शुक्रवार, 29 मार्च 2024
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मदर्स डे पर भारतीय रेलवे ने दी 'बेबी बर्थ' की सौगात...जानिए क्या वाकई जरूरी है Baby Berth

मदर्स डे पर भारतीय रेलवे ने दी 'बेबी बर्थ' की सौगात...जानिए क्या वाकई जरूरी है Baby Berth - Indian Railway Baby Berth
प्रथमेश व्यास 

ट्विटर पर मिली मिलजुली प्रतिक्रियाएं
सफर में जाने की कई परेशानियों में से एक है नन्हे-मुन्ने बच्चों को लेकर कहीं जाना.... भारतीय रेलवे उन मदर्स ने लिए एक सौगात लेकर आया है... रेलवे की यह स्पेशल सर्विस महिला यात्रियों के लिए शुरू की गई है जिनको छोटे बच्चों के साथ सफर करना होता है... उत्तर रेलवे ने लोअर बर्थ में बेबी बर्थ भी साथ में लगाया है। फिलहाल यह सुविधा सिर्फ एक ट्रेन में शुरू की गई है। 
 
छोटे बच्चों के साथ सफर करने वाली महिलाओं को बर्थ पर बच्चे के साथ सोने में दिक्कत होती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए उत्तर रेलवे के लखनऊ डिवीजन ने लोअर बर्थ में बेबी बर्थ लगाया है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर शुरू हुई सुविधा पर यात्रियों की प्रतिक्रिया मिलने के बाद इसे और ट्रेनों में बढ़ाया जा सकता है। इस बर्थ में स्टॉपर भी लगा है, ताकि सोते समय बच्चा नीचे न गिर जाए। इसके अलावा इस सीट को मोड़ा भी जा सकता है। साथ ही इसे ऊपर-नीचे भी किया जा सकता है। इससे उन महिलाओं को सुविधा होगी, जिनके बच्चे छोटे होते हैं। फिलहाल यह सुविधा लखनऊ मेल में दी गई है और लखनऊ मेल लखनऊ से चलकर नई दिल्ली और नई दिल्ली से वापस लखनऊ आती है। 
 
उत्तर रेलवे के लखनऊ डिवीजन के डीआरएम ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। ट्वीट में बताया गया है कि लखनऊ मेल में कोच नंबर 194129/बी4 में बर्थ नंबर 12 और 60 में बेबी बर्थ की शुरुआत की गई है, ताकि मां अपने बच्चे के साथ आनंद से यात्रा कर सकें। मदर्स डे 8 मई को इसकी शुरुआत कर यह तोहफा महिलाओं को दिया गया है। 
 
रेलवे को इस संबंध में यात्रियों की प्रतिक्रिया का इंतजार था और प्रतिक्रिया आने भी लगी। 
 
ट्विटर पर मिली तीखी-मीठी प्रतिक्रियाएं
असल में लखनऊ उत्तर रेलवे के मंडल रेल प्रबंधक सतीश कुमार ने बर्थ के बारे में ट्वीट करते हुए एक वीडियो भी शेयर किया, जिसमें दिखाया गया है कि' बेबी बर्थ' का उपयोग कैसे करें। 
 
वीडियो के जारी होते ही ट्विटर पर कई लोगों ने इस पर अपने विचार रखना शुरू कर दिया। किसी ने कहा कि ये एक महत्वपूर्ण पहल है, तो किसी ने कहा की इसके डिजाइन में और कार्य करने की ज़रुरत है। किसी ने कहा कि इसे बनाने से पूर्व भारत की किसी मां से परामर्श नहीं लिया गया, तो किसी ने कहा कि अगर ऊपर वाली बर्थ पर सोए व्यक्ति से बच्चे पर बोतल आदि कुछ गिर सकता है। एक ट्वीट ये भी आया कि 'अधिकतर माताएं अपने बच्चों को दीवार की तरफ ही सुलाना पसंद करती है, जिससे फीडिंग कराने में आसानी हो और रात में बच्चा गिरने से बचे।' 
कुछ लोगों ने इसे Unsafe, Impractical बताया है। कुछ लोगों का कहना है कि इसे लाने से पहले किसी मां से कंसल्ट नहीं किया गया है। उनकी राय नहीं जानी गई है। यह अच्छा है कि भारतीय रेलवे ने उन मदर्स के बारे में सोचा लेकिन उनके आइडियाज भी ले लिए जाते तो यह प्रयोग ज्यादा सफल होता... 
 
कई लोगों ने ट्वीट करते हुए कहा कि 'बेबी बर्थ' का मॉडल अभी शुरुआती स्तर पर है और इसे इतनी जल्दी उपयोग में नहीं लाया जाना चाहिए। 
 
अब देखना ये होगा कि इसकी सभी खामियों को संज्ञान में लेकर उत्तर रेलवे इसके डिजाइन को कब तक विकसित कर पाती है और क्या आने वाले समय में हम 'बेबी बर्थ' को देशभर की ट्रेनों में देख पाएंगे या नहीं?