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Last Modified: गुरुवार, 25 सितम्बर 2014 (15:11 IST)

इसरो ने पीएम को भेंट की मंगल ग्रह की तस्वीरें, देंखे तस्वीर

इसरो ने पीएम को भेंट की मंगल ग्रह की तस्वीरें, देंखे तस्वीर - mangalyaan sent photos Mars planet
नई दिल्ली। मंगल की कक्षा में स्थापित होने की ऐतिहासिक सफलता के बाद मार्स ऑर्बिटर मिशन द्वारा वहां से भेजी गई लाल ग्रह की पहली तस्वीरें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों के एक दल ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेंट कीं।
इसरो के चेयरमैन के. राधाकृष्णन और इसरो के वैज्ञानिक सचिव वी. कोटेश्वर राव ने दिल्ली आकर इन तस्वीरों को प्रधानमंत्री को भेंट किया। इस पर प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘इसरो के वैज्ञानिकों के दल ने मंगलयान से भेजी गई पहली तस्वीरें आज भेंट कीं।’ 
 
इससे पहले इसरो ने अपने ट्वीटर हैंडल पर मंगल ऑर्बिटर द्वारा भेजी गई तस्वीरों को लगाया और ट्वीट किया, ‘मंगल की पहली तस्वीरें, 7300 किलोमीटर की ऊंचाई से और 376 मीटर आकाशीय रिजोल्यूशन से। वहां का नजारा सुंदर है।’ इसरो ने यह तस्वीर अपने ट्वीटर अकाउंट पर शेयर की है।
 
प्रधानमंत्री ने इस पर ट्वीट किया, ‘हां, मैं सहमत हूं। नजारा सचमुच सुंदर है।’ भारत के इस मंगलयान ने लाल ग्रह की कक्षा में जब प्रवेश किया तो उन यादगार लम्हों का गवाह बनने के लिए प्रधानमंत्री बेंगलूर स्थित इसरो के परिसर में मौजूद थे।
 
एमओएम मंगल ग्रह की सतह तथा खनिज संघटकों का अध्ययन करेगा और वहां जीवन के संकेत देने वाली मीथेन गैस की मौजूदगी के लिए इसके वातावरण को खंगालेगा। मंगलयान पांच उपकरणों से लैस है जिसमें मीथेन या नमी वाली गैस का पता लगाने के लिए सेंसर, एक रंगीन कैमरा और एक थर्मल इमेजिंग स्पैक्ट्रोमीटर भी शामिल है जो लाल ग्रह की सतह और खनिज संपदा को तलाश करेंगे।
 
450 करोड़ रुपए की लागत वाला एमओएम सबसे सस्ता अंतर ग्रहीय मिशन था और भारत इसके साथ ही विश्व में पहले ही प्रयास में मंगल की कक्षा में अंतरिक्ष यान स्थापित करने वाला एकमात्र राष्ट्र बन गया है। यूरोपीय संघ, अमेरिकी और रूसी यान भी मंगल की कक्षा या सतह पर पहुंचने में सफल रहे हैं, लेकिन उन्हें इसके लिए कई बार प्रयास करने पड़े।
 
मंगलयान कम से कम अगले छह महीने तक दीर्घवर्त्ताकार रूप में मंगल के चक्कर लगाएगा और अपने उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए धरती पर तस्वीरें भेजेगा। मंगलयान को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा में पिछले वर्ष पांच नवंबर को पीएसएलवी राकेट के जरिए प्रक्षेपित किया गया था। यह एक दिसंबर को पृथ्वी के गुरूत्वाकषर्ण क्षेत्र को पार कर गया था। (भाषा)