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Last Modified: शनिवार, 21 नवंबर 2020 (18:15 IST)

पहले पति को नपुंसक कहा, अब शादी बचाना चाहती है महिला, लेकिन...

पहले पति को नपुंसक कहा, अब शादी बचाना चाहती है महिला, लेकिन... - Making false accusations of impotence is cruelty
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक दंपति के बीच तलाक के निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा है कि किसी जीवनसाथी के खिलाफ नपुंसकता के झूठे आरोप लगाना क्रूरता के समान है।
 
इस मामले में अलग रह रही पत्नी ने अपने पति पर यौन संबंध नहीं बना पाने का आरोप लगाया था। उच्च न्यायालय ने पति के वकील की इस दलील को स्वीकार किया कि पत्नी द्वारा लिखित बयान में लगाए गए आरोप गंभीर हैं और व्यक्ति की छवि पर असर डालने के साथ उसकी मानसिक स्थिति को प्रतिकूल तरीके से प्रभावित कर सकते हैं।
 
न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने कहा कि इसलिए इस विषय पर कानून को देखते हुए हमें निचली अदालत के निष्कर्षों और टिप्पणियों में कोई कमी नजर नहीं आती कि अपीलकर्ता (पत्नी) के लिखित बयान में नपुसंकता से संबंधित आरोप स्पष्ट रूप से कानून के तहत परिभाषित क्रूरता की अवधारणा में आते हैं।
 
उच्च न्यायालय ने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक देने की पति की याचिका पर निचली अदालत के आदेश के खिलाफ महिला की अपील को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया। दंपति का विवाह यहां जून 2012 में हुआ था। महिला की यह पहली शादी थी, जबकि पुरुष उस समय तलाकशुदा था।
 
व्यक्ति ने इस आधार पर शादी को समाप्त करने की गुहार लगाई थी कि महिला की कथित तौर पर यौन संबंधों में रुचि नहीं है और विवाह के लिए उसकी अनुमति महिला की कथित मानसिक अवस्था से संबंधित तथ्यों को छिपाकर ली गई। व्यक्ति ने कहा कि यदि उसे इन बातों की जानकारी होती तो वह विवाह के लिए कभी राजी नहीं होता। 
इसके बाद महिला ने अपनी प्रतिक्रिया में आरोप लगाया कि उसका पति नपुंसकता की समस्या से पीड़ित है और विवाह नहीं चल पाने का असल कारण यही है, इसके अलावा उसके सास-ससुर झगड़ालू हैं और दहेज की मांग करते हैं। महिला ने यह आरोप भी लगाया कि दहेज मांगने के साथ ही ससुराल वालों ने उसके साथ क्रूरता भरा व्यवहार किया तथा उसके पति ने सास-ससुर के सामने ही उसके साथ बुरी तरह मारपीट की।
 
महिला ने उच्च न्यायालय से निचली अदालत के तलाक मंजूर करने के आदेश को रद्द करने की मांग की तथा वैवाहिक अधिकार बहाल करने की मांग की और कहा कि वह इस वैवाहिक गठजोड़ को बचाना चाहती है। इस पर उच्च न्यायालय ने कहा कि महिला के आरोपों को निचली अदालत ने विशेषज्ञ की गवाही के आधार पर खारिज कर दिया है। (भाषा)
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