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Last Updated : शनिवार, 31 जुलाई 2021 (23:52 IST)

India-China dispute : 9 घंटे तक चली भारत-चीन में 12वें दौर की बातचीत, गोगरा-हॉट स्प्रिंग पर चर्चा

India-China dispute : 9 घंटे तक चली भारत-चीन में 12वें दौर की बातचीत, गोगरा-हॉट स्प्रिंग पर चर्चा - India-China 12th round of talks on LAC standoff
नई दिल्ली। भारत ने चीन के साथ शनिवार को हुई 12वें दौर की सैन्य वार्ता में हॉट स्प्रिंग, गोगरा और पूर्वी लद्दाख में विभिन्न तनाव वाले बिंदुओं से सैनिकों की तत्काल वापसी पर जोर दिया। सुरक्षा प्रतिष्ठानों के सूत्रों ने बताया कि दोनों देशों के बीच यह वार्ता करीब 9 घंटे चली। विस्तृत जानकारी दिए बगैर उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों के बीच विस्तृत विचार-विमर्श और व्यापक चर्चा हुई।

 
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के चीन की ओर स्थित मोल्डो सीमा बिंदु पर हुई वार्ता के परिणाम पर अभी तक कोई औपचारिक टिप्पणी/बयान नहीं आया है। आशा की जा रही थी कि आज की वार्ता से गोगरा और हॉट स्प्रिंग से सैनिकों की वापसी प्रक्रिया की दिशा में कुछ महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रगति होगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार दोनों पक्षों ने बाकी तनाव बिंदुओं पर शांति लाने, सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पर आगे बढ़ने और संयुक्त रूप से जमीनी स्तर पर स्थिरता बनाए रखने पर चर्चा की।

 
सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत पूर्वाह्न 10.30 बजे शुरू हुई और शाम 7.30 बजे तक चली। एक सूत्र ने बताया कि भारतीय पक्ष ने गतिरोध के तुरंत समाधान पर जोर दिया और विशेष रूप से हॉट स्प्रिंग और गोगरा से सैनिकों की जल्दी वापसी पर बल दिया। वार्ता से पहले सूत्रों ने कहा था कि भारत को सैनिकों की वापसी प्रक्रिया को लेकर सकारात्मक परिणाम निकलने की आशा है।
 
भारत लगातार जोर दे रहा है कि दोनों पक्षों के बीच समग्र संबंधों के लिए देपसांग, हॉट स्प्रिंग और गोगरा सहित सभी लंबित मुद्दों के समाधान की आवश्यकता है। आज की वार्ता साढ़े 3 महीने से भी ज्यादा समय के अंतराल पर हुई है। दोनों पक्षों के बीच 11वें दौर की सैन्य वार्ता 9 अप्रैल को एलएसी के भारतीय सीमा में चुशुल सीमा बिंदु पर हुई थी, जो करीब 13 घंटों तक चली थी। गौरतलब है कि 12वें दौर की सैन्य वार्ता से करीब 2 सप्ताह पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री वांग ई से स्पष्ट रूप में कहा था कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध जारी रहना, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है।
 
दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच 14 जुलाई को ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (एससीओ) सम्मेलन से इतर करीब 1 घंटे लंबी द्विपक्षीय वार्ता हुई थी। बैठक में जयशंकर ने वांग से कहा था कि एलएसी पर कोई भी एकतरफा बदलाव भारत को अस्वीकार्य है और पूर्वी लद्दाख में शांति और स्थिरता की बहाली के बाद ही संबंध पूरी तरह विकसित हो सकेंगे। क्षेत्र में तनाव को कम करने के लक्ष्य से सैन्य वार्ता के पिछले दौर में दोनों पक्षों ने हॉट स्प्रिंग, गोगरा और देपसांग से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। हालांकि सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया में कोई प्रगति नहीं हुई है।
 
आज हुई वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह में तैनात 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने किया। भारत और चीन की सेनाओं के बीच सीमा पर यह गतिरोध पिछले साल मई में पैंगोंग झील इलाके में संघर्ष से शुरू हुआ था और दोनों पक्षों ने उसके बाद से वहां अपने सैनिकों और भारी हथियारों की तैनाती बढ़ाई है। फिलहाल एलएसी पर संवेदनशील सेक्टरों में दोनों पक्षों में से प्रत्येक की ओर से 50 से 60 हजार सैनिक तैनात हैं।(भाषा)