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Last Modified: शुक्रवार, 22 अप्रैल 2022 (22:49 IST)

भारत चाहता है कि यूक्रेन से बाहर निकले रूस : जॉनसन

भारत चाहता है कि यूक्रेन से बाहर निकले रूस : जॉनसन - India wants Russia to stop Ukraine war: Johnson
नई दिल्ली। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने शुक्रवार को कहा कि भारत, यूक्रेन में शांति पर जोर दे रहा है और चाहता है कि वहां से रूस बाहर निकल जाए। ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने अपने समकक्ष नरेंद्र मोदी से विस्तृत चर्चा के बाद यह बात कही।
 
जॉनसन ने कहा कि यूक्रेन के बूचा में जो हुआ, उसके खिलाफ मोदी की प्रतिक्रिया काफी मजबूती से सामने आई और हर कोई रूस के साथ भारत के दशकों पुराने ऐतिहासिक संबंधों का सम्मान करता है।
 
ब्रिटिश प्रधानमंत्री जॉनसन से पूछा गया था कि क्या रूस के यूक्रेन पर हमले को बंद करने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से मास्को पर अपने प्रभाव का उपयोग करने के लिए कहा।
 
जॉनसन ने यह भी घोषणा की कि यूक्रेन की राजधानी कीव में ब्रिटिश दूतावास अगले सप्ताह फिर खुल जाएगा। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन और उसके सहयोगी यूक्रेन पर रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन के प्रहार पर मूकदर्शक नहीं बने रहेंगे।
 
उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि मोदी ने कई बार हस्तक्षेप किया और रूसी राष्ट्रपति पुतिन से कहा कि वह क्या सोचते हैं कि वह इस धरती पर क्या कर रहे हैं और यह किस ओर जाएगा। उन्होंने कहा कि भारतीय, यूक्रेन में शांति चाहते हैं और चाहते हैं कि रूसी वहां से बाहर निकले और मैं इससे पूरी तरह से सहमत हूं।
 
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत और रूस के संबंधों के बारे में सभी को पता है और वे इसे नहीं बदलेंगे। इससे पहले, जॉनसन से वार्ता के बाद एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और ब्रिटेन ने सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के सम्मान के महत्व को भी दोहराया है।
 
मोदी ने कहा कि हमने यूक्रेन में तुरंत युद्धविराम और समस्या के समाधान के लिए वार्ता और कूटनीति पर बल दिया। हमने सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के सम्मान की महत्ता को भी दोहराया है। वहीं, बातचीत के बाद जारी संयुक्त बयान में यूक्रेन संकट को लेकर कहा गया है कि दोनों नेताओं ने वहां जारी संघर्ष एवं मानवीय स्थिति को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की।
 
इसमें कहा गया है कि वे नागरिकों की मौत की एक स्वर में निंदा करते हैं और तत्काल युद्ध बंद करने एवं संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान की जरूरत पर जोर देते हैं जिसका पूरी दुनिया, खास तौर पर विकासशील देशों पर गहरा प्रभाव पड़ रहा। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत समसामयिक व्यवस्था पर जोर दिया तथा देशों की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की बात कही।
 
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