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Last Modified: गुरुवार, 8 जुलाई 2021 (17:41 IST)

नए आईटी नियम बोलने की आजादी पर 'हमला', न्यूज पोर्टल लीफलेट ने अदालत से कहा

नए आईटी नियम बोलने की आजादी पर 'हमला', न्यूज पोर्टल लीफलेट ने अदालत से कहा - The statement of the news portal regarding the new IT rule
मुंबई। डिजिटल न्यूज पोर्टल द लीफलेट ने गुरुवार को बंबई उच्च न्यायालय में कहा कि नया सूचना प्रोद्यौगिकी (मध्यवर्ती दिशनिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम-2021 बोलने की आजादी के मूलभूत अधिकार पर हमला है।

पोर्टल ने पिछले सप्ताह याचिका दायर कर नए आईटी नियमों को चुनौती देते हुए दावा किया कि यह संविधान के अनुच्छेद-14 (समानता), 19ए (भाषण और अभिव्यक्ति की आजादी), 19(1)(जी) (कोई भी पेशा करने, या नौकरी, व्यापार करने की आजादी) का उल्लंघन करता है।

द लीफलेट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता डैरियस खम्बाता ने गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ के समक्ष कहा कि इन नियमों का नकारात्मक असर मौलिक अधिकारों पर पड़ता है, जिसकी गारंटी संविधान में दी गई है।

उन्होंने कहा, वे (नियम) बोलने की आजादी के मूलभूत अधिकार पर हमला करते हैं। नियम कहता है कि अगर नए संगठन आचार संहिता का अनुपालन नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ अभियोजन की कार्रवाई हो सकती है। केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल अनिल सिंह ने पीठ से कहा कि देशभर की विभिन्न अदालतों में इस मामले को लेकर कुल 10 याचिकाएं दायर की गई हैं।
इसलिए केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर सभी याचिकाओं को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है। उन्होंने बताया, इस मामले पर नौ जुलाई को उच्चतम न्यायालय में सुनवाई होनी है। इसके बाद उच्च न्यायालय ने द लीफलेट की याचिका पर सुनवाई 16 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी।
वरिष्ठ पत्रकार निखिल वागले ने भी नियमों के मनमाना और गैर कानूनी होने का दावा करते हुए जनहित याचिका दायर की है। उनकी याचिका पर भी 16 जुलाई को सुनवाई होगी।(भाषा)
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