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Last Updated : रविवार, 13 जून 2021 (12:18 IST)

Kargil war: आज के दिन मिली थी पहली जीत, सेना ने फहराया था तोलोलिंग चोटी पर तिरंगा

Kargil war: आज के दिन मिली थी पहली जीत, सेना ने फहराया था तोलोलिंग चोटी पर तिरंगा - Historical victory of Kargil, kargil war
भारत और पाकिस्तान सेना के इतिहास में इसे दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध का मैदान माना जाता है। इसमें भारत ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। युद्ध लगभग दो महीने तक चला। करगिल युद्ध में भारत को जीत मिली, हालांकि 527 बहादुर जवान शहीद हो गए थे।

आज से 22 साल पहले करगिल युद्ध लड़ा गया था। करगिल युद्ध में सबसे पहली तोलोलिंग चोटी पर विजय 13 जून को मिली थी। यूनिट 18 ग्रेनेडियर्स ने दो राजस्थान राइफल्स के साथ 13 जून, 1999 की रात को बड़े पैमाने पर हमला किया था। इस हमले के दौरान उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ी, लेकिन वह जीत हासिल करने में सफल रहे। रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण तोलोलिंग भारतीय सैनिकों की वीरता और प्रतिबद्धता की गवाही देती है।

1999 में द्रास और करगिल सेक्टरों में कुछ मुजाहिदीनों को भारतीय सीमाओं से बाहर निकालने की कवायद शुरू हुई। यह कवायद जल्द ही एक युद्ध में बदल गई। भारतीय सेना का सामना न केवल घुसपैठियों से, बल्कि धोखेबाज पाकिस्तान की सेना के साथ भी हुआ।

भारतीय सेना दुश्मनों के खिलाफ खूब लड़ी। करगिल युद्ध में भारत को जीत मिली, लेकिन हमारे 527 बहादुर जवान शहीद हो गए। शहीद हुए जवानों में 52 हिमाचल प्रदेश के थे। हिमाचल प्रदेश के राइफलमैन संजय कुमार के साथ कैप्टन विक्रम बत्रा जैसे दिग्गज, सर्वोच्च वीरता पुरस्कार, परम वीर चक्र के चार प्राप्तकर्ताओं में से दो थे।
कारगिल युद्ध के नायक ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर (सेवानिवृत्त), जिन्हें युद्ध सेवा पदक से सम्मानित किया गया था, उस समय 18 ग्रेनेडियर्स के कमांडिंग ऑफिसर थे। उस कठिन लड़ाई को याद करते हुए उन्होंने कहा कि तोलोलिंग की लड़ाई को हमेशा याद किया जाएगा।

पहली जीत के बाद 18 ग्रेनेडियर्स एक और दूसरे क्षेत्र की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता- टाइगर हिल पर कब्जा करने के लिए आगे बढ़े थे।
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