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Last Modified: बुधवार, 13 जुलाई 2022 (00:03 IST)

LAC पर बदलाव की कोई भी एकतरफा कोशिश बर्दाश्त नहीं करेंगे : विदेश मंत्री जयशंकर

LAC पर बदलाव की कोई भी एकतरफा कोशिश बर्दाश्त नहीं करेंगे : विदेश मंत्री जयशंकर - jaishankar warn china unilateral attempts to change lac will not be countenanced
तिरुवनंतपुरम। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को भारत-चीन सीमा विवाद पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर यथास्थिति को बदलने के किसी भी एकतरफा प्रयास को ‘बर्दाश्त’ नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा समस्या 1962 में रणनीतिक क्षेत्रों पर चीन द्वारा कब्जा किए जाने का नतीजा है।
 
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के ट्वीट के संबंध में भारत सरकार की आधिकारिक स्थिति के संदर्भ में एक प्रश्न पर विदेश मंत्री की यह प्रतिक्रिया आई। गांधी ने ट्वीट में दावा किया था कि भारतीय क्षेत्र में 'चीनी घुसपैठ बढ़ रही है। 
जयशंकर ने कहा कि पिछले दो वर्ष में जो हुआ है, हम यह सुनिश्चित करने में बहुत स्पष्ट और बहुत सक्षम रहे हैं कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति को एकतरफा ढंग से बदलने का कोई भी प्रयास हमारे द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के सैन्य कमांडरों और राजनयिकों के बीच बातचीत के जरिए सीमा मुद्दे को सुलझाने के प्रयास जारी हैं। जयशंकर ने कहा कि पूर्वी पड़ोसी के साथ सीमा मुद्दा मुख्यत: कांग्रेस शासन के दौरान 1962 में लद्दाख सहित भारत के एक बड़े हिस्से पर चीन द्वारा कब्जा किए जाने के कारण है।
 
गांधी पर हमला बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि उनके ट्वीट में मुझे कुछ खास नया नहीं लगा, क्योंकि आप सभी जानते हैं कि सीमा पर हमारी समस्या का एक बड़ा हिस्सा इसलिए है क्योंकि 1962 में चीनियों ने आकर लद्दाख सहित बड़े क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था।"
 
उन्होंने कहा कि इनमें से कई रणनीतिक क्षेत्र हैं जो स्पष्ट रूप से हमारे सीमा बलों के लिए चुनौतियां पैदा करते हैं। मंत्री ने कहा कि फिलहाल दोनों पक्षों के बीच सैन्य कमांडरों और राजनयिकों के माध्यम से बातचीत चल रही है।
 
उन्होंने कहा, ‘‘ये (चर्चा) टकराव के बिंदुओं से संबंधित है जहां हम एक-दूसरे के साथ बहुत करीब से तैनात हैं और ध्यान यह देखने पर है कि इन टकराव बिंदुओं से पीछे हटना संभव है या नहीं।’’
 
जयशंकर ने कहा, "पिछले साल पीछे हटने की प्रक्रिया संतोषजक रही। अभी भी कुछ मुद्दे हैं ... चर्चा चल रही है। मैंने खुद चीनी विदेश मंत्री के साथ इस मुद्दे को उठाया जब मैं उनसे बाली (जी 20 विदेश मंत्रियों की बैठक) में मिला था।"
 
उन्होंने कहा, "इसलिए, मुझे लगता है कि हम इसके बारे में बहुत स्पष्ट और बहुत खुले हैं। इसलिए, मैं वास्तव में नहीं जानता कि भ्रम क्या है।"
 
गांधी ने अपने ट्वीट में आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन से डरते हैं, जनता से सच छिपाते हैं, बस अपनी छवि की रक्षा करते हैं, सेना का मनोबल गिराते हैं और देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करते हैं।
 
यह पूछे जाने पर कि क्या चीन-पाकिस्तान समुद्री अभ्यास - सी गार्डियंस - से भारतीय समुद्री सुरक्षा को खतरा है, मंत्री ने कहा कि सुरक्षा को हमेशा प्राथमिकता दी जाती है और यह देश की विदेश नीति में सबसे ऊपर है।
 
उन्होंने कहा, "इसलिए, जब भी हमें लगता है कि देश के सुरक्षा हित किसी तरह से प्रभावित होते हैं, तो हम अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जो कुछ भी आवश्यक समझते हैं, हम करेंगे।’’
 
