2029 तक के लिए नरेंद्र मोदी को मिली संघ की हरी झंडी, 75 साल में रिटायरमेंट की अटकलों पर विराम
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा और संघ के बीच तल्खी और पिछले दिनों संघ प्रमुख के 75 साल में रिटायरमेंट वाले बयान पर मचे सियासी घमासान के बाद अब एक बार फिर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने संघ के नजरिए को साफ किया है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने 75 साल में रिटायरमेंट होने वाले मुद्दे पर कहा कि मैंने कभी नही कहा कि मुझे या किसी और को 75 साल की उम्र में रिटायर हो जाना चाहिए।
इसके सथ ही मोहन भागवत ने कहा कि संघ में हम स्वयं सेवकों को कार्य सौंपा जाता है, चाहे हमारी इच्छा हो या न हो, अगर मैं 80 साल का हो जाता हूं और संघ कहता है कि जाइए और शाखा लगाइए,मुझे जाना होगा, मैं नहीं कह सकता कि मैं 75 साल का हो चुका हूं। मैं रिटायरमेंट बेनिफिट का आनंद लेना चाहता हूं, कोई रिटायरमेंट बेनिफिट नहीं है, हम वह करते हैं, जो संघ हमसे कहता है। हम किसी भी समय रिटायरमेंट के लिए तैयार हैं, और जब तक संघ चाहता है हम कार्य करने के लिए तैयार है।
क्या मोदी 2029 में करेंगे नेतृत्व?- संघ प्रमुख मोहन भागवत का यह बयान कि संघ अगर कहता है कि 80 साल तक शाखा लगाने को कहता है तो वह काम करेंगे, इसके कई सियासी मायने है। ऐसे में जब सितंबर में संघ प्रमुख मोहन भागवत और नरेंद्र मोदी दोनों 75 साल के हो रहे है तो उनके उत्तराधिकारियों को लेकर चर्चा तेज हो गई थी, ऐसे में 80 साल तक काम करने की बात ने उन सियासी अटकलों को विराम लग गया है जिस पर मोदी के उत्तराधिकारी और 2029 के लिए भाजपा की ओर से नए चेहरे को प्रोजेक्ट करने पर चर्चा चल रही थी। वहीं अब भागवत का बयान क्या संघ की ओर से मोदी को चौथे कार्यकाल के लिए हरी झंडी भी है।
वहीं भाजपा और संघ के रिश्ते पर मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस भाजपा को कंट्रोल करती है, यह सोचना बिल्कुल गलत है।उन्होंने साफ किया कि आरएसएस सुझाव देता है, लेकिन भाजपा अपने फैसले खुद लेती है। इसके साथ ही मोहन भागवत ने उन सभी दावों को भी खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया कि भाजपा और आरएसएस में किसी तरह का मनमुटाव है। उन्होंने कहा कि आरएसएस और सरकार के बीच कोई झगड़ा है। हमारी हर सरकार के साथ अच्छी बातचीत होती है, चाहे वह राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार। उन्होंने ये भी कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शाखा चलाना जानता है और भाजपा सरकार चलाना जानती है तथा वे केवल एक-दूसरे को सुझाव देते हैं।
दरअसल लोकसभा चुनाव 2024 में NDA को अपेक्षित परिणाम नहीं मिलने के पीछे आरएसएस और भाजपा के बीच समन्वय की कमी को भी एक कारण माना गया था। चुनाव के दौरान जिस तरह से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संघ को लेकर बयान दिया उससे भाजपा और संघ के बीच की तल्खी को जगजाहिर कर दिया था। दरअसल लोकसभा चुनाव के दौरान अपने एक इंटरव्यू में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि पहले हम इतनी बड़ी पार्टी नहीं थे और अक्षम थे। हमें आरएसएस की जरूरत पड़ती थी, लेकिन आज हम काफी आगे बढ़ चुके हैं और अकेले दम पर आगे बढ़ने में सक्षम हैं। इंटरव्यू के दौरान जब भाजपा अध्यक्ष से पूछा गया कि क्या भाजपा को अब आरएसएस के समर्थन की जरूरत नहीं है।