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Last Updated : सोमवार, 12 जनवरी 2015 (13:26 IST)

मिशन केदारनाथ : वायुसेना के जांबाजों ने पहाड़ों में उतारा MI26

मिशन केदारनाथ : वायुसेना के जांबाजों ने पहाड़ों में उतारा MI26 - Kedarnath MI26
-ललित भट्ट, देहरादून से
वायुसेना के जांबाजों ने दुनिया के सबसे भारी विमान MI26 को पहाड़ों में उतारकर अद्‍भुत कारनामा कर दिखाया है। यह अद्‍भुत इसलिए है क्योंकि गौरीकुंड से केदारनाथ के बीच घाटी काफी संकरी है और ऐसे में विमान उड़ाना बहुत ही दुष्कर है, लेकिन विंग कमांडर जीएस तुंग के नेतृत्व में वायुसेना ने इस मुश्किल लक्ष्य को भी हासिल कर लिया। 
ऐसा ही नजारा उत्तराखंड में उस समय देखने को मिला, जब वायुसेना के जांबाजों ने बाढ़ में बर्बाद इलाके को फिर से आबाद करने के लिए दुनिया के सबसे भारी विमान एमआई-26 को उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में उतार दिया। इस विमान में अत्याधुनिक मशीनें हैं।
 
वायुसेना द्वारा इस जटिल कार्य को अंजाम देने के बाद साल 2013 में आई आपदा से छिन्न-भिन्न हुए केदारनाथ के स्वरूप को दोबारा वापस लौटाने के लिए लगे नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) के कार्यों में अब तेजी आने लगी है।
अभी तक माइनस डिग्री वाले इस क्षेत्र में सिर्फ मजदूरों के सहारे निरंतर कार्य में जुटे निम को अब वायुसेना के सबसे बड़े मालवाहक विमान एमआई-26 द्वारा पहुंचाई जा रही अत्याधुनिक मशीनों से कार्य करने में सुविधा और तेजी मिलने लगी है।
 
जमा देने वाली ठंड में इस तरह बना हेलीपैड... अगले पन्ने पर...
 
 

निम के मजदूर काफी समय से केदारपुरी क्षेत्र में पुनर्निर्माण कार्यों को अंजाम दे रहे हैं। बिना थके, बिना रुके यहां कड़कड़ाते माइनस डिग्री के तापमान में ये मजदूर बहादुरी से अपना काम रहे हैं।
 
अत्यधिक बर्फ गिरने से मजदूरों को हाथों से काम करने में आ रही दिक्कत को देखते हुए निम ने यहां कार्यों को और तेजी देने के लिए अपने हाथों से खुद हेलीपैड का निर्माण कराया, जहां पिछले 6 जनवरी से एयर फोर्स के मालवाहक विमान एमआई-26 ने अत्याधुनिक मशीनों को गौचर से यहां पहुंचाना शुरू कर दिया है।
 
यह इस ऊंचाई पर बना देश का सबसे बड़ा हेलीपैड है। यह 492 फीट लंबा और 164 फीट चौड़ा है जबकि इससे छोटा हेलीपैड सिर्फ 59 फीट चौड़ा और 118 फीट लंबा हैं। यह दिसंबर 2014 के आखिरी हफ्ते में बनकर तैयार हुआ है। यह पहला मौका है, जब इस ऊंचाई पर एमआई-26 उतारा गया है। 
 
इसके जरिए अभी तक एक्सक्वेटर (जेसीबी), एक हाईड्रोलिक डम्पर, एक हाईड्रा क्रेन व एक स्नो ब्लोअर, पोकलैंड मशीनें केदारनाथ धाम में पहुंचाई जा चुकी हैं। अभी और मशीनें यहां एमआई-26 की सहायता से पहुंचाई जानी हैं।
 
जल्द ही बदल जाएगी केदारनाथ की फिजा... अगले पन्ने पर...
 
 

जिले के जिलाधिकारी राघव लंगर ने शनिवार को यहां किए जा रहे निर्माण कार्यों का जायजा लेकर निम द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की। जिलाधिकारी ने बताया कि इसी 14 जनवरी तक गौचर हवाई पट्टी से सभी मशीनें एमआई-26 से केदारनाथ पहुंचा दी जा जाएंगी। इन मशीनों के पहुंचने से अब यहां किए जा रहे निर्माण कार्यों में तेजी आएगी।
 
निम के प्रिंसीपल अजय कोठियाल ने कहा कि उत्तराखंड की हरीश रावत सरकार के सपने को पूरा करने में इंडियन एयर फोर्स अपना पूर्ण सहयोग दे रही है। एयर फोर्स की टीम वायुसेना के विंग कमांडर जीएस तुंग के नेतृत्व में विमान से मशीनें यहां पहुंचाने में अपना सहयोग दे रही है।
 
केदारनाथ की फिजा आने वाले कुछ समय में बदली-बदली नजर आने लग जाएगी। आगामी अप्रैल तक सरस्वती व मंदाकिनी नदी के संगम पर घाट का निर्माण, 5 हजार लोगों के केदारनाथ में रहने की व्यवस्था, मंदिर से मंदाकिनी तक चौड़े रास्ते का निर्माण, मंदिर के पीछे  त्रिस्तरीय दीवार का निर्माण होना है।
 
इसके अलावा केदारनाथ में जर्जर भवनों को हटाया जाना है। इसमें अभी तक 14 भवन तोड़े जा चुके हैं जिसमें कुल 46 सरकारी भवनों को तोड़ा जाना है। निजी भवनों को भी तीर्थ-पुरोहितों की सहमति से हटाया जाएगा। जेसीबी मशीन के यहां पहुचने से केदारनाथ मंदिर के आसपास फैले मलबे को भी अब आसानी से हटाए जाने की उम्मीद है।