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Written By Author सुरेश एस डुग्गर
Last Modified: श्रीनगर , मंगलवार, 28 जुलाई 2015 (20:19 IST)

पंजाब का हमला आने वाले खतरे की 'चेतावनी'

पंजाब का हमला आने वाले खतरे की 'चेतावनी' - Terrorist attack
श्रीनगर। बीस सालों के अरसे के बाद पंजाब में हुए अपने किस्म के पहले और भयानक हमले से पंजाब दहल उठा है। पंजाब का दहलना स्वाभाविक ही था क्योंकि पंजाब में आतंकवाद के उन भयानक दिनों को पंजाबवासी लगभग भुला ही चुके थे जिसने हजारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। सोमवार को हुए आतंकवादी हमले में कुल दस लोगों की मौत हुई है। इसमें चार आतंकी, तीन नागरिक और तीन पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।
पंजाब के अपने किस्म के पहले हमले के बाद पंजाब समेत आसपास के राज्यों में रेडअलर्ट और हाईअलर्ट की सूचनाएं हैं, पर पंजाब के दीनानगर में हुए इस हमले से यह स्पष्ट होता था कि पंजाब पुलिस कितनी सतर्क थी। उसकी सतर्कता पर सवाल इसलिए उठने लगे थे, क्योंकि एक तो वार्षिक अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वाले पंजाब के इसी इलाके से होकर जम्मू-कश्मीर आते थे और पंजाब में अगले दिनों होने जा रहे चुनावों के बीच यह खबरें सामने आ रही थीं कि पंजाब के आतंकियों को पाक सेना की खुफिया एजेंसी आईएसआई सक्रिय करने की फिराक में है।
 
दीनानगर के पुलिस स्टेशन पर होने वाला हमला पूरी तरह से उन हमलों के समान ही था, जो अतीत में आतंकियों की ओर से जम्मू संभाग खासकर जम्मू-पठानकोट राजमार्ग से सटे इलाकों में स्थित पुलिस स्टेशनों और सेना के ठिकानों पर बोला जा चुका था। यही कारण था कि दीनानगर के हमले में शामिल आतंकियों को नेस्तनाबूद करने के लिए जम्मू-कश्मीर के पुलिसकर्मियों को भी घटनास्थल पर लोहा लेने के लिए भेजा गया था और उन्होंने अपने अनुभव का पूरा इस्तेमाल करते हुए चार आतंकियों को मार गिराया था। हालांकि मारे गए आतंकियों की संख्या पर रहस्य बना हुआ था क्योंकि आधिकारिक बयान भिन्न-भिन्न थे। एक बयान तीन आतंकियों के मारे जाने और एक के जिंदा गिरफ्तार करने का भी था।
 
फिलहाल इस पर सिर्फ अंदाजे ही लगाए जा रहे हैं कि आतंकियों का मकसद क्या था। वे कहां से आए थे और कैसे आए थे, पर एक बात जरूर इन अंदाजों से निकलकर आती थी कि सीमा पर की जाने वाली तारबंदी भी आतंकियों की घुसपैठ को रोक नहीं पा रही है। यूं तो 264 किमी लंबे जम्मू फ्रंटियर के इंटरनेशनल बार्डर पर परिंदा भी पर नहीं मार सकता का दावा लगातार बीएसएफ करती रही है, पर नदी-नालों के रास्तों से आने वाले आतंकी इन दावों की समय-समय पर धज्जियां जरूर उड़ा रहे हैं।
 
जम्मू-पठानकोट राजमार्ग पर पुलिस चौकियों, वाहनों और सैनिक ठिकानों पर हुए आतंकी हमलों की जांच में एक ही कामन बात सामने आई कि सभी हमलावर लूप होलों का लाभ लेकर इस ओर घुसे थे। यही नहीं ये जांच यह भी साबित करती रही हैं कि कई को उनके इधर के गाइड लेकर आए थे। हालांकि यह बात शंका भरी है कि कई हमलावर आतंकियों को इस ओर से गोला-बारूद मुहैया करवाया गया था।
 
इतना जरूर था कि इस हमले में शामिल आतंकियों का निशाना एक बार फिर अमरनाथ यात्रा ही थी क्योंकि पिछले कुछ सालों से आतंकी अमरनाथ यात्रा को जरा सी भी क्षति पहुंचाने में कामयाब नहीं हुए थे और आईएसआई के लिए अमरनाथ यात्रा सबसे नर्म लक्ष्य है, जिसको भेदकर वह जम्मू-कश्मीर में सांप्रदायिक तनाव भी पैदा कर सकती है। सिर्फ जम्मू कश्मीर में ही नहीं बल्कि वह जानती है कि इसकी प्रतिक्रिया पूरे भारतवर्ष में होगी और वह अपने मकसद में कामयाब हो सकती है।
 
खतरा अभी टला नहीं है। पंजाब में हमलों की शुरुआत करने वाली ताकतों के लिए पंजाब एक नर्म निशाना साबित हो सकता है। यह सच है कि आज के हमले से जम्मू-कश्मीर किंचित मात्र भी दहला इसलिए नहीं था क्योंकि पिछले 26 सालों के आतंकवाद के इतिहास में जम्मू-कश्मीर ऐसे हजारों हमलों को झेल चुका था और एक लाख से अधिक मौतों को देख चुका था। दूसरे शब्दों में कहें तो जम्मू-कश्मीर ऐसे हमलों का आदी हो चुका है।
 
पर ऐसा पंजाब के बारे में नहीं कहा जा सकता। पंजाब में आतंकवाद के बढ़ते कदमों को रोकना वहां की सरकार के हाथों में है। इसके लिए वहां के सभी राजनीतिक दलों को भी दलगत राजनीति से ऊपर उठकर दुश्मन की नापाक रणनीति का मुंहतोड़ जवाब देना होगा वरना पंजाब बीस साल पहले आतंकवाद के जिस रास्ते से मुड़कर विकास के रास्ते पर चला गया था, वहां फिर आकर खड़ा हो जाएगा।