बुधवार, 24 अप्रैल 2024
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Written By सुरेश डुग्गर

फारूक का ऐलान, 35-ए हटाई तो विधानसभा व लोकसभा चुनावों का बहिष्कार

फारूक का ऐलान, 35-ए हटाई तो विधानसभा व लोकसभा चुनावों का बहिष्कार - Farooq Abdullah, Article 370, Article 35A, Central Government
श्रीनगर। भारतीय संविधान की धारा 35-ए के तहत राज्य को मिले विशेषाधिकार का मुद्दा और गर्मा गया है। हालांकि मामला सुप्रीम कोर्ट में है, लेकिन राज्य के राजनीतिक दल इसे मुद्दा बना एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में जुट गए हैं।
 
इस मुद्दे पर केंद्र सरकार व राज्य सरकारों द्वारा अपना रुख स्पष्ट न करने की स्थिति में जहां पहले नेशनल कांफ्रेंस ने पंचायत व स्थानीय निकाय के चुनावों के बहिष्कार की बात कही थी और अब उसने चार कदम आगे बढ़ते हुए स्थिति व रुख स्पष्ट न होने पर आगामी विधानसभा तथा लोकसभा चुनावों के बहिष्कार की घोषणा की है। स्थिति यह है कि नेकां की वोट बैंक पक्का करने की इस तरकीब के कारण पीडीपी असमंजस में है और अब वह भी ऐसी घोषणा करने की तैयारी में है।
 
दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने पंचायत चुनावों के बाद अब लोकसभा और विधानसभा चुनावों का भी बहिष्कार करने का ऐलान किया है। उन्होंने केंद्र सरकार से कहा है कि अगर केंद्र ने अपना रुख संविधान के अनुच्छेद 35-ए और 370 पर साफ नहीं किया तो वह पंचायत चुनावों की तरह ही लोकसभा और विधानसभा चुनावों का भी बहिष्कार कर देंगे। ये बातें फारुक अब्दुल्ला ने श्रीनगर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहीं।
 
यह बात अलग है कि भाजपा नेकां की इस प्रकार की बहिष्कार की घोषणाओं को नेकां की मजबूरी के तौर पर प्रचारित कर रही है पर सच्चाई यही है कि कश्मीरियों के वोट बैंक को भुनाने की पहल करके नेकां ने बाजी मार ली है।
 
इस सच्चाई से कोई इंकार नहीं करता कि कश्मीरी 35-ए को बरकरार रखवाने के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनके इस विरोध प्रदर्शनों के सिलसिले को हुर्रियती नेताओं के साथ-साथ आतंकी गुटों का भी साथ प्राप्त है। ऐसे में राज्य के सबसे बड़े तथा पुराने राजनीतिक दल नेशनल कांफ्रेंस द्वारा 35-ए के समर्थन में ऐसी घोषणाएं कर माहौल को और गर्मा दिया है।
 
हालांकि कुछ राजनीतिक दल इसे नेकां की चाल करार दे रहे हैं पर अतीत पर एक नजर डालें तो 1996 के लोकसभा चुनावों का बहिष्कार कर नेकां एक बार पहले भी अपने वोट बैंक को पक्का करने में कामयाब रही थी। तब उसने सुरक्षा का हवाला देते हुए चुनाव बहिष्कार की घोषणा की थी।
 
नेकां की 35-ए को लेकर सभी चुनावों के बहिष्कार की घोषणा के कारण सबसे अधिक परेशान पीडीपी है। उसकी परेशानी इसी से साफ जाहिर होती है कि 35-ए को मुद्दा बनाकर स्थानीय निकायों और पंचायत चुनावों के बहिष्कार की नेकां की घोषणा के 24 घंटों के भीतर उसने आनन-फानन में पार्टी कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर स्थानीय निकायों व पंचायत चुनावों से अपने आप को अलग कर लिया।
 
यह बात अलग है कि उसने एक चाल चलते हुए यह जरूर बयान दिया कि केंद्र सरकार का रुख स्पष्ट होने पर वह फैसला बदल सकती है। ऐसी ही बातें नेकां भी कर रही है। पर सच्चाई यह है कि नेकां 35-ए पर चुनाव बहिष्कार की बात कर बाजी मार चुकी है।
 
35-ए को मुद्दा बना कश्मीरियों की भावनाओं की फसल को वोट के रूप में काटने की नेकां और पीडीपी की दौड़ में कांग्रेस तथा भाजपा बुरी तरह से फंस गई हैं। हालांकि भाजपा अभी भी चुनावों में शामिल होने की बात करते हुए कह रही है कि 35-ए का मामला कोर्ट में है पर उसके कश्मीरी समर्थक उसकी बात सुनने को राजी नहीं है तो कांग्रेस जिसने 35-ए पर अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं, सुरक्षा व्यवस्था को कारण बता ऐसी ही घोषणा करने की तैयारी जरूर कर रही है।