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Last Modified: नई दिल्ली , बुधवार, 31 दिसंबर 2014 (12:51 IST)

तैयार हुआ 100 ‘स्मार्ट सिटी’ के विकास का खाका

तैयार हुआ 100 ‘स्मार्ट सिटी’ के विकास का खाका - Smart City, Ministry of Housing and Poverty Alleviation,
नई दिल्ली। शहरी विकास और आवास एवं गरीबी उन्मूलन मंत्रालय के लिए वर्ष 2022 तक सबको आवास मुहैया कराना तथा 100 स्मार्ट सिटी का विकास साल 2014 में बड़ा एजेंडा रहा।

मई में संप्रग की विदाई के बाद राजग सरकार के आने के साथ मंत्रालय की कमान भाजपा के वरिष्ठ नेता एम. वेंकैया नायडू के हाथ में आई। दोनों मंत्रालयों का प्रभार संभालते ही उन्होंने स्वच्छता और दफ्तर में समय की पाबंदी पर जोर दिया।

यह साल स्वच्छ भारत मिशन और शहरी क्षेत्रों में बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के लिए 500 शहरों के नवीकरण का भी गवाह बना।

संप्रग सरकार के अहम कार्यक्रम जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) के स्थान पर 500 शहरों के लिए राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन लाया गया। जेएनएनयूआरएम की शुरुआत 2005 में हुई थी और इसे 2 साल का विस्तार दिया गया था।

नायडू ने जिक्र किया है कि नवीनतम तकनीक की मदद से शहरीकरण तेज करने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और जन-जीवन का स्तर भी सुधरेगा।

तेजी से होते शहरीकरण को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय ने बड़े शहरों के सैटेलाइट शहर के तौर पर 100 स्मार्ट शहरों को विकसित करने की योजना तैयार की है। ये शहर सतत बिजली, पानी आपूर्ति, आसान स्वास्थ्य सुविधा, स्वच्छ हवा, स्वच्छता, सुरक्षा और मनोरंजन समेत अन्य आधुनिक मानकों से लैस होंगे।

मंत्रालय को 2014-15 के लिए करीब 7,060 करोड़ रुपए का बजट आवंटन किया गया, वहीं स्मार्ट सिटी और विरासत शहर परियोजना के पहले चरण के लिए 500 करोड़ रुपए अलग रखे गए।
विरासत शहर विकास और विस्तार योजना (हैरिटेज सिटी डवलपमेंट एंड ऑगमेन्टेशन योजना : एचआरआईडीएवाई) के तहत सरकार ने पहले चरण के लिए 12 विरासत शहरों- अमृतसर, अजमेर, मथुरा, गया, कांचीपुरम, वेलानकानी, वाराणसी, पुरी, द्वारका, बदामी, वारंगल और अमरावती का चयन किया है।

मोदी सरकार की 2022 तक सबको आवास मुहैया कराना इस साल की एक बड़ी नीतिगत घोषणा रही। आवास और गरीबी उन्मूलन मंत्रालय को एक नीति तैयार करना है जिसकी बदौलत किफायती आवास मुहैया कराया जाना है।

मंत्रालय के आंकड़े के मुताबिक 12वीं पंचवर्षीय योजना की शुरुआत में शहरी इलाके में 1.87 करोड़ मकानों की किल्लत थी। मंत्रालय का लक्ष्य 12वीं योजना अवधि में 36,000 करोड़ रुपए के खर्च से 10 लाख मकानों का निर्माण कराना है।

किफायती आवासों के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण रियल इस्टेट (नियमन और विकास) विधेयक संसद के बजट सत्र में रखे जाने की उम्मीद है। (भाषा)