शनिवार, 20 अप्रैल 2024
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Written By Author अवनीश कुमार

कानपुर से Ground report : आंखों में आंसू लिए 'सांसों' के लिए जद्दोजहद...

कानपुर से Ground report : आंखों में आंसू लिए 'सांसों' के लिए जद्दोजहद... - Ground report on Kanpur city Coronavirus
उत्तर प्रदेश में कोरोनावायरस (Coronavirus) का कहर दिन-प्रतिदिन बेहद घातक होता जा रहा है। मौत के आंकड़े भी रोज रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं। लखनऊ के बाद कानपुर में हालात ज्यादा खराब हैं और लखनऊ के बाद कानपुर में मौतों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि अब श्मशान घाट पर भी प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार करने वालों की लाइनें दिखाई पड़ रही हैं। वहीं, कानपुर में ऑक्सीजन के लिए भी लोग लाइनों में खड़े दिखाई दे रहे हैं। 
 
कानपुर के हालात को लेकर योगी सरकार बेहद चिंतित है। इसके चलते योगी आदित्यनाथ ने अब खुद कानपुर की कमान अपने हाथों में ले ली है और पल-पल की जानकारी अधिकारियों के माध्यम से ले रहे हैं।

सरकारी तंत्र हुआ फेल : कानपुर में स्वास्थ विभाग पूरी तरीके से फेल हो चुका है, जिसके चलते कानपुर में रोजाना 20 से 30 संक्रमितों की मौतों का सिलसिला जारी है। इसके अलावा बिना इलाज के भी कई संक्रमितों की मौतें हो रही हैं। स्वास्थ्य व सरकारी तंत्र जैसे-तैसे व्यवस्थाओं का संचालन कर रहा है।
 
अस्पतालों में बेड़ नहीं हैं‚ बाहर ऑक्सीजन नहीं है और संक्रमण में प्रभावी अच्छी दवाओं का भी टोटा मेडिकल स्टोर्स में चल रहा है। इस स्थिति में सरकारी अस्पतालों में रविवार को कुल 24 संक्रमितों की मौत हो गई‚ जबकि नए पॉजिटिव भी 2021 मिले हैं।

अस्पतालों के बाहर मरीजों का तांता : कानपुर में सरकारी अस्पतालों के बाहर सैकड़ों की तादाद में लोग अपने- अपने मरीज को दिखाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। वहीं, अव्यवस्थाओं के चलते सैकड़ों ऐसे लोग हैं जो बिना इलाज के अभाव में ही अस्पताल के बाहर दम तोड़ रहे हैं। सरकारी तंत्र पूरी तरीके से फेल नजर आ रहा है।  स्वास्थ विभाग पहले ही अपने हाथ खड़े कर चुका है। सरकार भले ही बड़े-बड़े दावे कर रही हो, धरातल पर इसके विपरीत देखने को मिल रहा है और आज भी लोग बिना इलाज के दम तोड़ते हुए नजर आ रहे हैं।
अस्पतालों में बेड खाली नहीं हैं। ऐसे में मरीजों के प्राण संकट में हैं। जमीन पर लेटी एक महिला को सांस लेने की दिक्कत होने पर एलएलआर अस्पताल हैलट इमरजेंसी लाया गया था। चिकित्सकों ने बेड और ऑक्सीजन न होने की बेबसी जता दी। फिर भी बेटी मां को इस आस में लिटाए रही कि शायद असपताल में जगह मिल जाए। इस दौरान तडपती मां को देखकर बेटी का रो-रो कर बुरा हाल था। परेशान लोग कह रहे थे कि कोई बात नहीं, एक-एक आंसू का हिसाब हम सभी मिलकर जरूर लेंगे।
 
