श्रीनगर। आतंकियों ने अब छोटे बच्चों को भी आतंकवाद की भट्ठी में झोंक दिया है। यह कश्मीर में पकड़े गए 17 साल के फिदायीन से साबित होता है जो जैश-ए-मुहम्मद के अफजल गुरु स्क्वाड का फिदायीन था और उसे इस ओर हमले करने के लिए भेजा गया था।
वैसे यह कोई पहला अवसर नहीं है कि जैश-ए-मुहम्मद ने कश्मीर में छोटे बच्चों का इस तरह से इस्तेमाल किया हो बल्कि करगिल युद्ध के बाद वर्ष 2000 में अप्रैल महीने में कश्मीर में पहले मानव के रूप में भी जैश-ए-मुहम्मद ने 12वीं के छात्र का इस्तेमाल किया था।
दक्षिणी कश्मीर के बारामुला में सुरक्षाबलों को आज एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। सेना ने बारामुला से जैश-ए-मुहम्मद के नाबालिग पाकिस्तानी आत्मघाती हमलावर को गिरफ्तार किया है। उसके पास से एक एके-47, कारतूस और सेटेलाइट फोन बरामद हुआ है।
सेना के प्रवक्ता एसडी गोस्वामी ने बताया कि जैश-ए-मुहम्मद का पकड़ा गया आतंकी सादिक गुज्जर तीन महीने पहले कुपवाड़ा में हुए आतंकी हमले का वांछित है। सुरक्षाबल काफी समय से इसकी तलाश में थे। वह नवंबर टंगधार में हुए आतंकी हमले में मारे गए तीन आतंकियों के साथ शामिल था।
सुरक्षा बलों ने उत्तरी कश्मीर के बारामुला जिले में एक आतंकी मॉड्यूल का भी पता लगाया है। पुलिस के एक अधिकारी ने आज बताया कि सुरक्षा बलों ने बारामुला जिले में एक खोज अभियान चलाया था क्योंकि उन्हें बुधवार को जिला मुख्यालय शहर में एक पाकिस्तानी आतंकी के घुसने की सूचना मिली थी।
उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों ने जैश-ए-मुहम्मद के आतंकी मोहम्मद सिदीक उर्फ शाहद को गिरफ्तार कर लिया जो पाकिस्तान के सियालकोट का निवासी है। मॉडयूल के पांच अन्य सदस्यों को भी गिरफ्तार किया गया है। अधिकारी ने कहा कि उनकी शिनाख्त सुहेल आरिफ, राशिद रसूल भट, जावेद अहमद धोबी, फरहान फयाज और एहसान फयाज के तौर पर हुई है।
पकड़े गए जैश-ए-मुहम्मद के फिदायीन आतंकी की पहचान सादिक गुज्जर के रूप में हुई है। यह पाकिस्तान के सियालकोट का रहने वाला है। सेना के प्रवक्ता ने बताया कि यह आतंकी उस फिदायीन ग्रुप का हिस्सा है जिसने 25 नवंबर को टंगधार में सेना कैंप पर फिदायीन हमला किया था।
पकड़े गए फिदायीन आतंकी ने जांचकार्ताओं को बताया कि उसने ही सेना के टंगधार कैंप में ऑयल डिपो में आग लगाई थी जिसमें सेना के कुछ वाहन जलकर नष्ट हो गए थे। इसके बाद उसे साथियों ने छोड़कर जाने के निर्देश दिए थे।
प्रवक्ता गोस्वामी ने बताया कि फिदायीन ने जांच में बताया कि जैश के आंतकियों को पीओके के अथमुकाम से भेजा गया था। उन्हें एलओसी के पास सेना के कैंपों पर हमला करने का काम दिया जाता है।
जांच में आतंकी ने बताया कि उसने जीपीएस की मदद से 24 नवंबर की रात को पैदल बॉर्डर पार किया था। इसके बाद टंगधार के लिए वह लगातार 7-8 घंटे चलते रहे। हमले के बाद वह तीन दिनों तक जंगल में छुपा रहा। इसके बाद उसके आकाओं ने उसे कुपवाड़ा भेज दिया।
कुपवाड़ा में कुछ जानने वाले लोगों ने उसकी मदद की और वह बारामुला पहुंचा। जहां पर उसे गिरफ्तार कर लिया गया। सादिक सियालकोट के अच्छे किसान परिवार से संबंध रखता है। फिदायीन सादिक की उम्र 17 साल है। उसके पांच भाई और दो बहने हैं। उसे स्कूल के दोस्त ने लालच देकर आतंकी संगठन में शामिल करवा दिया।