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Last Updated : गुरुवार, 10 दिसंबर 2015 (15:25 IST)

जानिए हिट एंड रन मामले का पूरा घटनाक्रम

जानिए हिट एंड रन मामले का पूरा घटनाक्रम - salman-khan hit and run case chronology of events
बॉम्बे उच्च न्यायालय ने बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान को बड़ी राहत देते हुए बहुचर्चित हिट एंड रन मामले के सभी आरोपों से 10 दिसंबर 2015 को बरी कर दिया। जानिए घटना से जुड़ा पूरा घटनाक्रम 
 
28 सितंबर 2002  : बांद्रा पश्चिम में सड़क किनारे एक बेकरी में देर रात करीब दो बजे सलमान की टोयोटा लैंड क्रूजर कार ने टक्कर मारी। बेकरी के बाहर सो रहे पांच लोगों में से एक की मौत। बाकी चार को गंभीर चोटें आईं। उसी दिन दोपहर में सलमान की गिरफ्तारी और महानगर दंडाधिकारी की अदालत की ओर से जमानत मिली।
 
21 अक्टूबर : सलमान पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304-दो(गैर इरादतन हत्या) के तहत आरोप तय।
 
24 अक्टूबर : सलमान की दोबारा गिरफ्तारी। सत्र अदालत से जमानत मिली।
 
मार्च 2003 : सलमान ने आईपीसी की धारा 304-दो को प्रयोग किए जाने को चुनौती दी।
 
मई : अदालत ने सलमान की याचिका खारिज की और महानगर दंडाधिकारी की अदालत को आईपीसी की धारा 304-दो के तहत आरोप तय करने के लिए कहा।
 
जून : सलमान ने बंबई उच्च न्यायालय में अपील की, जिसने फैसला सुनाया कि इस मामले में यह धारा उचित नहीं है।
अगले पन्ने पर, क्या नशे में थे सलमान खान... 
 

अक्टूबर : राज्य ने उच्च न्यायालय के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी।
 
दिसंबर : सबूतों पर गौर करने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि धारा 304-दो का उपयोग करना है या नहीं, यह दंडाधिकारी तय करे।
 
अक्टूबर 2006 : बांद्रा महानगर दंडाधिकारी की अदालत ने सलमान पर आईपीसी की धारा 304-एक(तेजी व लापरवाही से ड्राइविंग) और अन्य संबंधित धाराओं में आरोप तय किए।
 
22 मई, 2007 : एक रासायनिक विश्लेषण रपट में बताया गया कि घटना के वक्त सलमान नशे में थे।
 
मार्च 2011 : अभियोजन पक्ष ने सलमान के खिलाफ आरोप बढ़ाने की मांग की।
अगले पन्ने पर, मामले जुड़े मुख्य बिंदु 
 
दिसंबर 2012 : बांद्रा महानगर दंडाधिकारी अदालत ने फैसला सुनाया कि इस मामले में धारा 304-दो के तहत मामला बनता है और मुकदमा मुंबई सत्र न्यायालय को सौंप दिया।
 
मार्च 2013 : सलमान ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए सत्र न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल की।
 
24 जून : सत्र न्यायालय ने सलमान की याचिका खारिज कर कड़े कदम उठाए जाने का रास्ता साफ कर दिया।
 
दिसंबर : मुंबई सत्र न्यायालय ने मामले में सलमान के खिलाफ नए सिरे से सुनवाई करने और सभी चश्मदीद गवाहों के नए सिरे से बयान दर्ज करने के आदेश दिए।
 
अप्रैल 2014 : पहले गवाह सांबा गौड़ा ने मामले की पुन: सुनवाई के दौरान गवाही दी और इस मामले की सुनवाई के दौरान नियमित तौर पर सत्र न्यायालय के समक्ष पेश होता रहा।
 
25 मार्च, 2015 : मामले की पुन: सुनवाई के दौरान 27 चश्मदीद गवाहों से पूछताछ करने के बाद विशेष सरकारी वकील प्रदीप घरात ने सलमान के खिलाफ अपना मामला बंद कर दिया।
 
20 अप्रैल : बचाव पक्ष के वकील श्रीकांत शिवड़े ने अभियोजन पक्ष के आरोपों के खिलाफ तर्क दिए और अपनी जिरह पूरी की।
 
