अलगाववादी बोले, 'पधारो म्हारे देश'
श्रीनगर। पांच महीनों की हिंसा, बंद और अब नोटबंदी के कारण कश्मीरियों की टूटी आर्थिक कमर को सीधा करने की खातिर हुर्रियती नेता आगे आए हैं। उन्होंने कई महीनों से जारी खराब हालात के सामान्य होने के बीच भारत सहित दुनियाभर के तमाम टूरिस्टों से कश्मीर आने की अपील की है। इन अलगाववादी नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि सभी पर्यटकों और श्रद्धालुओं का कश्मीर में स्वागत है। बता दें कि हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद से ही घाटी में हालात काफी खराब रहे हैं। माहौल को बिगाड़ने में इन अलगाववादी नेताओं का काफी हाथ रहा है।
हुर्रियत की तरफ से जारी बयान में सईद अली शाह गिलानी, मीरवायज उमर फारूक और मुहम्मद यासीन मलिक ने कहा कि भारत सहित दुनिया के तमाम देशों से आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं का कश्मीर में स्वागत है। उन्होंने कहा कि कश्मीरी दशकों से भारत और दुनियाभर के टूरिस्टों और श्रद्धालुओं की आवभगत करते रहे हैं। हम सभी लोगों को कश्मीर आने और हमारे आतिथ्य-सत्कार और धरती के स्वर्ग का मजा लेने का निमंत्रण देते हैं।
दरअसल, बंद की लगातार बढ़ती नाफरमानी और धीरे-धीरे बहाल होती सामान्य जिंदगी के बीच हड़ताली कैलेंडर से बाहर निकलने का रास्ता तलाश रही हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने इस रास्ते को चुना था और उसने देश-विदेश के पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को बेखौफ कश्मीर आने की दावत दी। उन्होंने कहा कि बाहर से आने वाले लोग हमारे मेहमान हैं और उनकी सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है।
कश्मीर के हालात पर नजर रखने वालों के मुताबिक, लगातार बंद से स्थानीय पर्यटन क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पूरी तरह प्रभावित हो चुकी है। दिसंबर से लेकर फरवरी अंत तक कश्मीर में सर्दियों का पर्यटन सीजन रहता है। हालात के चलते अभी तक कश्मीर में पर्यटकों की आमद ठप है। इससे पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों का दबाव भी अलगाववादियों पर है और उनका साथ बनाए रखने व देश-दुनिया में अपनी छवि को बचाए रखने के लिए ही अलगाववादी खेमे ने यह अपील जारी की है।
कट्टरपंथी सईद अली शाह गिलानी, उदारवादी हुर्रियत प्रमुख मीरवायज मौलवी उमर फारूक और मुहम्मद यासीन मलिक ने जारी साझा बयान में कहा कि कश्मीरी अपनी मेहमाननवाजी के लिए मशहूर रहे हैं। कश्मीर आने वाले पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की हमेशा कश्मीरियों ने हिफाजत की है। हमारा मजहब इस्लाम हमें इंसानियत, मेहमाननवाजी और मेहमानों की सुरक्षा को यकीनी बनाना सिखाता है।
तीनों अलगाववादी नेताओं ने अपने बयान में कहा है कि हम पूरी दुनिया के लोगों से, हिंदुस्तान के लोगों से कहते हैं कि आपका कश्मीर में स्वागत है। जमीन पर जन्नत कहलाने वाले कश्मीर में आप आइए, यहां कुदरती खूबसूरती और हमारी मेहमाननवाजी का मजा लीजिए। उन्होंने अपने बयान में यह आरोप लगाया कि बेशक वर्ष 2008 में जम्मू में सांप्रदायिक ताकतों ने कश्मीरियों के लिए दवाओं और बच्चों का दूध तक बंद कर दिया, लेकिन कश्मीरियों ने उस समय भी पर्यटकों व तीर्थयात्रियों की पूरी मदद की।
वर्ष 2010 में भी हमने पर्यटकों व तीर्थयात्रियों के लिए अपने घरों के दरवाजे खुले रखे और उसके बाद वर्ष 2014 में आई विनाशकारी बाढ़ के दौरान कश्मीरियों ने अपनी जान की परवाह किए बगैर पहले देश-विदेश से कश्मीर में आए सैलानियों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया। इसलिए हिंदुस्तान या दुनिया के किसी भी कोने के लोगों को कश्मीर आने से नहीं डरना चाहिए। पर्यटकों को कश्मीर आने का निमंत्रण देने वाला हुर्रियत का यह न्यौता पहली नजर में काफी अहम मालूम पड़ता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे संदेश जाता है कि काफी लंबे वक्त के बाद हुर्रियत की तरफ से कोई सकारात्मक बयान आया है।