शिवपाल ने अमर सिंह को दी ‘क्लीन चिट’
लखनऊ। उत्तरप्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव ने आज अपने भतीजे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव में अनुभव की कमी बताते हुए उनके साथ हुई तल्खी के लिए सपा के राज्यसभा सदस्य अमर सिंह को जिम्मेदार मानने से इनकार किया।
शिवपाल ने इंडिया टीवी के ‘चुनाव मंच’ कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के साथ तल्खी गहराने के पीछे सपा के राज्यसभा सदस्य अमर सिंह का हाथ होने संबंधी चर्चाओं पर कहा कि मेरा जहां तक अनुभव है तो अमर सिंह कभी भी हमारे परिवार का नुकसान नहीं कर सकते। यह मुझे भरोसा है। अखिलेश को भी अमर सिंह को इस मतभेद का जिम्मेदार नहीं मानना चाहिए।
अखिलेश, नेताजी (मुलायम) और हमारे नजदीक भी कुछ बाहर के लोग हैं। उसमें अक्ल का इस्तेमाल करना चाहिए। मालूम हो कि अखिलेश और सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव मुलायम परिवार में मचे घमासान के लिए परोक्ष रूप से अमर सिंह को जिम्मेदार ठहरा चुके हैं।
अखिलेश के साथ टकराव का कारण बनीं सभी गलतफहमियां दूर हो जाने का दावा करते हुए शिवपाल ने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री पद की कभी लालसा नहीं रही। वर्ष 2012 में सपा को प्रचंड बहुमत मिलने के बाद वह चाहते थे कि मुलायम एक बार फिर मुख्यमंत्री बनें। उन्होंने यह बात भी रखी थी कि लोकसभा चुनाव के बाद अखिलेश मुख्यमंत्री बनें। अगर सपा फिर प्रचंड बहुमत से जीतती है तो वह अखिलेश को फिर से मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखेंगे।
वरिष्ठ काबीना मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के बाद अहंकार नहीं आना चाहिए। यह कुर्सी तो नेतृत्व ने दी है। यह पूछे जाने पर कि क्या अखिलेश को पद का गुरूर हो गया है, शिवपाल ने कहा कि ‘उन्हें अनुभव की जरूरत है। मुख्यमंत्री को और अनुभव लेना चाहिए। अनुभव बड़ी चीज है। मैंने नेताजी से बहुत कुछ सीखा है। हम बचपन में उनकी बहुत नकल करते थे। अखिलेश को भी मुझसे सीखना चाहिए।
प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद अखिलेश की तीखी प्रतिक्रिया पर परोक्ष रूप से तंज करते हुए शिवपाल ने कहा कि ‘वर्ष 2011 में हम प्रदेश अध्यक्ष थे। हम कार्यालय में मीटिंग ले रहे थे और इसी तरह हमें हटाया गया था। जब कहते हो कि नेताजी का आदेश सब कुछ है तो जब उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया तो..।
चुनाव टिकट वितरण का अधिकार अपने पास रखने सम्बन्धी अखिलेश के बयान पर उन्होंने कहा ‘टिकट तो नेताजी को बांटना है। चुनाव कैसे लड़ना है, यह तो नेताजी का अधिकार है।’ शिवपाल ने कहा कि उन्होंने कौमी एकता दल का सपा में विलय भी नेताजी के आदेश से ही किया था। अब नेताजी ने मुख्तार अंसारी को छोड़कर उनके भाई अफजाल और उनके विधायक भाई सिबगतउल्ला अंसारी को फिर से पार्टी में लेने का निर्णय ले लिया है। (भाषा)