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Last Modified: नई दिल्ली , बुधवार, 4 मार्च 2015 (18:55 IST)

नागरिकता संशोधन विधेयक को संसद की मंजूरी

नागरिकता संशोधन विधेयक को संसद की मंजूरी - Parliament
नई दिल्ली। संसद में आज नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2015 को मंजूरी मिल गई जो इससे संबंधित अध्यादेश के स्थान पर लाया गया था। इसके माध्यम से नागरिकता कानून में प्रवासी भारतीयों के पंजीकरण को उदार बनाने के साथ उनके जुड़े प्रावधानों को लागू करने से संबंधित खामियों को दूर करने का प्रयास किया गया है।
राज्यसभा में इस विधेयक पर हुई चर्चा के जवाब में गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि यह अध्यादेश लाना इसलिए जरूरी हो गया था क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में भारतीय मूल के लोग (पीआईओ) एवं ओवरसीज सिटीजंस ऑफ इंडिया (ओसीआई) कार्ड का नौ जनवरी से पहले विलय करने की प्रतिबद्धता जताई थी। नौ जनवरी 1915 को ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे और मौजूदा साल इसका शताब्दी वर्ष है।
 
रिजिजू ने कहा कि यह एक भावनात्मक मामला था इसलिए अध्यादेश लाया गया। रिजिजू के जवाब के बाद राज्यसभा ने इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। इस विधेयक के जरिए नागरिकता कानून 1955 में संशोधन किया जाएगा। इसमें पीआईओ और ओसीआई कार्ड को एक साथ मिला देने की बात कही गई है।
 
रिजिजू ने कहा कि इस विधेयक के प्रावधानों के अनुसार अब ओसीआई कार्डधारकों का लाभ उनकी चौथी पीढ़ी तक के बच्चों को मिलेगा। यह सुविधा अभी केवल पीआईओ कार्डधारकों को ही मिल रही है। उन्होंने कार्डधारकों के साथ भेदभाव या उन्हें परेशान किए जाने के मुद्दों पर सदन को आश्वासन दिया कि कार्ड हासिल करने की पूरी प्रक्रिया को सुगम बनाया जाएगा।
 
इससे पहले विधेयक पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि मौजूदा सरकार में अध्यादेश लाने की परंपरा उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता ने स्पष्ट किया था कि अध्यादेश की परंपरा को सीमित नहीं किया गया तो संसद के सामने रबड़ स्टाम्‍प बनने के सिवाय कोई और चारा नहीं रह जाएगा। 
 
कांग्रेस के व्यालार रवि ने कहा कि विदेशों में रहने वाले भारतीयों को इस प्रस्तावित कानून के माध्यम से एक भारतीय नागरिक के रूप में पंजीकृत करने की सुविधा देना स्वागतयोग्य कदम है। उन्होंने कहा कि इससे विदेशों में रहने वाले भारतीयों में संकेत जाएगा कि देश उनकी भागीदारी को स्वीकार करता है।
 
भाजपा के मेघराज जैन ने इस विधेयक का स्वागत करते हुए कहा कि अब विदेशों में रहने वाले भारतीयों को देश में संपत्ति और जायदाद खरीदने की सुविधा होगी। वे देश के विकास में योगदान कर सकेंगे और इससे 43 देशों में रहने वाले भारतीयों को लाभ होगा।
 
सपा के विश्‍वंभर प्रसाद निषाद ने विधेयक के प्रावधानों को अच्छा बताते हुए कहा कि देश में आने वाले लोगों पर निगाह रखने की भी आवश्यकता है। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री ने विदेशों में रहने वाले भारतीयों से किए वादे को पूरा किया है लेकिन इसके लिए अध्यादेश का रास्ता लेना जल्दबाजी वाला कदम था। (भाषा)