कानपुर के 9 हजार 929 कंटेनमेंट जोन : कानपुर पुलिस द्वारा गठित की गई कोरोना सेल के मुताविक अव तक जिले में 9 हजार 929 कंटेनमेंट जोन बनाए जा चुके हैं। इसे दो श्रेणियों, जिसमें माइक्रो और क्लस्टर में बांटा गया है। माइक्रो श्रेणी में वह केस हैं, जो सिर्फ 25 मीटर के दायरे में आते हैं, जिनकी संख्या वहुत कम है, लेकिन क्लस्टर श्रेणी में अतिसंवेदनशील क्षेत्र आते हैं, उनकी संख्या 612 तक पहुंच चुकी है। सबसे ज्यादा संक्रमित इलाकों में कल्याणपुर, नौवस्ता, वर्रा, चकेरी, कोतवाली, रायपुरवा, अनवरगंज समेत कई इलाके शामिल हैं।
 
कोरोना सेल से मिली जानकारी के मुताविक जिले के आउटर क्षेत्रों में वायरस का प्रकोप कम है। अब तक आउटर क्षेत्रों में 370 ही कंटेनमेंट जोन बनाए गए हैं। सबसे ज्यादा संक्रमण घनी आबादी जैसे इलाकों में है। प्रशासन की कड़ाई के वावजूद कोरोना संक्रमण नए इलाकों के जरिए फैलता जा रहा है। इसके फैलने से एक और बड़ी समस्या सामने आ रही है, जो दूसरी बीमारी से पीड़ित हैं, उनको इलाज नहीं मिल पा रहा है।

सिलेंडर के लिए लाइनें : कानपुर में जहां कल तक दो वक्त की रोटी के जुगाड़ में रात-दिन एक करते हुए हर आदमी नजर आता था, लेकिन आज वह अपनों के जीवन को बचाने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की जुगाड़ करते हुए नजर आ रहे हैं। भूख-प्यास सब मिट चुकी है लेकिन अपनों को सांसें देने के लिए लंबी-लंबी लाइनों में लग ऑक्सीजन सिलेंडर पाने की जद्दोजहद कर रहे हैं।
 
आंखों में आंसू हैं पर दिल में एक आस है कि वह अपनों की रुकती हुई सांसों को बचा पाएंगे। इसके चलते फजलगंज औद्योगिक क्षेत्र में एक प्लांट के बाहर सुबह से लाइन में लगे लोग हलक सूखने पर बोतल से एक-दो बूंट पानी पी लेते हैं और फिर शुरू हो जाता इंतजार का दौर। दोपहर में रीफिलिंग शुरू हो पाती है जो देर शाम तक जारी रहती है।

भावुक हो जाते हैं पुलिसकर्मी : कानपुर के फजलगंज स्थित बब्बर गैस एजेंसी के बाहर अपनों की सांसों का इंतजाम करने आए लोगों के हालातों को देखकर पुलिसकर्मी भी भावुक हो जाते हैं। एक वाकया उस समय देखने को मिला जब लाइन में लगे लोगों के बीच अफरा-तफरी मच गई। पुलिस को लाठियां जमीन में पटक कर लोगों को शांत कराना पड़ा। इसी दौरान एक पुलिसकर्मी हाथ जोड़कर शांति बनाए रखने की अपील करते करते वक्त इतना भावुक हो गया कि वह रोने लगा और बोला हम आपके दर्द को समझते हैं आप हमारी मजबूरी समझिए, सबका नंबर आएगा।
 
जब हमने एक पुलिसकर्मी से बात करने का प्रयास किया तो उसने नाम न छापने सा निवेदन करते हुए बताया कि ऊपर से आदेश है किसी भी प्रकार से हालात बिगड़ने ना पाएं। जिसका पालन हम सुनिश्चित करा रहे हैं लेकिन लाइन में लगे लोगों की आंखों के आंसू देखकर हम भी अपनी आंखों के आंसू रोका नहीं पाते हैं। आखिरकार हम भी इंसान हैं।
 
पुलिसकर्मी ने बताया कभी-कभी कुछ ऐसे बुजुर्ग देखने को मिलते हैं, जो लाइन लगाकर अपने नौजवान बेटे की सांसों को सुरक्षित करने का इंतजाम करने में जुटे हुए दिखते हैं और ऑक्सीजन की सिलेंडर से लिए लाइन में दिखाई पड़ते हैं।
 
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