जयशंकर ने कहा, "हमने विभिन्न स्थितियों में यह प्रदर्शित किया है। कुछ मामलों में, आपने उरी और बालाकोट में देखा है। आपने यह भी देखा है कि चीन के साथ एलएसी पर भी, जहां 2020 में कोविड-19 के बीच में भी, हमने एलएसी की प्रभावी ढंग से रक्षा करने के लिए वास्तव में वहां बड़ी संख्या में सैनिक भेजे थे।’’
 
उन्होंने कहा कि भारत अपने दक्षिण में समुद्रों और महासागरों में समुद्री गतिविधि से अवगत है तथा उस पर नज़र रखता है। मंत्री ने कहा कि हम जो कुछ भी महसूस करते हैं, हम वही करते हैं जो हमें करने की आवश्यकता होती है।
 
यह पूछे जाने पर कि क्या विदेशों में भारत की छवि दयालु और सौम्य से असहिष्णु में बदल गई है, जयशंकर ने कहा कि यह सच नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत को अभी भी कोविड-19 महामारी के दौरान अपने कार्यों के मद्देनजर एक दयालु राष्ट्र के रूप में देखा जाता है, देश यहां की चुनौतियों से निपटने के दौरान भी, उन देशों को टीके उपलब्ध करा रहा था, जिनके लिए इन तक पहुंचना मुश्किल हो रहा था।
 
मंत्री ने आगे कहा कि भारत को एक ऐसे देश के रूप में भी देखा जाता है जो अपने लोगों की देखभाल करने में सक्षम है, जैसा कि यूक्रेन-रूस युद्ध के दौरान देखा गया था जब इसने अपने लगभग सभी छात्रों को युद्ध क्षेत्र से सुरक्षित निकाल लिया था।
 
भाजपा से निलंबित प्रवक्ता नुपुर शर्मा की कथित विवादित टिप्पणी पर जयशंकर ने कहा कि शुरुआत में अरब देशों के बीच कुछ चिंता थी और एक बार जब भारत सरकार ने अपना रुख स्पष्ट किया, तो उन्होंने सच्चाई देखी। उन्होंने कहा, "खाड़ी देशों के साथ हमारे अच्छे संबंध हैं और उन्हें हमारी सरकार पर भरोसा है।"
 
श्रीलंका स्थिति बहुत जटिल : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को श्रीलंका में मौजूदा स्थिति को बेहद संवेदनशील और बहुत जटिल बताया और कहा कि भारत का ध्यान अभी पड़ोसी देश के आर्थिक पहलुओं पर है।
 
मंत्री ने कहा कि भारत की प्रतिबद्धता और समर्थन श्रीलंका के लोगों के लिए है और वह उन्हें उनके जीवन के इस बहुत कठिन दौर का सामना करने में मदद करना चाहता है। मंत्री ने प्रेस क्लब और पत्रकारों की यूनियन द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता कार्यक्रम में एक सवाल पर कहा कि श्रीलंका में स्थिति बहुत संवेदनशील है, यह बहुत जटिल है। जब हम बात कर रहे हैं तब भी वहां कई घटनाक्रम हो रहे हैं।
 
जयशंकर ने कहा कि भारत ने पिछले कुछ महीनों में श्रीलंका के लोगों के लिए काफी सहयोग दिया है। श्रीलंका के शक्तिशाली राजपक्षे परिवार के प्रमुख सदस्यों को भारत द्वारा शरण देने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा कि अभी भारत का ध्यान श्रीलंका की आर्थिक स्थिति पर केंद्रित है और वह अन्य मामलों में शामिल नहीं है।
 
जयशंकर ने कहा कि हमारा ध्यान अभी श्रीलंका की आर्थिक स्थिति पर है कि हम उनकी मदद कैसे कर सकते हैं...हम अन्य मामलों में शामिल नहीं हैं। विदेश मंत्री ने रविवार को कहा था कि भारत ने श्रीलंका के आर्थिक संकट के दौरान उसे 3.8 अरब डॉलर का वादा किया है। विदेश मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘पड़ोस पहले’ नीति है जहां सरकार देश के पड़ोसियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए विशेष प्रयास करती है और उनका सहयोग करती है।
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