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Last Updated : बुधवार, 18 अगस्त 2021 (17:49 IST)

Afghanistan crisis : कितना मुश्किल था काबुल से भारतीयों को बाहर निकालना, विदेश मंत्री जयशंकर ने बताई मिशन की पूरी कहानी

Afghanistan crisis : कितना मुश्किल था काबुल से भारतीयों को बाहर निकालना, विदेश मंत्री जयशंकर ने बताई मिशन की पूरी कहानी - s. Jaishankar's statement about Indian personnel
नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि काबुल से भारतीय दूतावास के कर्मियों को बाहर निकालना कठिन और जटिल कार्य था। विदेश मंत्री जयशंकर का यह बयान तब आया है जब राजनयिकों, अधिकारियों, सुरक्षाकर्मियों और कुछ फंसे भारतीयों सहित लगभग 150 लोगों को लेकर भारतीय वायुसेना का सी-17 विमान राष्ट्रीय राजधानी के पास स्थित हिंडन वायुसेना स्टेशन में उतरा और इस तरह से 2 चरणों में लोगों को काबुल से बाहर निकालने का अभियान पूरा हुआ।

 
जयशंकर ने अपने अमेरिकी समकक्ष एंटनी ब्लिंकन से बातचीत की जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल ने राष्ट्रपति जो बाइडेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवान के साथ सोमवार शाम को भारतीय कर्मियों को बाहर निकालने को लेकर चर्चा की। इस मामले से परिचित लोगों ने यह जानकारी दी।
 
विदेश मंत्री एस. जयशंकर 4 दिवसीय यात्रा पर अभी न्यूयॉर्क में हैं। उन्होंने एक ट्वीट में फ्रांस के अपने समकक्ष ज्यां एविस ली द्रेयां को काबुल से 21 भारतीयों को निकालकर पेरिस लाने के लिए धन्यवाद दिया। समझा जाता है कि जयशंकर और डोवाल काबुल स्थित दूतावास से करीब 190 भारतीय राजनयिकों, अधिकारियों और सुरक्षा कर्मियों को सुगमता से बाहर निकालना सुनिश्चित करने में जुटे हुए थे।

 
भारत ने काबुल से दूतावास कर्मियों को वापस लाने का कार्य पूरा कर लिया है। एक दिन पहले ही काबुल हवाई अड्डे पर अभूतपूर्व दृश्य देखने को मिला था जब वहां के हताश लोगों को तालिबान की बर्बरता के भय से वहां से भागने के प्रयास में अमेरिका के एक सैन्य विमान पर चढ़ने का प्रयास करते देखा गया था।
 
इस बीच, विदेश मंत्री जयशंकर ने ट्वीट किया कि काबुल से राजदूत और भारतीय दूतावास के कर्मियों को बाहर निकालना कठिन और जटिल कार्य था और इसे संभव बनाने एवं सहयोग करने वाले सभी लोगों को धन्यवाद देता हूं। विदेश मंत्री की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब भारतीय वायुसेना के 2 सैन्य विमानों से भारतीय राजनयिकों, अधिकारियों, सुरक्षा कर्मियों एवं वहां कुछ फंसे हुए भारतीयों सहित करीब 190 लोगों को काबुल से वापस लाया गया। इसमें पहले विमान से 40 कर्मियों को लाया गया जबकि दूसरे विमान से 150 कर्मियों को वापस लाया गया।

 
समझा जाता है कि जिन लोगों को दूसरे विमान से लौटना था, वे जमीनी स्थिति के कारण वापस नहीं लौट सके। इससे पहले जयशंकर ने कहा कि विदेश मंत्री ज्यां एविस ले द्रेयां के साथ अफगानिस्तान की उभरती स्थिति पर चर्चा की। हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में समन्वय जारी रखेंगे। काबुल से 21 भारतीयों को निकालकर पेरिस लाने के लिए धन्यवाद दिया।
 
इससे पहले जयशंकर ने कहा कि उन्होंने अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से अफगानिस्तान के हालिया घटनाक्रम पर चर्चा की है। उन्होंने बीती देर रात तीन बजे ट्वीट किया कि (अमेरिका के विदेश मंत्री) ब्लिंकन के साथ अफगानिस्तान के ताजा घटनाक्रम पर चर्चा की। हमने काबुल में हवाई अड्डा संचालन बहाल करने की अत्यधिक आवश्यकता पर बल दिया। हम इस संबंध में अमेरिकी प्रयासों की बहुत सराहना करते हैं। जयशंकर ने कहा कि भारत काबुल में हालात पर लगातार नजर रख रहा है।
 
उन्होंने ट्वीट किया कि मैं काबुल के हालात पर लगातार नजर रख रहा हूं। भारत लौटने के इच्छुक लोगों की घबराहट समझता हूं। हवाई अड्डा संचालन मुख्य चुनौती है। इस संबंध में साझेदारों के साथ विचार-विमर्श जारी है। विदेश मंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि अफगानिस्तान में घटनाक्रम पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आज महत्वपूर्ण चर्चा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताओं को जताया। संयुक्त राष्ट्र में मेरे कार्यक्रमों के दौरान इन पर चर्चा की उम्मीद है।(भाषा)