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Last Updated : गुरुवार, 7 मई 2020 (18:38 IST)

Vizag gas leak : क्या होती है स्टायरिन गैस, जिसने ली 11 लोगों की जान

LGPolymers | क्या होती है स्टायरिन गैस, जिसने ली 11 लोगों की जान
कोरोना काल में आंध्रप्रदेश में गैस लीक का भीषण हादसा हुआ। आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम में आरआर वेंकटपुरम गांव में एलजी पॉलिमर कंपनी में गैस लीक होने से 11 लोगों की मौत हो गई। इस गैसकांड से करीब 1000 लोग प्रभावित हैं।

हादसे ने करीब 36 साल पहले हुई भोपाल गैस त्रासदी की यादें ताजा कर दीं। यूनियन कार्बाइड फैक्टरी से मिथाइल आइसोसाइनाइड के रिसाव ने हजारों लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। इसी तरह आंध्रप्रदेश में पीवीसी या स्टायरिन गैस ने लोगों को बदहवास कर दिया।

कोरोना महामारी से जूझ रहे देश के लिए यह खबर दुखदाई थी। मरने वालों में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। कंपनी के एक प्लांट से गुरुवार रात 2.30 बजे के आसपास पीवीसी गैस लीक होना शुरू हुआ। इसके बाद बदहवास लोग सड़कों पर निकलने।

देशभर में लॉकडाउन की घोषणा के बाद बाद कंपनी को भी बंद कर दिया गया था। गुरुवार को 40 दिन के बाद कंपनी के परिचालन की तैयारी चल रही थी। इसी बीच यह दर्दनाक हादसा हो गया। क्या है स्टायरिन गैस या पीवीसी गैस जिससे यह दर्दनाक मंजर बना। आखिर पीवीसी या स्टाइरीन गैस होती क्या है?
क्या होता है पीवीसी या स्टायरिन : स्टायरिन गैस प्लास्टिक, पेंट, टायर जैसी चीजें बनाने में इस्तेमाल होती है। स्टायरिन को एथेनिलबेनजीन, विनालेनबेन्जिन और फेनिलिथीन के रूप में भी जाना जाता है। 1926 में वाल्डो सेमॉन नाम के वैज्ञानिक ने पीवीसी को प्लास्टिक रूप में लाए थे।

आजकल पीवीसी से पाइप, खिड़कियों के फ्रेम, दरवाजे, ज्वाइंट्स, टंकी बनाए जाते हैं। सस्ता और मजबूत होने से बिल्डिंग निर्माण में आजकल इसका बहुत ज्यादा प्रयोग किया जाता है। वर्तमान में पीवीसी दुनिया का तीसरा सबसे भरोसेमंद प्लास्टिक प्रोडक्ट है। पहले पॉलीइथालीन और पॉलीप्रोपाइलीन का उपयोग होता है। पीवीसी यानी पॉलीविनाइल क्लोराइड का उपयोग मकान बनाने में किया जाता है।
 
हवा के साथ घुलकर बन जाती है जहरीली गैस : विशेषज्ञों के अनुसार स्टीरीन हवा के साथ मिलकर जहरीली गैस में बदल जाती है। फेफड़ों पर बुरा असर पड़ने के कारण 10 मिनट के भीतर प्रभावित व्यक्ति की जान भी जा सकती है।
 
एनडीआरएफ के महानिदेशक एसएन प्रधान के मुताबिक स्टायरिन केंद्रीय तंत्रिका तंत्र, गले, त्वचा, आंखों और शरीर के अन्य हिस्सों को भी इफेक्ट करती है। इंसानों के शरीर में जाने से आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ, बेहोशी और उल्टी जैसे परेशानियां होने लगती है। इसका नर्वस सिस्टम पर सीधा असर होता है।
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