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Written By सुरेश डुग्गर
Last Modified: जम्मू , बुधवार, 27 फ़रवरी 2019 (14:17 IST)

युद्ध की आहट, सीमा के गांवों में 1971 और 1965 जैसे हालात, कस्बों से भी पलायन

युद्ध की आहट, सीमा के गांवों में 1971 और 1965 जैसे हालात, कस्बों से भी पलायन - war like situation on India Pakistan border
जम्मू। युद्ध की आशंका अब और बढ़ गई है। नतीजतन पाक हवाई हमलों की रेंज में आने वाले सीमाई कस्बों से भी पलायन आरंभ हो गया है। जिन कस्बों से पलायन आरंभ हुआ है उनमें अखनूर, पल्लांवाला तथा ज्यौड़ियां सेक्टर के कई गांव हैं, जो सीमा से तो नहीं सटे हुए हैं लेकिन इन गांवों के लोगों को आशंका है कि युद्ध की स्थिति में पाकिस्तानी सेना उनके गांवों पर कब्जा कर सकती है। ऐसी आशंका इन गांवों के लोगों को इसलिए है क्योंकि पहले भी 1971 तथा 1965 के युद्धों में पाक सेना इन गांवों तथा कस्बों पर कब्जा जमाने में कामयाब रही थी।
 
मिलने वाले समाचारों के अनुसार, दरिया चिनाब के किनारे पर बसे हुए अखनूर सेक्टर से भी अब पलायन का क्रम आरंभ हो गया है। हालांकि पहले से ही पल्लांवाला तथा ज्यौड़ियां के उन कस्बों तथा गांवों से सैकड़ों लोग पलायन कर चुके हैं जो एलओसी से सटे हुए हैं। मिलने वाली खबरें यह भी कहती हैं कि अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्रों के वे गांव तथा कस्बे, जो रक्षा खाई के इस ओर आते हैं, से भी सैकड़ों परिवारों में युद्ध की आशंका प्रबल होती जा रही है। यही कारण है कि वे पलायन करने के मूड में हैं।
 
प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक, अखनूर सेक्टर के लोगों में 1971 तथा 1965 के युद्धों की याद अभी भी ताजा है। यही कारण है कि वे समय रहते अपना कीमती सामान समेट कर उसे सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा देना चाहते हैं। इसे भूला नहीं जा सकता कि 1971 तथा 1965 के भारत-पाक युद्धों के दौरान पाकिस्तान छम्ब, ज्यौड़ियां, पल्लांवाला तथा चिकन नेक सेक्टरों में हजारों भारतीय नागरिकों को बेघर होना पड़ा था।
 
आज भी मुआवजे का इंतजार : स्थिति यह है कि छम्ब के इलाके से बेघर होने वाले आज भी 54 सालों के उपरांत अधिकारों से वंचित हैं। उनकी स्थिति यह है कि उन्हें आज तक मुआवजा नहीं मिला है जबकि उनका क्षेत्र पाकिस्तानी कब्जे में जा चुका है। यही कारण है कि अब छम्ब के विस्तार वाले पल्लांवाला, ज्यौड़ियां तथा अखनूर सेक्टरों में लोग समय रहते आपात उपाय कर लेना चाहते हैं।
 
अधिकारियों के अनुसार, इन क्षेत्रों के लोगों के दिलोदिमाग में यह बात बैठ गई है कि पाकिस्तान दरिया चिनाब पर बने हुए पुलों को उड़ा देना चाहता है और उसके पीछे का मकसद इन सेक्टरों पर युद्ध की स्थिति में कब्जा कर लेना है। इस पुल को उड़ाने के लिए पाकिस्तान ने मिसाइलें भी तैनात कर रखी हैं, ऐसी अफवाहें व्हाट्सएप ग्रुप पर चल रही हैं। इन सेक्टरों के निवासियों में जबरदस्त दहशत का माहौल है। इसी माहौल का परिणाम है कि अखनूर जैसे सीमा के काफी दूर बसे कस्बे से पलायन का क्रम अब तेजी पकड़ता जा रहा है जिसके एक ओर दरिया चिनाब तो दूसरी ओर एलओसी भी है तथा अंतरराष्ट्रीय सीमा भी।
 
ऐसी स्थिति सिर्फ अखनूर बेल्ट में ही नहीं बल्कि अब अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्रों के उन कस्बो में भी पैदा हो गई है, जो रक्षा खाई के पीछे कुछ किमी की दूरी पर हैं। यहां के निवासियों में युद्ध की शंका के चलते पलायन का क्रम जोर पकड़ने लगा है। ऐसे कस्बों में हीरानगर, रामगढ़, अबताल, कान्हाचक जैसे कस्बे भी हैं जो जीरो लाइन से पीछे रक्षा खाई के पीछे बसे हुए हैं। रक्षा खाई के आगे वाले निवासियों को तो अपने घर-बाहर खाली करने का हुक्म अप्रत्यक्ष तौर पर सुनाया जा चुका है। 
 
अधिकारियों ने माना है कि ऐसे क्षेत्रों से, जो पाक गोलाबारी की रेंज में तो नहीं आते, लेकिन हवाई हमलों के निशाने बन सकते हैं, से लोगों का पलायन चिंता की स्थिति पैदा कर रहा है। अधिकारी उन्हें सुरक्षा के प्रति आश्वस्त करने को तैयार नहीं हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे जानते हैं कि युद्ध होने की स्थिति में ये कस्बे हवाई हमलों के निशाने बन सकते हैं नतीजतन उनके पलायन को रोक पाना फिलहाल उनके बस की बात नहीं है।
 
स्थिति सीमाओं पर यह है कि पलायन करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। गैर सरकारी तौर पर सीमाओं पर बनी स्थिति के चलते अभी तक एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्रों से हजारों लोग अस्थाई पलायन कर चुके हैं।