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साल 2016 : रोगों के प्रकोप से जूझता रहा देश...

साल 2016 : रोगों के प्रकोप से जूझता रहा देश... - Disease, Central government, Dengue, Chikungunya, Indian health sector
नई दिल्ली। देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में इस साल जापानी इन्सैफेलाइटिस, चिकनगुनिया और डेंगू जैसे मच्छरजनित रोगों के प्रकोप और उनकी रोकथाम को लेकर सरकार की मशक्कत से जुड़ी खबरें प्रमुखता से छाई रहीं, वहीं वर्ष 2016 में सरकार ने राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान और अमृत स्टोरों को खोलने जैसी कुछ पहल शुरू कीं।
देश के पूर्वी हिस्से में गोरखपुर समेत कुछ जगहों पर जहां जापानी इन्सैफेलाइटिस का प्रकोप बना रहा, वहीं दिल्ली समेत विभिन्न हिस्से साल की दूसरी छमाही में चिकनगुनिया, डेंगू और मलेरिया के संक्रमण से जकड़े रहे।
 
स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के तहत आने वाले 'नेशनल वेक्टरजनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम' (एनवीबीडीसीपी) के अनुसार देश में इस साल 11 दिसंबर तक की स्थिति के मुताबिक डेंगू के कुल 1,01,388 मामले सामने आए और 210 लोगों की इस बीमारी की वजह से मौत हो गई। दिल्ली में इस बीमारी के 4,337 मामले सामने आए और 6 रोगियों की मृत्यु हो गई।
 
अक्टूबर 2016 तक की स्थिति के अनुसार मलेरिया के मामलों की संख्या देशभर में 8,49,610 रही और 205 लोगों को इस बीमारी के चलते जान गंवानी पड़ी। आंकड़े बताते हैं कि 11 दिसंबर तक की स्थिति के अनुसार देश में जापानी इन्सैफेलाइटिस (जेई) के 1,537 मामले सामने आए और 261 लोगों की मौत हो गई वहीं एक्यूट इन्सैफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के 10,517 मामलों के साथ 1,242 लोगों की मौत की खबर आई।
 
इस साल चिकुनगुनिया के 55,639 मामले आए जिनमें आकार के हिसाब से दिल्ली में सर्वाधिक प्रकोप रहा और अकेले यहां 12 हजार से अधिक मामले सामने आए। दिल्ली में चिकुनगुनिया से मौत के कुछ मामलों की खबरों के बीच स्वास्थ्य राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि 13 नवंबर तक दिल्ली में चिकनगुनिया से मौत का कोई मामला सामने नहीं आया। इस बीच अमेरिका के वैज्ञानिकों ने चिकुनगुनिया का पहला टीका तैयार किया, जो उनके अनुसार इस रोग पर प्रभावी, सुरक्षित और किफायती संरक्षण प्रदान करता है।
 
सरकार ने संसद में बताया कि कि इन्सैफेलाइटिस को नोटिफायबल रोगों की सूची में शामिल करने के सुझाव पर वह विचार करेगी। नोटिफायबल रोगों की श्रेणी में उन बीमारियों को रखा जाता है जिनका कोई मामला सामने आने पर निजी डॉक्टरों और अस्पतालों को उसकी जानकारी स्थानीय सरकारी स्वास्थ्य तंत्र को देनी होती है। ओडिशा के मल्कानगिरि जिले में गत 5 दिसंबर से जेई के खिलाफ सामूहिक टीकाकरण अभियान शुरू किया गया है।
 
स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने लोकसभा में जापानी इन्सैफेलाइटिस पर चर्चा के जवाब में कहा कि जेई टीकाकरण को मिशन इन्द्रधनुष के अंतर्गत कवर किया गया है। स्वास्थ्य राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि जापानी इन्सैफेलाइटिस की समस्या को लेकर सरकार गंभीर है और इसके निदान के लिए टीकाकरण पर जोर दिया जा रहा है। दिमागी बुखार के रूप में पहचान पाने वाले इन्सैफेलाइटिस में मस्तिष्क में सूजन आ जाती है। नड्डा ने फरवरी में 'राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन रूपरेखा (एनएफएमई)' 2016-2030 की शुरुआत की जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक भारत को मलेरिया मुक्त बनाना है। स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकार ने इस साल अनेक घोषणाएं कीं।
 
