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Last Updated : शनिवार, 14 मई 2016 (20:32 IST)

बदलाव स्वीकारें, पुरानी परंपराओं को छोड़ें : नरेन्द्र मोदी

बदलाव स्वीकारें, पुरानी परंपराओं को छोड़ें : नरेन्द्र मोदी - Narendra Modi, Ninora village
निनोरा (उज्जैन)। खुद के रास्ते को दूसरों के रास्ते से सही मानने के भाव को पृथ्वी के तापक्रम में वृद्धि और आतंकवाद जैसी भीषण समस्याओं की जड़ बताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि भारत अंतरद्वंद्व से जुड़े वैश्विक मसलों को हल करने में प्रतिनिधि भूमिका निभा सकता है, क्योंकि इस मुल्क के लोगों में टकरावों के प्रबंधन की जन्मजात क्षमता है।
मोदी ने उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ मेले की पृष्ठभूमि में प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय विचार महाकुंभ के समापन समारोह में कहा कि दुनिया पृथ्वी के तापक्रम में वृद्धि और आतंकवाद की दो भीषण समस्याओं से जूझ रही है। इन समस्याओं के मूल में यह भाव है कि मेरा रास्ता तेरे रास्ते से सही है। यही भाव और विस्तारवाद दुनिया को टकराव के रास्ते पर धकेलता जा रहा है।
 
उन्होंने कहा कि दुनिया टकरावों के समाधान के लिए बड़े-बड़े सेमिनार कर रही है, पर उसे इनका हल नहीं मिल रहा है लेकिन हम भारतीयों में टकरावों के प्रबंधन की जन्मजात क्षमता होती है। हम विश्व को रास्ता दिखा सकते हैं। हम हठवादिता से बंधे लोग नहीं हैं, हम अपने दर्शन की परंपराओं से बंधे लोग हैं।
 
प्रधानमंत्री ने मिसाल देते हुए कहा कि हम भगवान राम की पूजा करते हैं जिन्होंने अपने पिता की आज्ञा का पालन किया था, वहीं हम भक्त प्रहलाद की भी पूजा करते हैं जिन्होंने अपने पिता के आदेश का अनादर किया था।
 
मोदी ने अमेरिका में राष्ट्रपति पद के जारी चुनावों की ओर इशारा करते हुए कहा कि हम परिवार नाम की संस्था में सदियों से भरोसा करते आ रहे हैं, लेकिन दुनिया अब जाकर इस संस्था के महत्व को समझ रही है।
 
उन्होंने कहा कि दुनिया के समृद्ध देशों के नेता जब चुनावी मैदान में उतरते हैं तो वे प्रचार के दौरान एक बात बार-बार कहते हैं कि उनके देश में पारिवारिक मूल्यों को फिर से स्थापित किया जाएगा। इस मौके पर श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना भी मौजूद थे। 
 
मोदी ने कुंभ मेले के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि कुंभ मेले में बगैर किसी औपचारिक न्योते के दुनियाभर से इतने लोग हर दिन जुटते हैं जितनी यूरोप के किसी देश की जनसंख्या होती है। यह मेला प्रबंधन की बड़ी परिघटना है। कुंभ मेले को केस स्टडी की तरह दुनियाभर के विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने हालांकि इस बात पर चिंता जताई कि लगातार प्रचार के जरिए नागा साधुओं को कुंभ की एकमात्र पहचान बना दिया गया है।
 
मोदी ने कहा कि हमें भारत की ब्रांडिंग उस जुबान में करनी चाहिए जिसे दुनिया अच्छी तरह समझती है। उन्होंने सभी 13 अखाड़ों के प्रमुखों और हिन्दुओं के अन्य पंथ-संप्रदायों के धर्मगुरुओं से अपील की कि वे वर्ष में एक सप्ताह तक पौधारोपण, नदियों के संरक्षण, बेटियों की शिक्षा और नारी के सम्मान जैसे विषयों पर वैज्ञानिक तरीके से विचार-मंथन करें।
 
मोदी ने यह भी कहा कि हमें समय के बदलाव को स्वीकारते हुए उन परंपराओं को छोड़ना होगा, जो अब चलन से बाहर हो चुकी हैं। परंपराओं के नाम पर अवैज्ञानिक चीजों को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। हमें अपने भीतर झांककर व्यवस्थाओं को आधुनिक करने और नई ऊंचाइयों को छूने की आवश्यकता है। बदलाव को आने दिया जाना चाहिए और इसे स्वीकार किया जाना चाहिए।
सिंहस्थ घोषणा-पत्र : मोदी ने शनिवार को सिंहस्थ 2016 का घोषणा-पत्र जारी किया जिसमें धर्म को जोड़ने वाली शक्ति बताते हुए विश्वभर के सभी धर्मों, पंथों, संप्रदायों और विश्वास पद्धतियों के प्रमुखों से अपील की गई है कि वे मजहब के नाम पर की जा रही हर तरह की हिंसा का विरोध करें। 
 
यह 51 सूत्री घोषणा-पत्र कहता है कि धर्म जोड़ने वाली शक्ति है। अत: धर्म के नाम पर की जा रही सभी प्रकार की हिंसा का विरोध विश्वभर के समस्त धर्मों, पंथों, संप्रदायों और विश्वास पद्धतियों के प्रमुखों द्वारा किया जाना चाहिए। घोषणा-पत्र में संपूर्ण मानव जाति को एक परिवार बताते हुए कहा गया है कि सहयोग और अंतरनिर्भरता के विभिन्न रूपों को अधिकतम प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
 
घोषणा-पत्र में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि पारिस्थितिकी की रक्षा के लिए अत्यधिक उपभोक्तावाद पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही, विश्व में व्याप्त भीषण जल संकट के निदान के लिए जल संवर्धन की तकनीकों और प्रणालियों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। 
 
विज्ञान और अध्यात्म को परस्पर पूरक बताते हुए घोषणा-पत्र में कहा गया है कि प्रकृति के भौतिक रहस्यों को जानने के लिए विज्ञान और आंतरिक रहस्यों को जानने के लिए अध्यात्म की आवश्यकता है। घोषणा-पत्र में धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों के साथ जीवन-मूल्यों के शिक्षण, कृषि, वानिकी, पारंपरिक चिकित्सा, जैव-विविधता संरक्षण, संसाधन प्रबंधन, स्वच्छता, नदियों के संरक्षण, स्त्री को पुरुष के समान स्थान देने, गोवंश के संरक्षण, कुटीर उद्योगों और शिल्पियों के मुद्दों को भी छुआ गया है।
 
नदियों को बचाने के लिए जन-जागरण यात्रा : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में नदियों को बचाने के लिए देवउठनी एकादशी पर नर्मदा और सोन नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक से जन-जागरण अभियान चलाया जाएगा। चौहान ने कहा कि वे स्वयं भी नदियों को बचाने के लिए यात्रा में शामिल होंगे। चौहान ने कहा कि प्रदेश में रासायनिक उर्वरक बंद करने के लिए अब किसानों को फलदार पेड़ लगाने को कहा जाएगा तथा जब तक पेड़ फल नहीं देगा, तब तक सरकार किसानों को फसल का मुआवजा देगी। (वेबदुनिया/एजेंसियां)
फोटो : धर्मेन्द्र सांगले