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Last Updated : बुधवार, 4 अगस्त 2021 (23:46 IST)

समुद्र में उतरा पहला स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत Vikrant, पीएम मोदी ने बताया मेक इन इंडिया का बेहतरीन नमूना

समुद्र में उतरा पहला स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत Vikrant, पीएम मोदी ने बताया मेक इन इंडिया का बेहतरीन नमूना - vikrant first indigenous aircraft carrier warship landed in sea
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बुधवार को स्वदेशी विमानवाहक पोत (आईएसी) 'विक्रांत' के समुद्री परीक्षणों की शुरुआत की सराहना करते हुए कहा कि आईएसी का डिजाइनिंग और निर्माण देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार सोनोवाल ने कहा कि 'विक्रांत' का समुद्री परीक्षण शुरू करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल को सही मायने में प्रतिबिंबित करता है। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री ने देश को गौरवान्वित करने के लिए कोचीन शिपयार्ड और भारतीय नौसेना को भी बधाई दी।
बयान में कहा गया कि अगस्त 2013 में मंत्रालय के मजबूत समर्थन से कोचीन शिपयार्ड के बिल्डिंग डॉक से आईएसी के निर्माण की शुरुआत ने देश को एक विमानवाहक पोत के डिजाइन और निर्माण में सक्षम राष्ट्रों की महत्वपूर्ण श्रेणी में पहुंचा दिया था।
 
मेक इन इंडिया का बेहतरीन नमूना : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के पहले स्वदेश निर्मित विमानवाहक जहाज ‘‘विक्रांत’’ को ‘‘मेक इन इंडिया’’ का बेहतरीन नमूना बताया और इसके समुद्री परीक्षण की ‘‘ऐतिहासिक’’ उपलब्धि पर नौसेना को बधाई दी। ‘विक्रांत’ का समुद्र में बहुप्रतीक्षित परीक्षण बुधवार को शुरू हो गया। यह देश में निर्मित सबसे बड़ा और विशालकाय युद्धपोत है।
 
प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा कि भारतीय नौसेना द्वारा डिजायन किए गए और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित स्वदेशी विमानवाहक जहाज ‘विक्रांत’ ने आज अपना पहला समुद्री परीक्षण आरंभ किया। यह ‘मेक इन इंडिया’ का बेहतरीन नमूना है। भारतीय नौसेना और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड को इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर बधाई।
विक्रांत को इसके विमानन परीक्षण पूरे करने के बाद, अगले साल की दूसरी छमाही में भारतीय नौसेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है। इसे करीब 23,000 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित किया गया है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि विमानवाहक पोत का निर्माण आत्मनिर्भर भारत और ‘मेक इन इंडिया’ पहल की दिशा में राष्ट्र की कोशिश का एक उत्कृष्ट उदाहण है। 
 
भारतीय नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक माधवाल ने कहा कि यह भारत के लिए गौरवान्वित करने वाला और ऐतिहासिक दिन है क्योंकि 1971 के युद्ध में जीत में अहम भूमिका निभाने वाले अपने शानदार पूर्ववर्ती जहाज के 50वें साल में आज यह प्रथम समुद्री परीक्षण के लिए रवाना हुआ।
 
उन्होंने कहा कि यह भारत में बना सबसे बड़ा और विशालकाय युद्धपोत है। उन्होंने कहा‍ कि आत्मनिर्भर भारत और ‘मेक इन इंडिया’ पहल में यह एक गौरवान्वित करने वाला और ऐतिहासिक क्षण है। यह विमानवाहक जहाज करीब 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है तथा इसे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने निर्मित किया है।
 
जून में, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विमानवाहक जहाज के निर्माण की समीक्षा की थी। इस जहाज पर 30 लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं। युद्धपोत पर मिग-29 के लड़ाकू विमानों और केए-31 हेलीकॉप्टरों का एक बेड़ा होगा। भारत के पास अभी सिर्फ एक विमानवाहक जहाज ‘आईएनएस विक्रमादित्य’ है।
 
भारतीय नौसेना, हिंद महासागर क्षेत्र में सैन्य मौजूदगी बढ़ाने की चीन की बढ़ती कोशिशों के मद्देनजर अपनी संपूर्ण क्षमता महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने पर जोर दे रही है। हिंद महासागर, देश के रणनीतिक हितों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।