21 अप्रैल : मुंबई अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डी.डब्ल्यू देशपांडे ने मामले में 6 मई को फैसला सुनाने की घोषणा की। 
 
6 मई 2015 : अदालत ने सलमान खान को दोषी माना।  सलमान खान को गैर इरादतन हत्या आईपीसी की धारा 304 (2) के तहत सेशन कोर्ट ने 5 साल की सजा सुनाई। 
 
6 मई 2015 : शाम तक बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें दो दिन की अंतरिम राहत देते हुए 8 मई तक जमानत दे दी हाई कोर्ट से जमानत लेने का जिम्मा सलमान की ओर से जाने माने वकील हरीश साल्वे को सौंपा गया था। साल्वे ने कोर्ट के सामने दलील दी कि अब तक सेशंस कोर्ट के आदेश का ऑपरेटिव पार्ट ही उन्हें मिला है और पूरा ऑर्डर उन्हें मिलने से पहले सलमान को जेल नहीं भेजा जा सकता है। साल्वे ने कहा कि आदेश की पूरी कॉपी मिलने के बाद सलमान खुद सरेंडर कर देंगे। कोर्ट ने यह दलील स्वीकार करते हुए सलमान की जमानत दो दिन के लिए बढ़ा दी। 

दिसंबर 2012 : बांद्रा महानगर दंडाधिकारी अदालत ने फैसला सुनाया कि इस मामले में धारा 304-दो के तहत मामला बनता है और मुकदमा मुंबई सत्र न्यायालय को सौंप दिया।
 
मार्च 2013 : सलमान ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए सत्र न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल की।
 
24 जून : सत्र न्यायालय ने सलमान की याचिका खारिज कर कड़े कदम उठाए जाने का रास्ता साफ कर दिया।
 
दिसंबर : मुंबई सत्र न्यायालय ने मामले में सलमान के खिलाफ नए सिरे से सुनवाई करने और सभी चश्मदीद गवाहों के नए सिरे से बयान दर्ज करने के आदेश दिए।
अगले पन्ने पर, फिर हुआ यह फैसला... 
 
 

अप्रैल 2014 : पहले गवाह सांबा गौड़ा ने मामले की पुन: सुनवाई के दौरान गवाही दी और इस मामले की सुनवाई के दौरान नियमित तौर पर सत्र न्यायालय के समक्ष पेश होता रहा।
 
25 मार्च, 2015 : मामले की पुन: सुनवाई के दौरान 27 चश्मदीद गवाहों से पूछताछ करने के बाद विशेष सरकारी वकील प्रदीप घरात ने सलमान के खिलाफ अपना मामला बंद कर दिया।
 
20 अप्रैल : बचाव पक्ष के वकील श्रीकांत शिवड़े ने अभियोजन पक्ष के आरोपों के खिलाफ तर्क दिए और अपनी जिरह पूरी की।
 
21 अप्रैल : मुंबई अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डी.डब्ल्यू देशपांडे ने मामले में 6 मई को फैसला सुनाने की घोषणा की। 
 
6 मई 2015 : अदालत ने सलमान खान को दोषी माना।  सलमान खान को गैर इरादतन हत्या आईपीसी की धारा 304 (2) के तहत सेशन कोर्ट ने 5 साल की सजा सुनाई। 
 
6 मई 2015 : शाम तक बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें दो दिन की अंतरिम राहत देते हुए 8 मई तक जमानत दे दी हाई कोर्ट से जमानत लेने का जिम्मा सलमान की ओर से जाने माने वकील हरीश साल्वे को सौंपा गया था। साल्वे ने कोर्ट के सामने दलील दी कि अब तक सेशंस कोर्ट के आदेश का ऑपरेटिव पार्ट ही उन्हें मिला है और पूरा ऑर्डर उन्हें मिलने से पहले सलमान को जेल नहीं भेजा जा सकता है। साल्वे ने कहा कि आदेश की पूरी कॉपी मिलने के बाद सलमान खुद सरेंडर कर देंगे। कोर्ट ने यह दलील स्वीकार करते हुए सलमान की जमानत दो दिन के लिए बढ़ा दी। 

10 दिसंबर 2015 : बॉम्बे उच्च न्यायालय ने बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान को बड़ी राहत देते हुए सभी आरोपों से बरी कर दिया।