शुक्रवार, 29 मार्च 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. कवर स्टोरी
  4. History Of Student Movement, student movement in bihar, bihar,

बिहार के वो 4 ‘छात्र आंदोलन’ जिनसे देश में हिल गईं थीं सत्‍ता की जड़ें

bihar
बि‍हार आंदोलन का गढ़ रहा है। इस राज्‍य ने कई आंदोलन और प्रदर्शन देखे हैं। राजनीति में दिलचस्‍पी और अपने हक के लिए लड़ने के लिए सबसे आगे रहने की वजह से बिहार अक्‍सर चर्चा में रहता है।

छात्र आंदोलन का तो बिहार में अपना इतिहास रहा है। आंदोलन की इस बुलंद आवाज की वजह से ही कभी  स्‍तीफे हुए तो कभी मुख्‍यमंत्री तक ने अपनी कुर्सी गवां दी। यहां तक कि बि‍हार की आवाज से कई बार दिल्‍ली तक सत्‍ता हिल चुकी है।

अब हाल ही में एक बार फि‍र बिहार में RRB-NTPC परीक्षा के रिजल्ट में गड़बड़ी को लेकर छात्रों में भारी आक्रोश है। नाराज छात्र संगठनों के साथ ही राजनीतिक दल बिहार बंद कर रहे हैं। शुक्रवार को सुबह की पहली किरण के साथ ही पूरे राज्य में विरोध और प्रदर्शन के सुर सुनाई दे रहे हैं।

रेलवे प्रतिभागि‍यों के समर्थन में बिहार की 7 राजनीतिक पार्टियों RJD, कांग्रेस, JAP, CPI, CPM, CPI-ML और VIP के कार्यकर्ता सड़क पर हैं।

कहीं ट्रेनें रोकी जा रही हैं, कहीं आगजनी की घटना है। कुछ स्‍थानों पर पुलिस और आंदोलनकारियों में झड़प हो रही है।
bihar
लेकिन क्‍या आप जानते हैं बिहार में आंदोलन का क्‍या इतिहास रहा है। आइए जानते हैं बिहार के आंदोलन का इतिहास।

1955: आजाद भारत का पहला आंदोलन
यह आजाद भारत का पहला छात्र आंदोलन माना जाता है। यह छात्र आंदोलन भारत के आजाद होने के बाद बिहार में 1955 में हुआ था। हालांकि इसकी वजह बेहद मामूली थी। विवाद राज्य ट्रांसपोर्ट टिकट काटने को लेकर हुआ था। जो बाद में बेहद उग्र हो गया था, इतना कि एक छात्र की मौत हो गई थी। उस छात्र का नाम था दीनानाथ पांडे।
दीनानाथ सड़क किनारे खड़े होकर बस हंगामा देख रहा था। लेकिन उसे पुलिस की गोली लगने से मौत हो गई। इसके बाद आंदोलन उग्र हो गया। हालात यह हो गए कि तात्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को पटना आकर दखलअंदाजी करना पड़ी। लेकिन आंदोलनकारी नहीं माने। परिणामस्‍वरूप ट्रांसपोर्ट मंत्री महेश सिंह को इस्तीफा देना पड़ा। इतना ही नहीं महेश सिंह, महामाया सिंह से चुनाव में हार भी गए।
bihar
1967: जब सीएम हार गए चुनाव
साल 1967 में एक छात्र आंदोलन हुआ था। इस आंदोलन में तमाम जगहों पर आग लगा दी गई थी। उस वक्‍त केबी सहाय मुख्यमंत्री थे। वे बाद में वह चुनाव हार गए और महामाया सिन्हा मुख्यमंत्री बने। महामाया सिन्हा को इस आंदोलन में फायदा मिला, क्‍योंकि उन्‍होंने छात्रों का साथ दिया था। वो छात्रों अपने जिगर का टुकड़ा कहा करते थे, जिसका उन्‍हें राजनीतिक फायदा मिला।
bihar
1974: आंदोलन जो जेपी के कारण बना इतिहास
1974 में आपतकाल के विरोध में एक ऐसा छात्र आंदोलन हुआ जो इतिहास के पन्‍नों में दर्ज हो गया। आपातकाल के विरोध-प्रदर्शन के दौरान बहुत से छात्रों को बेरहमी से पीटा गया। कईयों को जेल में डाल दिया गया। इस आंदोलन की लगाम किसी के हाथ में नहीं थी, इसलिए छात्रों ने जय प्रकाश नारायण से इसकी कमान संभालने की अपील की। इसके बाद यह आंदोलन 'सम्पूर्ण क्रांति' में बदल गया। आखि‍रकार इसके नेता जय प्रकाश नारायण बने और यह आंदोलन इतिहास में दर्ज हो गया।
bihar
1990: जब जल उठा था बिहार
यह आंदोलन सवर्ण वर्ग के छात्रों द्वारा शुरू किया गया था। जब वीपी सिंह सरकार ने 1990 में मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की घोषणा की थी। यह छात्र आंदोलन बहुत ही पहले तो असंगठिक था, लेकिन बाद में राजनीतिक दलों की ओर से इसे संगठित तरीके से आयोजित किया। इसकी मुख्‍य मांग जाति पर आरक्षण को हटाने और आर्थिक विचारों के आधार पर आरक्षण का समर्थन करना था।
ये भी पढ़ें
लता जी और कवि प्रदीप का वो ‘कालजयी गीत’ जिसे सुनकर नेहरू भी रो दिए थे, अब ‘बीटिंग रिट्रीट’ में बजेगा ‘शहीदों की याद में’