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Last Updated : गुरुवार, 12 अगस्त 2021 (01:03 IST)

संसद के Monsoon Session में हंगामा ज्यादा.. काम कम, लोकसभा में 22% व राज्यसभा में 28% ही हुआ कामकाज

संसद के Monsoon Session में हंगामा ज्यादा.. काम कम, लोकसभा में 22% व राज्यसभा में 28% ही हुआ कामकाज - parliament monsoon session end with disruption and uproar 22 percent work done in lok sabha 28 percent in rajya sabha
मुख्य बिंदु
  • लोकसभा में 1 घंटे का खर्च 1.5 करोड़
  • राज्यसभा में 1 घंटे का खर्च 1.1 करोड़ 
  • जनता के 200 करोड़ रुपए स्वाहा
नई दिल्ली। संसद का 19 जुलाई से शुरू हुआ मानसून सत्र अपने पूर्व निर्धारित समय से 2 दिन पहले ही बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। पेगासस जासूसी मामले और 3 कृषि कानूनों सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के हंगामे के कारण लोकसभा में जहां मात्र 22 प्रतिशत वहीं राज्यसभा में सिर्फ 28 प्रतिशत ही कामकाज हो पाया।

संसद में पूरे सत्र के दौरान गतिरोध बना रहा, हालांकि राज्यों को अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची बनाने का अधिकार देने संबंधित संविधान संशोधन विधेयक पर दोनों सदनों में सभी विपक्षी दलों ने चर्चा में भाग लिया। दोनों सदनों की मर्यादा तार-तार हुई। सभापति के समझाने के बावजूद राज्यसभा में पेपर फाड़कर हवा में फेंके गए। मारपीट तक के आरोप विपक्ष और सरकार ने एक-दूसरे पर लगाए।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सुबह कार्यवाही शुरू होने पर बताया कि 17वीं लोकसभा की छठी बैठक 19 जुलाई 2021 को शुरू हुई और इस दौरान 17 बैठकों में 21 घंटे 14 मिनट कामकाज हुआ। उन्होंने कहा कि सदन में कामकाज अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा।

बिरला ने बताया कि व्यवधान के कारण 96 घंटे में करीब 74 घंटे कामकाज नहीं हो सका। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, निरंतर व्यवधान के कारण महज 22 प्रतिशत कार्य निष्पादन रहा। उन्होंने बताया कि सत्र के दौरान संविधान (127वां संशोधन) विधेयक सहित कुल 20 विधेयक पारित किए गए। चार नए सदस्यों ने शपथ ली। बिरला ने बताया कि मानसून सत्र के दौरान 66 तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए गए और सदस्यों ने नियम 377 के तहत 331 मामले उठाए।
उन्होंने कहा कि इस दौरान विभिन्न स्थाई समितियों ने 60 प्रतिवेदन प्रस्तुत किए, 22 मंत्रियों ने वक्तव्य दिए और काफी संख्या में पत्र सभापटल पर रखे गए। उन्होंने बताया कि सत्र के दौरान अनेक वित्तीय एवं विधायी कार्य निष्पादित किए गए। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के वक्तव्य के बाद वंदे मातरम की धुन बजाई गई और सदन की बैठक को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।

राज्यसभा में हंगामा : सदन की मर्यादा तार-तार हुई। सभापति के समझाने के बावजूद राज्यसभा में पेपर फाड़कर हवा में फेंके गए। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को सदन में हुई घटना पर क्षोभ व्यक्त करते हुए बुधवार को रुंधे गले से कहा कि वह रातभर सो नहीं सके क्योंकि लोकतंत्र के सर्वोच्च मंदिर की पवित्रता भंग की गई। उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति ने कल की घटना पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि वह इस वरिष्ठ सदन की गरिमा पर आघात के कारण का पता लगाने के लिए प्रयास करते रहे।

राज्यसभा में बुधवार को पेगासस जासूसी मामले सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही कई बार बाधित हुई और अंत में कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। हालांकि इससे ठीक पहले राज्यसभा में राज्यों को अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची बनाने का अधिकार देने संबंधी एक महत्वपूर्ण विधेयक को लगातार करीब 6 घंटे चर्चा करके पारित किया गया।

महिला सदस्यों से धक्कामुक्की : सरकार की तरफ से दावा किया गया कि विपक्षी सांसदों ने सदन में मौजूद मार्शलों और कर्मचारियों के साथ मारपीट की, वहीं विपक्षी सांसदों ने सरकार पर विपक्षी सांसदों के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि सदन में विरोध प्रदर्शन के दौरान वहां मौजूद कुछ महिला सुरक्षाकर्मियों ने विपक्ष की महिला सदस्यों के साथ धक्कामुक्की की और उनका अपमान किया।
हालांकि सरकार ने उनके आरोप को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह ‘सत्य से परे’ है। खड़गे ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि विपक्ष के सदस्य जब विरोध प्रदर्शन के लिए आसन के निकट जाते हैं तो पुरुष और महिला सुरक्षाकर्मी का एक घेरा बना दिया जाता है।

पीयूष गोयल ने कहा कि पीठासीन अध्यक्ष, महासचिव पर हमला करने की कोशिश की गई और सबसे निदंनीय यह हुआ कि एक महिला सुरक्षाकर्मी की गला घोंटने की कोशिश की गई। गोयल ने राज्यसभा में विपक्ष के आचरण की जांच के लिए समिति गठित करने को कहा।