शनिवार को नेपाल में आए 7.9 रिक्टर पैमाने के भूकंप ने नेपाल में भारी तबाही मचाई। इस दौरान नेपाल की कई ऐतिहासिक इमारतें नेस्तनाबूद हो गईं। यह नेपाल में पिछले 80 सालों में आया सबसे भयावह प्रकृति का प्रकोप
है।
नेपाल में यूनेस्को के द्वारा चिह्नित आधे से ज्यादा ऐतिहासिक इमारतें ढह गईं। ऐसी ही कुछ इमारतों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, जो इस भयावह भूकंप में पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गईं। इतनी तबाही में हालांकि भगवान शिव के मंदिर पशुपतिनाथ को कोई नुकसान नहीं हुआ है।
पाटन दरबार स्क्वेयर में कई मंदिर हैं, जो अपनी अद्भुत बनावट के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। इन मंदिरों की बनावट नेपाल में सबसे बढ़िया कारीगरी का उदाहरण है। इन मंदिरों को बनाने के लिए ज्यादातर लकड़ी का इस्तेमाल किया गया था। यहां स्थित सभी मंदिर भूकंप के साए में जमींदोज हो गए। इन मंदिरों को 3री शताब्दी के आस-पास निर्मित किया गया था।
बख्तपुर दरबार स्क्वेयर में 99 प्रांगण हैं। ये एक समय नेपाल की रॉयल्टी की पहचान माने जाया करते थे। इसकी आधी से ज्यादा बिल्डिंग 1934 में आए भूकंप में तबाह हो गई थीं। अब इसमें 6 प्रांगण ही सुरक्षित थे, जो शनिवार को आए भूकंप में जमींदोज हो गए।
बस्तानपुर दरबार स्क्वेयर 19वीं शताब्दी तक नेपाल की रॉयल फैमिली का घरौंदा हुआ करता था। यहां पर पहले बहुत मंदिर हुआ करते थे जिसमें आधे से ज्यादा मंदिर भूकंप के कारण ढह गए।
जो मंदिर ढहे, उनके नाम कास्थामंडप, पंचताले मंदिर, नौ मंजिला बसंतपुर दरबार, दासा अवतार मंदिर, कृष्ण मंदिर और शिव-पार्वती मंदिर सहित कई भूकंप से ध्वस्त हो गए। बस्तानपुर दरबार स्क्वेयर पर इस बार फिर से भारी तबाही देखी गई।
कभी नेपाल की सबसे ऊंची रही धराहरा इमारत, जिसे आप 'नेपाल का कुतुबमीनार' भी कह सकते हैं, को शनिवार के भूकंप ने जमींदोज कर दिया है। नौ मंजिली इमारत पूरी तरह तबाह हो गई है।
काठमांडू स्थित धराहरा टॉवर को 1824 में तब के प्रधानमंत्री भीमसेन थापा ने बनवाया था। 1832 में इसके बगल में रानी त्रिपुरा सुंदरी के आदेश पर एक और टॉवर बनाया गया।
अपने निर्माण के साथ ही इन टॉवरों पर भूकंप की मार पड़नी शुरू हो गई थी। 1834 के एक बड़े भूकंप में पहले टॉवर को भारी नुकसान हुआ था और 1993 के भूकंप में ये पूरी तरह नष्ट हो गया।
1993 के भी भूकंप में दूसरे टॉवर ने, जो कि 11 मंजिल का था, अपनी 7 मंजिलों को खो दिया। ये महज 4 मंजिल का बचा रह गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री ने 9 मंजिलों तक इसका पुनर्निर्माण कराया। तब इसकी ऊंचाई 61.88 मीटर तक पहुंची, लेकिन शनिवार के भूकंप ने इसे फिर जमीन पर ला दिया है।