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Last Modified: गुरुवार, 31 अक्टूबर 2019 (00:28 IST)

आयकरदाताओं को मोदी सरकार का बड़ा झटका, फिलहाल नहीं मिलेगी टैक्स छूट में राहत

आयकरदाताओं को मोदी सरकार का बड़ा झटका, फिलहाल नहीं मिलेगी टैक्स छूट में राहत - Income tax payers will not get relief in tax exemption
नई दिल्ली। आर्थिक नरमी और राजस्व प्राप्तियों के अनुमान से कम रहने के मद्देनजर सरकार की ओर से धनाढ्यों को व्यक्तिगत आयकर की दरों में राहत दिए जाने की संभावना फिलहाल नहीं दिखाई देती है। 
 
हाल के दिनों में यह सुझाव जोर पकड़ रहा है कि अर्थव्यवस्था में मांग को बढ़ावा देने के लिए व्यक्तिगत आयकर दरों में कटौती की जानी चाहिए। सरकार ने मांग और निवेश बढ़ाने के लिए इससे पहले कंपनियों के लिए कारपोरेट कर में 10 प्रतिशत की बड़ी कटौती की है। उसके बाद से व्यक्तिगत आयकर में राहत की मांग तेज हो गई है।
 
सूत्रों का कहना है कि मौजूदा स्थिति में व्यक्तिगत आयकर दरों में कटौती बहुत मुश्किल है। आर्थिक सुस्ती, कर प्राप्ति कम होने और गैर-कर प्राप्ति भी अनुमान से कम रहने जैसे कई कारण है, जिनकी वजह से आयकर की दरों में कटौती करना काफी मुश्किल काम होगा।
 
सरकार पिछले वित्त वर्ष में भी अपना प्रत्यक्ष कर प्राप्ति का लक्ष्य हासिल नहीं कर पाई थी। प्रत्यक्ष कर में कंपनी कर, व्यक्तिगत आयकर कर शामिल है। चालू वित्त वर्ष के लिए प्रत्यक्ष कर प्राप्ति का 13.80 लाख करोड़ रुपए का ऊंचा लक्ष्य रखा गया है।
सरकार को आयुष्मान भारत, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, पीएम-किसान और पीएम आवास योजना जैसी सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं के लिए अधिक धन की जरूरत है। इन योजनाओं के लिए सरकार को धन की काफी जरूरत है क्योंकि अप्रत्यक्ष कर प्राप्ति पर भी पहले ही दबाव बना हुआ है। 
 
माल एवं सेवाकर (जीएसटी) में राजस्व प्राप्ति हाल के महीनों में कम हुई है। इसके अलावा कारपोरेट कर कटौती के रूप में सरकार ने 1.45 लाख करोड़ रुपए के राजस्व छोड़ने का अनुमान लगाया है।
 
सरकार ने अर्थव्यवस्था को उठाने के लिए 28 साल में पहली बार कंपनियों के लिए कंपनी कर में सीधे 10 प्रतिशत तक की कटौती की है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर छह साल के निम्न स्तर 5 प्रतिशत पर पहुंच गई।
सूत्रों का कहना है कि सरकार करदाताओं को पहले ही कई तरह की रियायतें दे रही है। व्यक्तिगत करदाताओं की 5 लाख रुपए सालाना की आय करीब-करीब कर मुक्त कर दी गई है। 
 
सरकार ने सामाजिक सुरक्षा के कार्यों पर खर्च बढ़ाते हुए 2019-20 के बजट में अति धनाढ्यों पर कर अधिभार में वृद्धि की है। 2 करोड़ से लेकर 5 करोड़ रुपये सालाना कमाई करने वाले धनाढ्यों पर अधिभार बढ़ाने से उन पर कर की दर 39 प्रतिशत और 5 करोड़ रुपए से अधिक कमाई करने वालों पर बढ़े अधिभार से कर की दर 42.74 प्रतिशत तक पहुंच गई।
 
सरकार ने जैसे ही कंपनी कर में कटौती की घोषणा की उसके बाद से व्यक्तिगत आयकर दर में कटौती की मांग भी उठने लगी। प्रत्यक्ष कर संहिता पर गठित समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में व्यक्तिगत आयकर में नरमी लाए जाने की बात की है। दूसरी तरफ राजस्व प्राप्ति बढ़ाने के लिये कर अनुपालन को बेहतर बनाने का सुझाव दिया गया है।
देश के कुल कर राजस्व में प्रत्यक्ष कर का हिस्सा काफी ज्यादा है। वर्ष 2009-10 में कुल कर राजस्व में प्रत्यक्ष कर का हिस्सा 61 प्रतिशत तक रहा। पिछले साल यह 55 प्रतिशत के आसपास रहा।

पिछले वित्त वर्ष में व्यक्तिगत आयकर प्राप्ति 4.7 लाख करोड़ रुपए यानी जीडीपी का 2.5 प्रतिशत रही जबकि इस साल व्यक्तिगत आयकर प्राप्ति में 23 प्रतिशत की महत्वकांक्षी वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है जबकि 2018-19 में यह वृद्धि केवल 10 प्रतिशत ही रही थी।
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