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने वर्ष 2016-17 के आम बजट में देश में 3,000 किफायती दवा स्टोर खोलने की घोषणा की, जो विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में दवाओं की कमी से निपटेंगे। उन्होंने बजट में राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम का महत्वपूर्ण ऐलान किया जिसके तहत प्रत्येक जिला अस्पताल में डायलिसिस की सुविधा होगी। बजट में गरीबों को आकस्मिक बीमारियों की स्थिति में एक लाख रुपए का विशेष स्वास्थ्य बीमा देने की घोषणा की गई जिसमें वरिष्ठ नागरिकों को अतिरिक्त 30,000 रुपए का लाभ दिया जाएगा। पारंपरिक एवं वैकल्पिक दवाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्रीय बजट में आयुष मंत्रालय के लिए 1326.20 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया।
 
विभिन्न योजनाओं के क्रम में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) के तहत सरकार ने नवंबर महीने में ऐलान किया कि प्रत्येक महीने की 9 तारीख को सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं की नि:शुल्क जांच की जाएगी। इस योजना के तहत निजी क्षेत्र के डॉक्टरों से स्वैच्छिक सेवा देने का आह्वान किया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रेडियो पर अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में इसकी घोषणा की।
 
मोदी ने इस साल प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) के तहत उत्तरप्रदेश के गोरखपुर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की आधारशिला रखी और पंजाब के बठिंडा में एम्स का उद्घाटन किया। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस साल कुछ मोबाइल एप भी जारी किए जिनमें डेंगू से लड़ने के लिए 'इंडिया फाइट्स डेंगू', स्वास्थ्य संबंधी जानकारियों के लिए 'एनएचपी स्वस्थ भारत' और बच्चों के अनिवार्य टीकाकरण से जुड़ी जानकारी के लिए 'एनएचपी इन्द्रधनुष इम्युनाइजेशन' शामिल हैं।
 
स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने 30 मई को किफायती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए 'अमृत' स्टोरों की शुरुआत की। उन्होंने दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और आरएमएल अस्पतालों में ऐसे दो स्टोर खोले। इसके अलावा देश में 3 स्थानों पर अमृत स्टोरों का उद्घाटन वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से किया गया। स्वास्थ्य राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने अक्टूबर महीने में वाराणसी में उत्तरप्रदेश के पहले अमृत स्टोर का उद्घाटन करने के साथ घोषणा की कि सरकार देश के विभिन्न भागों में जल्द ऐसे 300 स्टोर खोलेगी जिनमें 60-70 प्रतिशत छूट के साथ दवाएं उपलब्ध होंगी।
 
देश के सुदूरतम हिस्सों तक वर्ष 1991 से चिकित्सा सुविधा पहुंचा रही पहली अस्पताल ट्रेन लाइफलाइन एक्सप्रेस में इस साल 2 डिब्बों को जोड़ा गया जिनमें 1 डिब्बा कैंसर निदानकारी डिब्बा होगा जबकि दूसरा परिवार स्वास्थ्य सेवाओं को समर्पित है।
 
संसद ने भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) विधेयक, 2016 और डेंटिस्ट्स (संशोधन) विधेयक, 2016 को मंजूरी दे दी जिसके साथ अगले साल से देशभर में मेडिकल और डेंटल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एक समान परीक्षा 'राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा' (एनईईटी) का रास्ता साफ हो गया। 5 अगस्त को इसे अधिसूचित कर दिया गया। सरकार ने अस्पतालों में रोगियों के केंद्रीयकृत आंकड़े रखने के लिए भी पहल की है।
 
स्वास्थ्य मंत्री नड्डा ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि इस बाबत 'समेकित स्वास्थ्य सूचना प्लेटफॉर्म' (आईआईएचपी) को लागू किया जा रहा है। इस बीच देश में विभिन्न रोगों के प्रकोप के साथ ही कैंसर के बढ़ते मामलों की खबरें भी चिंताजनक रहीं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने गत 2 दिसंबर को लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि आंकड़ों के अनुसार साल 2013 में देश में कैंसर के 12,70,781 मामले सामने आए थे, जो वर्ष 2016 में अब तक बढ़कर 14,51,417 हो गए।
 
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने मई महीने में अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि वर्ष 2016 में भारत में कैंसर के करीब 14.5 लाख मामले सामने आ सकते हैं और वर्ष 2020 तक यह आंकड़ा करीब 17.3 लाख हो सकता है। इसमें इस साल कैंसर से 7.36 लाख से अधिक लोगों की मौत की आशंका जताई गई। वर्ष 2020 तक यह संख्या 8.8 लाख हो जाने का पूर्वानुमान भी लगाया गया।
 
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य मानदंडों की खराब हालत पर चिंता जताते हुए स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा में बताया कि मसौदा राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति बनाई जा रही है। इस बीच इंटरनेट पर व्यापक मौजूदगी और ई-शासन की दिशा में सराहनीय योगदान के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को डिजिटल इंडिया पुरस्कार, 2016 की वेब रत्न श्रेणी में स्वर्ण पदक से सम्मानित किया। (भाषा)
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