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Last Modified: शनिवार, 22 नवंबर 2014 (09:06 IST)

आखिर क्यों स्मृति ईरानी ने जर्मन भाषा को हटाया?

आखिर क्यों स्मृति ईरानी ने जर्मन भाषा को हटाया? - Smriti Irani- German and Sanskrit dispute
नई दिल्ली। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने शुक्रवार को कहा कि केंद्रीय विद्यालयों में जर्मन को हटाए जाने को लेकर विवाद ‘जानबूझकर’ पैदा किया गया है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि तीसरी भाषा के रूप में जर्मन को बनाए रखना संविधान का उल्लंघन होता।
 
Smriti irani
स्मृति ईरानी ने एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से कहा, ‘यह जानते हुए कि जर्मन तीसरी भाषा नहीं है, स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में जर्मन की पढ़ाई हो रही थी और यह संविधान का उल्लंधन था.. मैंने भारतीय संविधान के तहत शपथ ली है और मैं इसका पालन करूंगी।’
 
मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय विद्यालय और गोएथे इंस्टीट्यूट.मैक्स मूलर भवन के बीच 2011 में सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसमें एमओयू में जर्मन को तीसरी भाषा के रूप में पेश किए जाने का जिक्र था और किसी भी चरण में मंत्रालय को इससे अवगत नहीं कराया गया।
 
स्मृति ईरानी ने कहा कि जहां तक छठी से आठवीं कक्षा के प्रभावित छात्रों का सवाल है, केंद्रीय विद्यालयों ने उन छात्रों को कॉंसिलिंग मुहैया कराने की शुरुआत कर दी है। छात्रों को तीसरी भाषा के रूप में संस्कृत के स्थान पर कोई भी भारतीय भाषा चुनने का विकल्प होगा।
 
उन्होंने कहा, ‘अगर कोई छात्र तीसरी भाषा के रूप में तमिल का विकल्प चुनता है तो हम सुनिश्चित करेंगे कि तमिल शिक्षक मुहैया हों।’ मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पिछले सप्ताह तीसरी भाषा के रूप में जर्मन के बदले संस्कृत शुरू करने का फैसला किया था। (भाषा)