में संघ ने मुसलमानों से संपर्क बढ़ाया है और आज मोहन भागवत के मस्जिद दौरे और मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात को इसी की अगली कड़ी के रूप में देखा जा रहा है।    

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख इमाम डॉ. उमर अहमद इलियासी से मुलाकात के बाद कई तरह सियासी अटकलों का दौर भी शुरु हो गया है। डॉ. उमर अहमद इलियासी ने संघ प्रमुख के लिए ‘राष्ट्रपिता’ और ‘राष्ट्रऋषि’ जैसे शब्दों से संबोधित किया।

वहीं संघ प्रमुख के मस्जिद जाने और मुस्लिम नेताओं से मिलने पर RSS के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि RSS प्रमुख सरसंघचालक मोहन भागवत जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों से मिलते हैं। यह एक सतत सामान्य संवाद प्रक्रिया का हिस्सा है।

मुस्लिमों के प्रति नरम राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ?-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के मस्जिद और मदरसा जाने और मुस्लिम नेताओं से मुलाकात करने से पहले भी संघ प्रमुख मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात की थी। पिछले महीने हुई इस मुलाकात में मुस्लिम बुद्धिजीवियों के प्रतिधिमंडल और संघ प्रमुख के बीच गौहत्या,ज्ञानवापी मुस्जिद सहित अन्य कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई थी। 
 
वहीं पिछले साल भी उन्होंने मुंबई के एक होटल में मुस्लिम बुद्धिजीवियों के एक समूह के साथ मुलाकात की थी। वहीं सितंबर 2019 में भागवत ने दिल्ली में आरएसएस कार्यालय में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी से भी मुलाकात की थी।
 
वरिष्ठ पत्रकार और संघ विचारक रमेश शर्मा कहते हैं कि संघ प्रमुख मोहन भागवत के मस्जिद जाने और मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात को वह एक सामान्य दृष्टि से देखते है। इससे पहले भी संघ के पदाधिकारी मुस्लिम समाज से मिलते रहते है और संघ की एक इकाई राष्ट्रीय मुस्लिम मंच लगातार काम कर रही है। संघ मानता आय़ा है कि धर्मों को जो अंतर है वह दो-ढाई हजार वर्षो का है, इससे पहले तो सभी सनातनी थे। इसी तरह मुस्लिमों के पूर्वज भी सनातनी और हिंदू रहे और पंथ और पूजा पद्धति बदलने से पूर्वज नहीं बदलते और अब संभवत संघ प्रमुख ही यही समझने संभवत मस्जिद में गए है और मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मिले है।

गौरतलब है कि पिछले दिनों जब काशी की ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे शिवलिंग होने को लेकर कई तरह के दावे किए जा रहे थे तब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था,हमें रोज एक मस्जिद में शिवलिंग को क्यों देखना है?

संघ प्रमुख का यह बयान ऐसे समय आय़ा था जब काशी की ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के बहाने देश के विभिन्न हिस्सों की मस्जिदों या दरगाह के नीचे शिवालय होने के कथित दावे किए जा रहे थे। इसमें भोपाल के ताजुल मस्जिद में भी शिवमंदिर होने का दावा किया गया था। 

वहीं उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले जुलाई 2021 में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने एक कार्यक्रम में कहा कि हिंदू-मुस्लिम दोनों अलग नहीं बल्कि एक है क्योंकि सभी भारतीयों का डीएनए एक है और मुसलमानों को ‘डर के इस चक्र में’ नहीं फंसना चाहिए कि भारत में इस्लाम खतरे में है। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग मुसलमानों से देश छोड़ने को कहते हैं, वे खुद को हिन्दू नहीं कह सकते। इसके साथ ही संघ प्रमुख ने मॉब लिंचिंग में शामिल लोगों पर हमला बोलते हुए कहा कि इसमें शामिल होने वाले लोग हिंदुत्व के खिलाफ है।
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