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Last Modified: नई दिल्ली , बुधवार, 20 जुलाई 2016 (14:42 IST)

गुजरात में दलितों के उत्पीड़न पर संसद में हंगामा

गुजरात में दलितों के उत्पीड़न पर संसद में हंगामा - Parliament uproar on Dalit exploitaion in Gujrat
नई दिल्ली। गुजरात में दलितों के कथित उत्पीड़न को लेकर कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के हंगामे के कारण राज्यसभा की बैठक बुधवार को एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
 
उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर उपसभापति पीजे कुरियन ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसके तत्काल बाद तृणमूल कांग्रेस की डेरेक ओ ब्रायन ने गुजरात में दलितों के कथित उत्पीड़न का मुद्दा उठाया। 
 
उन्होंने कहा कि गुजरात में दलितों का दमन किया जा रहा है और यहां इस मुद्दे पर चर्चा तक नहीं हो रही है। उन्होंने गुजरात में स्थानीय गौरक्षक समूह के सदस्यों द्वारा दलितों पर कथित हमले किए जाने की घटना का संदर्भ देते हुए कहा यह एक संगठित अपराध है, जो गुजरात में हो रहा है। इस मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए। अन्य दलों के सदस्यों ने उनका समर्थन किया। इसी बीच मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी के सदस्यों ने भी यह मुद्दा उठाया। 
 
सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने अपनी बात रखने की अनुमति मांगी। कुरियन ने उन्हें बोलने की अनुमति दी, लेकिन बसपा प्रमुख मायावती अपनी बात पहले रखना चाहती थीं। 
 
कुरियन ने कहा कि उन्होंने आजाद को बोलने की अनुमति दी है इसीलिए वे अपना पक्ष पहले रखें और फिर मायावती अपनी बात कहें। बहरहाल, मायावती नहीं मानीं और उन्होंने व्यवस्था का प्रश्न उठाया। तब कांग्रेस और सत्तापक्ष के सदस्यों ने जानना चाहा कि बसपा प्रमुख ने किस नियम के तहत व्यवस्था का प्रश्न उठाया है? 
 
कांग्रेस सदस्यों ने कहा कि विपक्ष के नेता को पहले बोलने की अनुमति देनी चाहिए। इसी बीच तृणमूल कांग्रेस, बीजद, कांग्रेस और जदयू के सदस्य के सदस्य आसन के समक्ष आकर सरकार के खिलाफ नारे लगाने लगे।
 
कुरियन ने उनसे अपने स्थानों पर लौट जाने की अपील करते हुए कहा कि मायावती हम सबकी बहन हैं और उन्हें व्यवस्था का प्रश्न उठाने दिया जाए। हंगामा थमते न देख उन्होंने 11 बजकर 10 मिनट पर बैठक को 10 मिनट के लिए स्थगित कर दिया।
 
एक बार के स्थगन के बाद बैठक पुन: शुरू होने पर कांग्रेस, बसपा, तृणमूल, बीजद, जदयू के सदस्य आसन के समक्ष आकर सरकार के खिलाफ नारे लगाने लगे।
 
हंगामे के बीच ही सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत बयान देने के लिए उठे, लेकिन हंगामे के कारण उनकी बात सुनी नहीं जा सकी। संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी उन्हें हंगामे में ही अपनी बात रखने के लिए कहते देखे गए।
 
गहलोत यह कहते हुए सुने गए कि घटना को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई है। राज्य सरकार ने तत्काल कार्रवाई की और आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। पीड़ितों को आर्थिक मदद दी जा रही है। घटना की जांच के आदेश दिए गए हैं और जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
 
कुरियन ने हंगामा कर रहे सदस्यों से कहा कि वे अपने स्थानों पर जाएं और मंत्री को अपनी बात कहने दें, लेकिन सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने 11 बजकर 25 मिनट पर बैठक 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
 
दो बार के स्थगन के बाद 12 बजे उच्च सदन की बैठक शुरू होते ही कांग्रेस, तृणमूल, बीजद आदि के सदस्य आसन के समक्ष आ गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लग गए। 
 
सभापति हामिद अंसारी ने सदस्यों से शांत होने और प्रश्नकाल चलने देने की अपील की, लेकिन हंगामा कर रहे सदस्यों पर इस अपील का कोई असर नहीं हुआ और उन्होंने कुछ क्षणों बाद ही बैठक आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी।
 
इसके बाद बैठक फिर शुरू होने पर भी सदन में वही नजारा दिखा और विभिन्न दलों के सदस्य आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करने लगे। अंसारी ने एक बार फिर सदस्यों से अपने स्थानों पर वापस जाने की अपील की, लेकिन सदन में हंगामा जारी रहा और उन्होंने कुछ मिनट बाद ही बैठक दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। (भाषा) 
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